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भाजपा के राम, गाय, गोबर की पॉलिटिक्स को छत्तीसगढ़ में मिल रही कड़ी चुनौती

भाजपा ही नही बल्कि आरएसएस के पदाधिकारी भी इस बात से सहमत हैं कि राज्य में वापसी करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो- फेसबुक से

रायपुर: भाजपा खुद को गाय और राम मंदिर की राजनीति का संरक्षक मान सकती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भगवा ब्रिगेड को भूपेश बघेल शासन से कड़ी टक्कर मिल रही है. बघेल सरकार ने पिछले दो वर्षों में गाय, भगवान राम और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केंद्रित कर कई योजनाएं लागू की हैं जिससे भाजपा की गाय और राम की राजनीति कमज़ोर हो रही है. इस बात की पुष्टि कोई और नही प्रदेश में RSS के प्रचारक भी करते हैं. बघेल सरकार का भाजपा को नया झटका दिल्ली में गोबर के उत्पादों का एक एम्पोरियम खोलना है.

दिसंबर 2018 में सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने गौ पलकों से गोबर खरीदकर उसके उत्पादों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए योजना शुरू की. इसके साथ ही कथित तैर पर भगवान राम अपने 14 वर्षों के वनवास में राज्य के भीतर जिन क्षेत्रों से निकले उस ट्रैक को राम वन गमन पथ पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने का भी निर्णय लिया. ये योजनाएं न केवल देशभर में चर्चा का विषय बनीं बल्कि प्रदेश में भाजपा के राम और गौ संरक्षण की एकाधिकार वाली राजनीति पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. भाजपा ही नही बल्कि आरएसएस के पदाधिकारी भी इस बात से सहमत हैं कि राज्य में वापसी करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी.


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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रान्त कार्यवाहक चंद्रशेखर वर्मा, ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘भूपेश बघेल सरकार की गोबर खरीदी गोधन न्याय योजना (GNY) और राम वन गवन पथ पर्यटन सर्किट को विकसित करने की योजना स्वागत योग्य कदम हैं. हम लगातार गौरक्षा के लिए गाय के गोबर के उचित उपयोग को एक मजबूत साधन के रूप में वकालत करते रहे हैं. जाहिर तौर पर बघेल सरकार इसकी कीमत समझ चुकी है. हालांकि, जीएनवाई के लाभ और बड़े पैमाने पर इसके राजनीतिक परिणाम को देखा जाना बाकी है, लेकिन यह सच है कि बीजेपी को अपने मूल एजेंडे को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाना पड़ेगा.’

संघ के एक अन्य पदाधिकारी और प्रांत संघ प्रचारक विसरा राम यादव कहते हैं, ‘यह स्वीकार करना होगा कि भूपेश बघेल की सरकार गौरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राम वन गमन पथ पर्यटन सर्किट विकसित करने के लिए अच्छा काम कर रही है. भगवान राम, गाय और गाय के गोबर के उत्पादों से उसकी सुरक्षा संघ की विचार शैली का केंद्र रहा है. राम और उनका जीवन छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. भूपेश बघेल ने विकास का सही रास्ता अपनाया है. हालांकि GNY के राजनीतिक लाभ का अनुमान अभी लगाना बहुत मुश्किल है.’

संघ से जुड़े गौ ग्राम स्वावलंबन अभियान के संयोजक भुवनेश्वर साहू कहते हैं, ‘अच्छे कामों की सराहना की जानी चाहिए. वर्तमान में जीएनवाई के करीब 3726 केंद्र कार्यरत हैं. बघेल सरकार की योजना हर गांव में एक केंद्र खोलने की है. भाजपा को इसका सामना करने के लिए उपाय करना पड़ेगा अन्यथा अगला चुनाव बहुत संघर्षपूर्ण होगा.’

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गौरतलब है कि 20 जुलाई 2020 को जीएनवाई के लांच से पहले साहू के नेतृत्व में आरएसएस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बघेल से मुलाकात कर जीएनवाई पर सरकार को कंसल्टेंसी देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उसके बाद बात आगे नही बढ़ पाई. बतौर साहू, ‘हमने आफर अपने अनुभव के आधार पर दिया था क्योंकि वर्मीकम्पोस्ट बनाने में हम किसानों की मदद पहले से करते आ रहे हैं. हमने गाय के गोबर की कीमत ₹1.50 से बढ़ाकर 5 रुपए प्रति किलोग्राम करने का भी सुझाव दिया था लेकिन इसे आंशिक रूप में स्वीकार किया. हम इस मुद्दे पर सीएम के साथ एक और बैठक की उम्मीद कर रहे हैं’.

बघेल का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’

राजनीतिक विश्लेषक राज्य के राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि भूपेश बघेल की राम और गाय से जुड़ी योजनाएं एक सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड जो भाजपा के लिए महंगा साबित होगा. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उचित शर्मा कहते हैं, ‘बघेल ने स्पष्ट रूप से भाजपा के साथ राजनीति की चाल को समझा है. उनके फैसले और नीतियां वास्तव में सॉफ्ट हिंदुत्व ही हैं. राम वन गमन पथ पर्यटन सर्किट, कौशल्या मंदिर और जीएनवाई के लागू होने का समय को देखें तो यह साफ तौर पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का ही है.’ शर्मा के अनुसार, ‘बघेल ने छत्तीसगढ़ में राम और गाय पर भाजपा के एकाधिकार को तोड़ा है. इस बात को भाजपा नेता भी स्वीकार करते हैं कि बघेल का छत्तीसगढ़वाद और सॉफ्ट हिंदुत्व अगले विधानसभा चुनावों में उनके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं.


