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जब भारत कोरोनावायरस से जूझ रहा है, मैं प्रधानमंत्री मोदी से ये पांच सवाल पूछना चाहूंगी

यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री को सिर्फ एकालाप करना भाता है. पर ये वक्त चुनाव या विरोधियों पर कीचड़ उछालने का नहीं है, बल्कि इस समय भारत महामारी का सामना कर रहा है.

पीएम मोदी लॉकडाउन 2.0 को लेकर देश को संबोधित करते हुए | बीजेपी ट्विटर

भारत का सबसे ताक़तवर व्यक्ति कोरोनावायरस महामारी की राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा के दौरान हम भारतीयों के साथ संवाद करने के लिए तैयार नहीं है. छह साल हो गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी आत्मसंवाद ही पसंद करते हैं. ‘मोदी जी आपसे मेरा ये सवाल है’ बोलने की कल्पना मात्र से हममें से कई लोग रोमांचित हो जाते होंगे. ये भारतीय मीडिया पर मोदी की चुप्पी का प्रभाव है.

कई पत्रकारों और राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए नरेंद्र मोदी का एक खुला और स्वत:स्फूर्त संवाददाता सम्मेलन किसी सुखद कल्पना जैसा है. हालांकि, यह कल्पना अब एक आवश्यकता में बदलते जा रही है. हम चुनावी मौसम में नहीं हैं. ये राजनीतिक दलों के बीच कीचड़ उछालने के खेल का वक्त भी नहीं हैं. हम एक महामारी के दौर में हैं. एक ऐसी महामारी जो तेज़ी से फैल रही है, जिसा कोई इलाज नहीं है और जिसने भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल के रख दी है. लोग या तो कोविड-19 की वजह से या फिर राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के कारण भूख से मर रहे हैं. हमें कठिन सवाल पूछने की जरूरत है, भले ही ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिए जाने का जोखिम हो.

हर नेता — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से लेकर जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल तक — सवालों के जवाब दे रहा है और जनता के लिए खुद को हाजिर कर रहा है.


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तो, ये रहे पांच सवाल जो मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहती हूं. उम्मीद है कि ये सवाल उन तक पहुंच सकेंगे और इनके जवाब आएंगे.

क्या भारत में ‘जुगाड़’ से ही काम चलेगा? पीपीई कहां हैं?

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चिकित्कसार्मियों से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों या पीपीई के बिना कोरोनावायरस से लड़ने की उम्मीद करना, सौनिकों को बिना गोला-बारूद के युद्ध में झोंकने जैसा है. पीपीई की खरीद के लिए अधिकृत सरकारी निकाय एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड के अनुसार, भारत को एक मिलियन पीपीई की आवश्यकता है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत को 17 मिलियन पीपीई चाहिए और उसकी आपूर्ति के लिए ऑर्डर कर दिए गए हैं. हम किस पर भरोसा करें?
क्यों अग्रिम पंक्ति के हमारे कार्मिकों — चिकित्साकर्मी और पुलिस — को एन95 मास्क और सैनिटाइज़र नहीं दिए जा रहे हैं? हम सर्जिकल या कपड़े के मास्क के सक्षम साबित होने की अपेक्षा क्यों कर रहे हैं? क्या स्वास्थ्य आपदा के समय भी भारत को ‘जुगाड़’ से ही काम चलाना पड़ेगा?

हम एक साधारण वजह से फ्रंटलाइन पर तैनात अपने कार्मिकों को खोने का जोखिम नहीं ले सकते: यदि अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 की चपेट में आने लगे, तो मरीजों को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा, और अंतत: अस्पताल को भी बंद करना पड़ा सकता है. तीन डॉक्टरों और 26 नर्सों के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद मुंबई के वोक्हार्ट अस्पताल को बंद करना पड़ा था. अस्पताल को एक कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया और 300 स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारेंटाइन करना पड़ा. क्यों? क्योंकि उन्हें पीपीई नहीं दिए गए थे और सर्जिकल मास्क से काम चलाने के लिए कहा गया था, जोकि जाहिर है उन्हें सुरक्षित नहीं रख पाया.

