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‘ब्राह्मण होने पर है गर्व’- कैसे ‘तीखी’ राजनीतिक टिप्पणियां देकर सुर्खियों में बनी रहती हैं अमृता फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस भले ही अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री न हों, लेकिन उनकी पत्नी अमृता अपने ट्वीट्स, मजबूत विचारों, अपने गायन के करियर और विवादों को साझा करने के साथ सोशल मीडिया पर तरंगें पैदा करती रहतीं हैं.

अमृता और देवेंद्र फडणवीस | पीटीआई फाइल फोटो

मुंबई: सोमवार को, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने एक ब्राह्मण समूह, अखिल भारतीय बहुभाषीय ब्राह्मण महासंघ की एक सभा में भाग लिया, जिसमें उन्होंने विशिष्ट जाना माना ‘काली पेशवाई टोपी’ पहनी, और ब्राह्मणों की ऐसे ‘बुद्धिमान लोगों’ के रूप में प्रशंसा की, जिन्हें ‘मार्केटिंग’ की कोई आवश्यकता नहीं होती.

इसके बाद, उन्होंने अपने पति को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में संदर्भित किया, हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के शिंदे गुट वाली राज्य की गठबंधन सरकार में यह पद फिलहाल एकनाथ शिंदे संभाल रहे थे.

अमृता की टिप्पणियों ने महाराष्ट्र में खूब सुर्खियां बटोरीं, लेकिन भाजपा नेताओं ने इस पर उसी तरह से चुप्पी साधे रखना पसंद किया, जैसा कि वे आमतौर पर पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले फडणवीस की पत्नी के मामले में करते रहते हैं. इस बीच, शिंदे की अगुवाई वाली बालासाहेबंची शिवसेना ने फडणवीस के सीएम बताने के बारे में उनकी पत्नी की टिप्पणियों को अनाधिकृत रूप से ‘जुबान फिसलने’ की घटना के रूप में खारिज कर दिया.

जब फडणवीस साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब अमृता के बारे में एक ऐसी विरले ही मिलने वाली ‘सीएम वाइफ (मुख्यमंत्री की पत्नी)’ के रूप में बात की जाती थी, जो अपने योग कौशल, अपने गायन करियर, अपनी फैशनिस्टा (फैशन की जानकारी रखने वाली) महत्वाकांक्षाओं और विवादों के एक अच्छे खासे हिस्से का साथ खुद को लगातार सुर्खियों में बनाये रखती थीं.

फडणवीस तो अब मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन अमृता ने यह जरूर सुनिश्चित किया है कि उन पर टिकी सार्वजनिक चमक फीकी न पड़े.

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43 वर्षीय बैंक कर्मी, गायक और सामाजिक कार्यकर्ता रहीं अमृता की टिप्पणियां और ट्वीट्स सुर्खियां बटोरते रहे हैं और पर्यवेक्षकों का कहना है कि वे पिछले कुछ वर्षों से और अधिक राजनीतिक और विवादात्मक हो गए हैं.

राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनके बयान निश्चित रूप से इस समय तक इतने अधिक तीखे हो गए हैं कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि वह अपने शब्दों के राजनीतिक नतीजों को ध्यान में ही नहीं रखती हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पहले बीजेपी नेता उनकी व्यक्तिगत पहचान के बारे में कुछ सकारात्मक बयान देते रहते थे, लेकिन अब वे कुछ भी कहना पसंद नहीं करते हैं. हो सकता है कि फडणवीस ने उन्हें कोई टिप्पणी करने से परहेज करने के लिए कह रखा हो.’

अमृता ने उनकी टिप्पणियों के लिए दिप्रिंट द्वारा किये गए फोन कॉल और टेक्स्ट संदेश का कोई जवाब नहीं दिया.


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‘हम ब्राह्मण हैं और हमें इस पर गर्व है’

अमृता ने ब्राह्मण महासंघ के ऊपर वर्णित कार्यक्रम में कहा, ‘यह सच है कि हम ब्राह्मण हैं और हमें इस पर गर्व है. हम बुद्धिमान हैं और हमें इस पर गर्व है… लेकिन हम खुद की मार्केटिंग नहीं कर सकते. हमारे पास इस कौशल की कमी नहीं है, लेकिन हम ऐसा करते ही नहीं हैं. हमारी महानता को उसी तरह देखा जाता है, जैसी वह है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसी (महानता) की वजह से देवेंद्र फडणवीस बिना कोई पद मांगे आज ‘मुख्यमंत्री’ हैं. उनके काम करने के तरीके को देखते हुए, उनकी जनसेवा की वजह से, (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी और वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें नियुक्त किया.’

अपने भाषण के अंत में, उन्होंने महासंघ द्वारा नासिक में एक मुख्यालय बनाने की उम्मीद को धरातल पर उतारना सुनिश्चित करने का वादा करते हुए अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का भी प्रयास किया. उन्होंने कहा कि वह कथित तौर पर इस प्रक्रिया को रोकने वाले नौकरशाहों को फटकार लगाएंगी.

‘ब्राह्मणों के वर्चस्व’ पर अमृता की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा का वैचारिक स्रोत रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सार्वजनिक रूप से जातिगत पदानुक्रम की निंदा कर रहा है.

पिछले महीने, एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि वर्ण और जाति (जातिय व्यवस्था) की अवधारणा ‘अतीत की बात है और इसे भुला दिया जाना चाहिए.’