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बघेल के सॉफ्ट हिंदुत्व पर कांग्रेस

सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेता बघेल की राम और गाय की राजनीति को हिंदुत्व से जोड़ना नहीं चाहते लेकिन दावा जरूर करते हैं कि राज्य में भाजपा ने यह एजेंडा गवां दिया है. पीसीसी मीडिया प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने दावा किया कि, ‘राम और गाय भूपेश बघेल सरकार के लिए राजनीति का विषय नहीं हैं, हम इसे हिंदुत्व से नहीं जोड़ते हैं. भगवान राम छत्तीसगढ़ के ‘भांजे (बहन के बेटे) हैं. राज्य की संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा हैं. बघेल सरकार ने अपनी योजनाओं से बता दिया है कि राम हमारे लिए विश्वास और आस्था के केंद्र हैं न कि भाजपा की तरह किसी दिखावे की वस्तु. भाजपा राम को सत्ता पाने और समाज को तोड़ने का जरिया है जबकि हमारे लिए राम समुदायों को जोड़ने का माध्यम.

पीसीसी प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं, ‘हमारी सरकार राजनीतिक लाभ के लिए कुछ नहीं कर रही है. सरकार के सभी निर्णय और योजना जनता से किये गए वादों की पूर्ति है. लेकिन हमें अपनी सफलता की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने का अधिकार है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह कौशल्या मंदिर समिति द्वारा बार-बार आमंत्रण मिलने के बावजूद भी कभी चंद्रखुरी मंदिर नहीं गए. अब हमारी सरकार द्वारा कौशल्या मंदिर के सौंदर्यीकरण की योजना लाने के बाद परेशान हैं.’

भाजपा की परेशानी का सबब

भाजपा की परेशानी का सबब बनी भूपेश बघेल की तीन योजनाओं में से एक उत्तर में कोरिया जिले और दक्षिण में सुकमा जिले ले बीच निर्माणाधीन लगभग 1500 किलोमीटर से ज्यादा का राम वन गमन पथ पर्यटन सर्किट है. करीब 135 करोड़ रुपए की योजना में 75 विभिन्न पर्यटन केंद्रों का निर्माण के साथ सुकमा के राम रामा मंदिर का नवीनीकरण भी शामिल है.

फ़ोकस का दूसरा बड़ा केंद्र राजधानी रायपुर के नजदीक राम के ननिहाल के रूप में प्रचिलित चंद्रखुरी क्षेत्र में कौशल्या मंदिर का नवीनीकरण है. इस पर सरकार लगभग 15.75 करोड़ रुपए खर्च करेगी.

बघेल सरकार की तीसरी और गाय से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण योजना है गोधन न्याय योजना. सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार विगत पांच महीनों में जीएनवाई के तहत योजना में पंजीकृत 1.40 लाख गौपालकों के खातों में अबतक ₹64 करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे तौर पर डाले गए हैं. वर्तमान में गाय का गोबर लगभग 3726 चिन्हित गोठानों (गौशालाओं) में एकत्र किया जाता है. गोबर के अन्य सामानों का निर्माण केंद्र होने के कारण गोठनों को आजीविका केंद्र भी माना जाता है. राज्यभर में लगभग 7,800 गोठान बनाने का लक्ष्य रखा गया है.


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दिल्ली में खुलेगा गाय के गोबर उत्पादों का एम्पोरियम

गोठनों में निर्मित गोबर उत्पादों के लिए बड़ा बाज़ार पाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार दिल्ली में एक एम्पोरियम खोलने जा रही है. राज्य के अंबिकापुर जिले में गोबर उत्पादों पहली एम्पोरियम खुल चुकी है. ‘वर्तमान में अंबिकापुर एम्पोरियम में उपलब्ध सभी दस उत्पादों की अच्छी मांग दिख रही है. इसमें गाय के गोबर के कंडे, अगरबत्ती, विशेष रूप से तैयार किए गए गोबर के ईंधन की लकड़ी और वर्मीकम्पोस्ट की तीन किस्में शामिल हैं. दिल्ली में दूसरा एम्पोरियम खोलने की योजना बन रही है जिसका ऐलान राज्य के शहरी विकास मंत्री ने पहले ही कर दिया है. हालांकि, तारीखों और दूसरी औपचारिकताओं पर अभी अंतिम निर्णय नही लिया गया है. यह ‘शबरी’ एम्पोरियम की तर्ज पर किया जाएगा जो राज्य के हेंडीक्राफ्ट और हैंडलूम सामग्रियों का शोरूम हैं.’

बीजेपी कहती है ‘जमीनी हकीकत अलग’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि बघेल सरकार ने पिछले दो सालों में जनता के लिए कुछ नही किया. ‘राम, गाय और गोबर संबंधित योजनाएं मात्र दिखावा हैं जो अब दम तोड़ती नजर आ रही हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और उसकी सरकार को गाय और राम के प्रति लगाव सिर्फ दिखावा है, जमीन पर कुछ भी नहीं हो रहा है. बड़ी संख्या में गायें सड़कों पर भटकती हुई भूख प्यास से मर रहीं हैं लेकिन लेकिन उनकी सेवा नही हो रही है. गोठन खाली पड़े हैं.’

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अनुसार जीएनवाई बिहार के चारा घोटाले के समान एक बड़े घोटाले का स्वरूप ले रहा है जो कभी भी फूट पड़ेगा.


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