इसी तरह ट्रॉमा सेंटर के 65 कर्मचारियों के कोविड-19 के एक मरीज के संपर्क में आने के बाद लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को भी बंद करना पड़ा था.


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पंजाब के एक अस्पताल में 45 डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों ने तब इस्तीफा दे दिया जब वहां पीपीई की अनुपलब्धता के कारण एक सीनियर डॉक्टर कोविड-19 से संक्रमित हो गया.

इसी तरह दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान (डीएससीआई) को भी दो डॉक्टरों और 16 नर्सों के कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद बंद करना पड़ा.

मोदीजी, ये लिस्ट अंतहीन है. मेरा सवाल पहले ही बड़ा हो चुका है. इसके लिए तो शायद मुझे कल्पना में हो रहे इस संवाददाता सम्मेलन से बाहर निकाला जा सकता है.

अमित मालवीय अब भी चुनावी रंग में क्यों हैं?

प्रधानमंत्री मोदी, क्या आप इस बात से अवगत हैं कि आपने जिसे अपने आईटी सेल का प्रभारी बनाया है वो कैलेंडर नहीं देखता? क्या कोई कृपा कर अमित मालवीय को सूचित करेगा कि हम अप्रैल 2020 में हैं और मई 2019 बहुत पहले बीत चुका है, और भाजपा प्रचंड बहुमत से जीत चुकी है? और मध्य प्रदेश भी वापस आपकी झोली में आ चुका है. वह पिछले तीन महीनों से एक तरह की ‘इस्लामी बगावत’ का हौवा खड़ा कर रहे हैं, क्योंकि नया खलनायक कोरोनावायरस है – और उसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं है.

ये अच्छा होगा अगर मालवीय अपने 32 लाख व्हाट्सएप ग्रुप सदस्यों का उपयोग मुसलमानों के खिलाफ लगातार झूठी बयानबाज़ी के ज़रिए वैमनस्य और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के बजाय राहत और जागरूकता अभियानों के लिए करें. हम जानते हैं कि पुरानी आदतें मुश्किल से मरती हैं, पर कृपया भारत से इस महामारी की विदाई तक नफ़रत फैलाने के अपने काम को रोक दें. और केवल प्रधानमंत्री मोदी ही इस समय मालवीय को ‘हम मुसलमानों से घृणा करते हैं‘ के रपटीले रास्ते से हटा सकते हैं.

‘गोमूत्र के हैंड सेनेटाइज़र’ पर शोध कैसा चल रहा है?

असम की बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया का कहना है कि अगर किसी स्थान पर गोमूत्र का छिड़काव किया जाए, तो यह किसी सेनेटाइज़र की तरह ही उस स्थान को शुद्ध कर देता है. उन्होंने कहा: ‘हम सभी जानते हैं कि गाय का गोबर बहुत उपयोगी होता है. इसी तरह, जब कहीं गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है, तो यह उस जगह को शुद्ध करता है… मेरा मानना है कि कोरोनावायरस (रोग) के उपचार के लिए भी गोमूत्र और गोबर का कुछ ऐसा ही उपयोग किया जा सकता है.’

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभ कथीरिया, जो एक समय गुजरात के स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे, ने कहा है कि ‘गोमूत्र बैक्टीरिया का नाश करता है और यह निश्चय ही कोरोनावायरस से निपटने में मददगार साबित होगा’. वैसे तो वो खुद एक सर्जन हैं, लेकिन उन्हें ये याद दिलाना सही रहेगा कि बैक्टीरिया और वायरस एक नहीं होते हैं.


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समस्या ये है कि लाचार भारतीय इन अधकचरे विशेषज्ञों पर भरोसा करते हुए उनकी बातों को फैलाने लगते हैं. हमें लगता था कि सरकार कोरोनावायरस के बारे में झूठी खबरें फैलाने वालों को गिरफ्तार करेगी.

