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बिखरी हुई तेलंगाना इकाई में शांति स्थापित करने की कोशिश? BJP ने 14 अंसतुष्ट नेताओं को चुनाव पैनलों का प्रमुख बनाया

तेलंगाना भाजपा चुनाव पैनल में नियुक्त किए गए लोगों में विजयशांति, विजया रामा राव, विश्वेश्वर रेड्डी और विवेक वेंकटस्वामी शामिल हैं. ये सभी नेता मोदी की रैली में शामिल नहीं हुए थे.

1 अक्टूबर, 2023 को तेलंगाना के महबूबनगर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान लगे बैनर/ पीटीआई
1 अक्टूबर, 2023 को तेलंगाना के महबूबनगर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान लगे बैनर/ पीटीआई

नई दिल्ली: चुनाव वाले राज्य तेलंगाना में गुट-ग्रस्त इकाई को व्यवस्थित करने के प्रयास में जुटी हुई है. पार्टी नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 14 चुनाव समितियों का गठन किया है, जिसमें असंतुष्ट नेताओं को प्रभारी नियुक्त किया गया है.

नेताओं ने बताया कि यह कार्रवाई नाराज नेताओं को शांत करने के लिए है, खासकर उन लोगों को, जो 1 अक्टूबर को महबूबनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल नहीं हुए थे और जो पार्टी गतिविधियों में शामिल होने की भी कोई कोशिश नहीं कर रहे थे.

भाजपा की राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक के बाद गुरुवार को समितियों की घोषणा की गई.

विभिन्न चुनाव-संबंधी गतिविधियों की देखरेख करने के लिए पैनलों को स्क्रीनिंग कमेटी, आंदोलन समिति, आरोप पत्र समिति, घोषणापत्र समिति, समन्वय समिति, सार्वजनिक बैठक समिति, प्रचार समिति और अन्य नाम दिए गए थे.

पीएम की रैली में शामिल नहीं होने वाले नेताओं में पूर्व सांसद कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी और जी. विवेक वेंकटस्वामी, पूर्व अभिनेत्री और सांसद विजयशांति, पूर्व सांसद जी. विजया रामा राव और पूर्व विधायक एनुगु रविंदर रेड्डी शामिल हैं.

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भाजपा की समितियों का गठन राज्य के नेताओं के एक वर्ग के बीच बनी इस धारणा से भी प्रेरित हुआ है कि पार्टी की राज्य में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के साथ “गुप्त सहमती” बन गई है.

तेलंगाना में अगले दो महीनों में चुनाव होने हैं और केंद्र में जो बीजेपी सरकार है उसका लक्ष्य न केवल के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार को राज्य से उखाड़ फेंकना है जो 2014 से सत्ता में है. कांग्रेस भी एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैदान में है.

बीजेपी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 24 सितंबर के बाद से, कई असंतुष्ट नेताओं ने तेलंगाना में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए अलग-अलग बैठकें की हैं, और कहा कि ‘कई नेताओं का मानना ​​है कि बीआरएस और बीजेपी के बीच एक मौन सहमति है’.

एक सूत्र ने कहा, “ऐसा लगता है कि भाजपा को राज्य में तीसरे स्थान पर धकेलने की संभावना है. हालांकि, पीएम मोदी ने रविवार (1 अक्टूबर) को यह कहकर स्थिति साफ करने की कोशिश की कि भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में बीआरएस के प्रवेश से इनकार कर दिया है और वह एक वंशवादी भ्रष्ट पार्टी को अपने साथ नहीं ले सकती है.”

विश्वेश्वर रेड्डी के अनुसार, भाजपा और बीआरएस के बीच एक समझौते की धारणा, “इस उम्मीद के कारण बनाई गई थी कि के. कविता को दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जाएगा”.

तेलंगाना के सीएम की बेटी और बीआरएस नेता कविता के खिलाफ चल रहे मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही है.

रेड्डी ने लोगों के दिमाग में भाजपा-बीआरएस की मौन सहमति का विचार डालने के लिए भी कांग्रेस को दोषी ठहराया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ”प्रधानमंत्री ने भ्रम दूर करने की कोशिश की है लेकिन कांग्रेस ने लोगों के मन में यह विचार डालने में सफल रही है कि दोनों पार्टियों के बीच एक मौन सहमति है.”

भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में बीआरएस के साथ-साथ कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी तेलंगाना इकाई में शामिल किया है. इसे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय के नेतृत्व में इकाई में तीव्र गुटबाजी से भी जूझना पड़ा है.

बंदी संजय विरोधी लॉबी के दबाव के आगे झुकते हुए, पार्टी ने जुलाई में उनकी जगह केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी को नियुक्त किया. इसके अलावा, विधायक और पूर्व मंत्री एटाला राजेंदर, जिन्होंने संजय को नहीं बदले जाने पर भाजपा से इस्तीफा देने की धमकी दी थी, को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था.

