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गिरफ्तारियां, अदालती लड़ाइयां, सांप्रदायिक झगड़ा- तेलंगाना उपचुनाव में कैसे पूरा जोर लगा रही TRS, BJP

CM KCR और केंद्रीय गृह मंत्री अएमित शाह दोनों ने मुनुगोड़े चुनाव क्षेत्र का दौरा करके बड़ी रैलियां की हैं, हालांकि निर्वाचन आयोग ने अभी तक उप-चुनाव की तिथि का ऐलान नहीं किया है.

मुनुगोड़े में सार्वजनिक रैली में पूर्व विधायक कोमातीरेड्डी राज गोपाल रेड्डी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की फाइल फोटो | ट्विटर | @AmitShah

हैदराबाद: दिग्गजों के रैलियां करने से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक नेता की पदयात्रा को रोके जाने तक और सीएम की बेटी के एक शराब ‘घोटाले’ से जोड़े जाने से ‘सांप्रदायिक’ टिप्पणियों से जुड़े एक विवाद, और ऊंचे दांव वाले मुनुगोड़े असेम्बली उपचुनाव तक, तेलंगाना में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है.

चुनाव तब आवश्यक हो गया जब कांग्रेस विधायक कोमातीरेड्डी राज गोपाल रेड्डी ने, 2 अगस्त को पार्टी तथा तेलंगाना विधानसभा से इस्तीफा दे दिया.

रेड्डी पिछले सप्ताह मुनुगोड़े में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हो गए. शाह ने दावा किया कि ये तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख और तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के पतन की शुरुआत है.

मुनुगोड़े में अपनी जनसभा में, केंद्रीय गृह मंत्री ने केसीआर के ‘अधूरे वादों’ – जैसे कि किसी दलित को मुख्यमंत्री न बनाना– और तेलंगाना में सीएम के ‘भ्रष्ट’ शासन को ख़त्म करने पर भी बात की.

शाह के हाई-वोल्टेज आयोजन से एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ, ख़ासकर कृष्णा नदी में तेलंगाना के हिस्से पर निर्णय न लेने के लिए उस पर जमकर हमला बोला था.

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केसीआर और शाह दोनों ने मुनुगोड़े चुनाव क्षेत्र का दौरा किया है, हालांकि निर्वाचन आयोग ने अभी तक उपचुनाव की तिथि का ऐलान नहीं किया है. लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के अंतर्गत, सीट ख़ाली होने की तिथि से छह महीने के अंदर उपचुनाव कराया जाना होता है.

उपचुनाव में विजय टीआरएस और बीजेपी दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो एक कांटे की टक्कर में उलझी हैं.

2020 में दुब्बका असेम्बली उपचुनाव में टीआरएस पर विजय प्राप्त करने के बाद से, बीजेपी तेलंगाना में अपनी संभावनाओं को लेकर उत्साहित है, जहां अगले वर्ष चुनाव होने हैं.

टीआरएस के गढ़ हुज़ूराबाद में एक और असेम्बली उपचुनाव में जीत, और 2021 में ग्रेटर हैदराबाद निगम चुनावों में एक मज़बूत प्रदर्शन से उत्साहित होकर पार्टी ने अपना ध्यान तेलंगाना पर लगा लिया है.

जुलाई में बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हैदराबाद में की थी और स्पष्ट कर दिया था कि तेलंगाना उसके ‘मिशन साउथ’ के केंद्र में है. शाह व्यक्तिगत रूप से दक्षिण में अपने पदचिन्ह विस्तारित करने के पार्टी के प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं, जहां वो अभी तक केवल कर्नाटक में कामयाबी हासिल कर पाई है.


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लड़ाई दिल्ली भी पहुंची

जब शाह तेलंगाना में केसीआर को बुरी तरह फटकार रहे थे, तो दिल्ली में बीजेपी सांसद परवेश वर्मा और पूर्व विधायक मनजिंदर सिंह बिरसा दावा कर रहे थे कि सीएम की बेटी के कविता कथित दिल्ली शराब घोटाले में शामिल थीं.

ये दावा करते हुए कि ये सब उनके पिता को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, कविता ने हैदराबाद की एक अदालत से एक निषेधाज्ञा आदेश हासिल कर लिया, जिसमें बीजेपी नेताओं को उनके खिलाफ किसी भी तरह के मानहानिकारक बयान देने या प्रकाशित करने से रोक दिया गया.

शनिवार को, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केसीआर को तेलंगाना का ‘नया निज़ाम’ क़रार दिया. वॉरंगल में एक जनसभा में नड्डा ने याद किया कि किस तरह निज़ाम ने सार्वजनिक कार्यक्रमों, भाषणों, और स्कूल खोले जाने पर पाबंदी लगा दी थी. नड्डा ने रैली से कहा, ‘इसी तरह, केसीआर के निषेधाज्ञा आदेश भी उनके आख़िरी हैं और जल्द ही वो बाहर हो जाएंगे. वो तेलंगाना के नए निज़ाम हैं’.

नड्डा की टिप्पणियां उन बाधाओं के बाद आईं, जो तेलंगाना बीजेपी प्रमुख बंदी संजय की ‘प्रजा संग्राम यात्रा’ को राज्य सरकार की ओर से पेश आईं.

संजय को, जो फिलहाल अपनी पदयात्रा के तीसरे चरण में हैं, पिछले सप्ताह हिरासत में ले लिया गया था, जब उन्होंने हैदराबाद में कविता के आवास के बाहर बीजेपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ एक प्रदर्शन का ऐलान किया था.

बीजेपी नेता ने फिर तेलंगाना हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, और जनगांव ज़िले में पदयात्रा को रोकने के पुलिस के नोटिस को चुनौती दी. जज ने उन्हें अपनी पदयात्रा जारी रखने की अनुमति दे दी. तेलंगाना सरकार ने अब सिंगल जज के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है.

जिस दिन संजय को गिरफ्तार किया गया, उसी दिन बीजेपी विधायक राजा सिंह को भी अलग से गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने कथित रूप से मुसलमानों और पैग़म्बर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं थीं, जिनसे विवाद खड़ा हो गया था. ये हैदराबाद में कॉमेडियन मुनव्वर फारूक़ी के शो की पृष्ठभूमि में हुआ था, जिसे सिंह ने रुकवाने की नाकाम कोशिश की थी.

सिंह को जमानत मिल गई, लेकिन पुलिस ने उन्हें एक आदतन अपराधी बताते हुए फिर से हिरासत में ले लिया, जिससे पहले उन्होंने एक वीडियो जारी करके ऐलान किया था कि उन्हें किसी से डर नहीं लगता.

इस विवाद के बीच, केसीआर ने लोगों से ‘धार्मिक कट्टरपंथियों को भगा देने’ की अपील की. उन्होंने कहा कि विकल्प एक ‘पंतला तेलंगाना’ (हरे भरे खेतों का राज्य) और मंतला तेलंगाना (सांप्रदायिक तनाव से जल रहा राज्य) के बीच है.

टीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम) दावा करती आ रही हैं कि बीजेपी हैदराबाद तथा पूरे राज्य के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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