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अरुणाचल में एक नौजवान के ‘अपहरण’ का दावा करने वाले BJP MP तापीर गाओ देते रहते हैं चीन के ‘घुसपैठ’ की खबरें

गाओ के ट्वीट से हडक़ंप मच गया, विपक्षी नेताओं ने मामला उठाया. अरुणाचल पूर्व से दो बार के एमपी ने राज्य में चीनी फौज के ‘घुसपैठ’ की कई कहानियां बताईं.

बीजेपी के सदस्य तापीर गाओ की फाइल फोटो | दिप्रिंट

गुवाहाटी: अरुणाचल प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के एमपी तापीर गाओ ने इस हफ्ते ट्विटर पर लिखा कि ऊपरी सियांग जिले से एक 17 साल के लड़के को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपहरण कर लिया. जाहिर है, इससे देशभर में नाराजगी की लहर दौड़ पड़ी.

उन्होंन ट्वीट किया कि मिराम तारोन को भारत के क्षेत्र में लुंगटा जोर इलाके से ले जाया गया. गाओ ने सभी सरकारी एजेंसियों से ‘उसकी जल्दी रिहाई के लिए हरकत’ में आने की गुहार लगाई.

गाओ का ट्वीट वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर सक्रिय कई शख्सियतों ने उसे साझा किया. कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी और रणदीप सुरजेवाला ने इस घटना के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. राहुल गांधी ने भी इस पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया.

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उसके बाद भारतीय सेना ने पीएलए से संपर्क साधा और कहा कि मिराम का पता लगाकर उसे फौरन वापस किया जाए. गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ऐसी किसी घटना से वाकिफ नहीं है.

दिलचस्प यह है कि एमपी ने पहली बार ही अरुणाचल-चीन सीमा पर ‘चीनी घुसपैठ’ की घटनाओं के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है. दिप्रिंट आपको उनके बारे में और बहुत कुछ बता रहा है.


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तापीर गाओ के दावे

गाओ का जन्म 1 अक्टूबर 1964 में हुआ और वे राज्य की दो संसदीय सीटों में से एक अरुणाचाल पूर्व से दो बार एमपी चुने गए हैं. 2004 और 2019 में वे बीजेपी की टिकट से जीते, जबकि 2009 और 2014 में हार गए थे.

अरुणाचल पूर्व क्षेत्र में ऊपरी सियांग, पूर्वी सियांग, दिबांग वैली, निचली दिबांग वैली, लोहित, अंजाव, चांगलांग और तिरप जैसे जिले हैं. इनमें कई जिलों की सीमाएं चीन से टकराती हैं.

हाल के वर्षों में गाओ अक्सर चीन की कथित घुसपैठ को लेकर बयानों की वजह से सुर्खियों में आए. जनवरी 2021 में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि पड़ोसी देश ने 1980 के दशक से ही अरुणाचल प्रदेश के इलाकों में दखल किया हुआ है.

एजेंसी एएनआई ने उन्हें यह कहते उद्धृत किया है, ‘चीन 1980 के दशक से ही सड़कें बना रहा है. उन्होंने लोंगजू से माजा की सड़क बनाई. राजीव गांधी के कार्यकाल में चीन ने तवांग में सुमदोरोंग चु वैली पर कब्जा कर लिया. उस समय के सेना प्रमुख ने एक ऑपरेशन की योजना बनाई, लेकिन राजीव गांधी ने पीएलए को वापस ढकेलने की इजाजत नहीं दी.’

उन्होंने आगे यह भी कहा, ‘कांग्रेस के राज में सरकार की नीतियां गलत थीं. सीमा तक सड़क नहीं बनाई गई, जिससे तीन-चार किमी. का बफर जोन बन गया, जिस पर चीन ने कब्जा कर लिया. नए गांवों का निर्माण कोई नई बात नहीं है, यह सब कांग्रेस की विरासत है.’

गाओ ने सितंबर 2019 में दावा किया कि चीनी सेना राज्य के दूरदराज के अंजाव जिले में घुस आई है और एक झरने पर लकड़ी का पुल बना लिया है. हालांकि भारतीय सेना ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी कोई ‘वारदात’ नहीं हुई है.

‘सीमाई इलाकों को सुर्खियों में लाने की कोशिश’

नाम न जाहिर करने की शर्त पर अरुणाचल प्रदेश के एक एमएलए ने दप्रिंट से कहा कि गाओ की लगातार कोशिश सीमाई इलाकों की घटनाओं को सिर्फ सुर्खियों में लाने की रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘घुसपैठ की ऐसी घटनाएं होती रहती हैं और कई बार तो राज्य की राजनैतिक पार्टियां भी इससे वाकिफ नहीं रहती हैं कि केंद्र सरकार की नीतियां क्या हैं तो, कई बार वे सोचते हैं कि उन्हें कुछ नहीं बोलना चाहिए और कई बार उन्हें लगता है कि उन्हें बोलना चाहिए.’

एमएलए ने कहा, ‘मैंने सुना है कि कई बार पार्टी ने तापीर गाओ से कहा कि इस मसले पर न बोलें. वे खास मकसद के लिए विद्रोही हैं, वे वही बोलना चाहते हैं, जो घट रहा है.’

पिछले साल दिसंबर में गाओ घुसपैठ के मुद्दे पर भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी से भिड़ गए. स्वामी ने दावा किया कि गाओ ने उनसे कहा कि वे अरुणाचल पर फोकस करें क्योंकि चीनी सेना मैकमोहन रेखा को पहले ही ‘पार’ कर चुकी है. गाओ ने स्वामी के दावे का खंडन किया और कहा कि वे सिर्फ उस घुसपैठ की बात कर रहे थे, जो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुई.

चीनी घुसपैठ के मसले के अलावा, गाओ 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले ‘सेक्स स्कैंडल’ में फंसे थे. सोशल मीडिया पर एक अनजानी महिला के साथ उनका कथित वीडियो वायरल हो गया था.

उस वक्त, एमपी ने इससे इनकार किया था और दावा किया था कि वे बीजेपी के ‘कुछ गलत तत्वों की ब्लैकमेलिंग के शिकार’ हो गए हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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