हालांकि, बदलावों के बावजूद राज्य के कई नेता अभी भी नाराज़ बताए जा रहे थे और अब उन्हें इन नई समितियों का प्रभारी बना दिया गया है.

पहले उल्लेखित सूत्र ने कहा, “पार्टी अब बीआरएस के खिलाफ अधिक एकजुट लड़ाई की उम्मीद कर रही है.”

तेलंगाना भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि भाजपा को “तेलंगाना में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और कर्नाटक चुनाव (हार) के बाद उसने वो गति खो दी है”.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “लेकिन हमने संजय को हटाकर खोई हुई जगह हासिल करने का एक और प्रयास किया है. अधिक मिलनसार किशन रेड्डी को राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए लाया गया, एटाला को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया, और अब हमने अन्य नेताओं को अलग-अलग समितियां सौंपकर उन्हें संतुष्ट कर दिया है. इससे अब पार्टी कार्यकर्ताओं में शांति आनी चाहिए.”

एक राज्य उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि “तेलंगाना में कांग्रेस अभी तक लाभप्रद स्थिति में थी”, उन्होंने कहा कि “बीआरएस पर (अपनी रैली में) पीएम का हमला कैडर को ऊर्जावान बनाएगा”.


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किस कमेटी का नेतृत्व कौन कर रहा है

अभिनेत्री से नेता बनीं विजयशांति, जो कथित तौर पर पिछले कुछ हफ्तों से पार्टी कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रही थीं, को आंदोलन समिति का अध्यक्ष बनाया गया – विधानसभा चुनाव से पहले अपनी तरह का पैनल बनाया गया है जो आंदोलन की योजना बनाने और प्रदर्शन आयोजित करने के लिए काम करेगा.

विजयशांति पहली बार 1997 में भाजपा में शामिल हुईं और महिला विंग में महासचिव के रूप में कार्य किया, लेकिन 2005 में उन्होंने पद छोड़ दिया और 2020 में फिर से शामिल हुईं.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने तेलंगाना इकाई प्रमुख के रूप में संजय के कार्यकाल के दौरान अपने आइसोलेशन के बारे में पार्टी आलाकमान से कई बार बात की थी.

जिस दिन किशन रेड्डी ने यूनिट का कार्यभार संभाला, विजयशांति ने एक बैठक बीच में ही छोड़ दी जब उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया. सूत्रों ने बताया कि बाद में उन्होंने कहा कि वह इसलिए चली गईं क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी, जो तेलंगाना के निर्माण के विरोधी थे, वहां मौजूद थे.

बीजेपी के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘विजयशांति को राज्य में लेडी अमिताभ बच्चन के नाम से जाना जाता है और उनकी स्टार वैल्यू है. वह पूरे तेलंगाना में आंदोलनकारी कार्यक्रमों की योजना में फिट बैठती हैं और कैडर को प्रेरित करने के लिए विभिन्न विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करेंगी. इसीलिए ऐसी समिति बनाई गई है.”

बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव आरोप पत्र समिति के प्रमुख होंगे, जो बीआरएस सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पेपर जनता के सामने रखेंगे.

पूर्व विधायक राजगोपाल रेड्डी, जिनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह काफी समय से पार्टी गतिविधियों से दूर हैं, को मीडिया में यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि वह भाजपा छोड़ने पर फैसला कर रहे हैं. वह पीएम की रैली में भी मौजूद नहीं थे. उन्हें चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

विश्वेश्वर रेड्डी ने कुछ महीने पहले कथित तौर पर कहा था कि भाजपा बीआरएस के खिलाफ कड़ी टक्कर नहीं दे सकती. उन्हें घोषणापत्र समिति और प्रचार समिति का संयोजक नामित किया गया, जबकि वेंकटस्वामी को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

विजया रामा राव को एससी निर्वाचन क्षेत्र समन्वय समिति के संयोजक के रूप में नामित किया गया था और संजय बंदी, जिन्हें पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था, को सार्वजनिक बैठक समिति का प्रभार दिया गया था.

इसके अलावा, निज़ामाबाद के सांसद अरविंद धर्मपुरी सोशल मीडिया समिति का नेतृत्व करेंगे, और भाजपा के ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण सामाजिक आउटरीच समिति का नेतृत्व करेंगे. पूर्व विधायक डी.के. अरुणा इन्फ्लुएंसर आउटरीच समिति की अध्यक्ष हैं, जबकि मैरी शशिधर रेड्डी चुनाव आयोग से संबंधित मुद्दों पर एक समिति की अध्यक्षता करेंगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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