आपना नाम न छापने की शर्त पर महाराष्ट्र भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘ऐसा कोई कारण नहीं हैं कि उनके (अमृता फडणवीस के) बयानों का भाजपा पर कोई प्रभाव पड़े. वह एक व्यक्ति के रूप में बात करती हैं और पार्टी में कोई पद नहीं रखती हैं.‘

उन्होंने कहा: ‘अमृता फडणवीस किसी आम ‘सीएम वाइफ’ की तरह नहीं थीं और सुर्खियों में रहने के लिए उन्हें बहुत ताना भी मारा गया था. और कभी-कभी जब लोगों की लगातार आलोचना की जाती है, तो वे इसकी क्षतिपूर्ति के लिए उन चीजों को और अधिक दृढ़ता के साथ करने लगते हैं जिनके लिए उनकी आलोचना की जा रही है.‘

इस बीच, बालासाहेबंची शिवसेना के नेताओं ने अपने पति के ‘मुख्यमंत्री’ होने के बारे में अमृता द्वारा की गई टिप्पणियों पर यह कहते हुए कोई चर्चा न करना पसंद किया है कि यह ‘जुबान फिसलने’ की घटना हो सकती है.

आपना नाम न छापे जाने की शर्त पर शिंदे खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘ऐसी चीजें होती रहती हैं. यह जीभ की फिसलन हो सकती है. इसे अनुपात से अधिक बड़ा करके देखने का कोई कारण नहीं है.‘

उन्होंने कहा, ‘अमृता फडणवीस एक अनूठे व्यक्तित्व वाली हैं. वह सिर्फ एक राजनीतिक नेता की पत्नी नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपनी प्रतिभा, अपने सामाजिक कार्यों और अपनी अलग राय से अपनी अलग पहचान बनाई है. मुझे यकीन है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उनका मतलब वह नहीं था.’


सुर्खियां बटोरना

साल 2014 में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने से पहले, अमृता को एक्सिस बैंक की एक ऐसी कर्मचारी के रूप में जानी जाती थीं, जिसकी शादी एक होनहार राजनेता से हुई है. लेकिन, मुंबई में रहने के आठ सालों के दौरान नागपुर में जन्मी यह लड़की कान्स में रेड कार्पेट पर चलने, दावोस में मीडिया को साक्षात्कार देने, और संगीत वीडियो जारी करने के साथ एक सोशलाइट के रूप में बदल गई हैं.

साल 2019 में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद अमृता ने हर बड़े मुद्दे पर हो रही बहस में अपना योगदान दिया. साल 2020 में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद, अमृता ने कहा था कि मुंबई अब रहने के लिए एक सुरक्षित जगह नहीं रह गई है. इसके लिए उन्हें उसी पुलिस बल की तरफ से कटु आलोचना का सामना करना पड़ा जो उनकी रक्षा कर रही थी.

फिर शिवसेना के साथ अभिनेत्री कंगना रनौत की जंग में अमृता ने परोक्ष रूप से रनौत का साथ दिया था, हालांकि बीजेपी ने इस विवाद से खुद को दूर कर लिया था. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की आलोचना करते हुए अमृता ने कहा था, ‘आलोचकों के पोस्टर को चप्पल से पीटना एक नए निम्न स्तर वाला काम है.’

उन्होंने ठाकरे परिवार के उत्तराधिकारी आदित्य ठाकरे की ‘ककून में छुपा कीड़ा’ कह के उनकी आलोचना की, शराब की दुकानें और बार खोलने के बावजूद कोविड -19 महामारी के दौरान मंदिरों को बंद रखने के लिए एमवीए सरकार पर जमकर बरसीं, और इस साल अप्रैल में मस्जिदों के ऊपर लगे हुए लाउडस्पीकरों को लेकर पनपे विवाद के दौरान उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कुछ सीखने की ओर इशारा किया था.

उन्होंने ट्वीट किया था, ‘ऐ भोगी, कुछ तो सीख हमारे ‘योगी’ से.’

उन्होंने कुछ कड़े रुख भी अपनाये, जैसे कि सरकार से सेक्स वर्क (यौन कर्म) को एक पेशे के रूप में वैध करने की मांग करना, और मुंबई पुलिस की तरफ से उन्हें वाई + सुरक्षा दिए जाने के बावजूद अपने लिए तैनात ‘ट्रैफिक क्लीयरेंस वाहन’ को यह कहते हुए वापस लेने के लिए कहना कि वह ‘एक आम नागरिक की तरह जीना चाहती हैं.’

बीजेपी नेताओं का कहना है कि फडणवीस कभी भी अपने आप को अमृता के सार्वजनिक रुख के साथ नहीं रखते. वह हमेशा इस बात पर कायम रहते हैं कि उनकी पत्नी का अपना खुद का व्यक्तित्व है और वह उन्हें यह बताने वाले कोई शख्श नहीं है कि उन्हें क्या करना है.

सिर्फ एक बार के लिए यह भाजपा नेता उस समय थोड़े से चिढ़ गए थे, जब लाउडस्पीकर वाले मसले पर चल रहा विवाद जोरों पर था और उनकी पत्नी उसमें कूद पड़ीं थीं.

इस साल मई में नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उस समय राज्य में विपक्ष के नेता रहे देवेंद्र फडणवीस ने कहा था : ‘मुख्यमंत्री उद्धव जी और मेरी पत्नी में एक समानता है. उद्धवजी ताना मारना बंद नहीं करते, और मेरी पत्नी अनुचित टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देना बंद नहीं करती हैं.’

अनुवाद: रामलाल खन्ना

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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