वास्तव में, बंगाल में नारायण चटर्जी नामक एक बीजेपी कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया भी गया था, जब चटर्जी की गोमूत्र पार्टी में गोमूत्र पीकर बीमार पड़े एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन बीजेपी महासचिव सायंतन बसु अभी भी ये कहते हुए चटर्जी का बचाव करते हैं कि ‘ये साबित नहीं हुआ है कि ये नुकसानदेह है या नहीं’.

कहां हैं हमारे गृह मंत्री – अमित शाह?

हां, इस बारे में इतना ही. सवाल में छुपा बयान ही पर्याप्त है.

क्या थाली-ताली-दीया पर सवाल उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को गालियां देने में देर नहीं करने वाले आपके असल वोटर – मध्य वर्ग – लॉकडाउन के कारण भूख, थकान या कोरोनावायरस की भेंट चढ़ने वाले प्रवासी मज़दूरों की जगह लेने के लिए आगे आएंगे? गरीबों के लिए मोदी सरकार की तैयारी कहां है? यदि सब कुछ नरेंद्र मोदी के असल वोटरों – भारतीय मध्य वर्ग – के भरोसे छोड़ दिया जाए तो 3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था एक कल्पना ही रह जाएगी.

यदि इसको वास्तविकता बनानी है, तो इसे मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों की मदद से पूरा करना होगा जो अपना पसीना बहाकर गगनचुंबी इमारतों और 8-लेन वाले राजमार्गों का निर्माण करते हैं, जोकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मोटी पगार वाली नौकरियां करने वाले मध्य वर्ग के काम आते हैं. गरीबों का सम्मान करें. हमारी जनशक्ति हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है. यदि हम उन्हें भूख या कोविड या बेरोजगारी की भेंट चढ़ने देते हैं, तो भारत में एक ऐसा शून्य पैदा होगा, जिसे सुविधाभोगी नवधनाढ्य कभी नहीं भर सकते.

आपके जवाब का इंतज़ार है, प्रधानमंत्री जी।

(लेखिका एक राजनीतिक विश्लेषक हैं. व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

9 टिप्पणी

  1. यह महोदया भी किसी खतरनाक राजनीतिक वायरस से संक्रमित लग रही हैं जितने भी इस महोदया ने सवाल उठाये उनका जवाब कोई दुधमुहा बच्चा भी दे देगा पर इन महोदया का ध्यान कहीं और हैं , बस मोदी जी को सुबह शाम पानी पी पीकर कोसना , वह क्या कर रहे है ? क्यों कर रहे है ? किसके लिए कर रहे है ? यह किसी से भी छुपा नहीं है , अमेरिका , इटली , फ्रांस , स्पेन , चीन जैसे विकसित देशों की हालत देख कर भारतवासी समझ सकते है कि उन्होंने जो भी किया सर्वोत्तम किया और जो भी करेंगे सर्वोत्तम ही करेंगे , जयहिंद जय भारत

    • जो अपना नाम तक ज़ाहिर न होने दे ,उसे नज़रअंदाज़ करना ठीक रहेगा

  2. निहायत नकारात्मक एवम् दुराग्रह भरा लेख।

  3. Aa ne vale time ko shambhalo corona ko feline set roko her hindustani sanje is bat ko isme rajniti mat karo sarkar sahi kar rahi hey

  4. Have you ….always like this…. From childhood being in so much of hatered…..I saw you in the print YouTube channel and my god you were at full throttle of communalism, and making a joke of Secularism……
    And some happen here too…. Did you notice what’s the ratio of…. Tablighi jammat and all over cases… initially it was almost 60% as of now
    30 % and as the people will came in contact of these people there ratio will decrease.
    But my so called secularism Jo apka apni community ko favour krne may nafrat failne may lagta hai ….please ye na Kare ….apka Allah bhi agar hoga to maaf ni karega….have some humanity….dude.
    Have a good life ahead take care.
    – proud Indian Hindu. ( As u guys say….Indian Muslim)

    • One more thing I will challenge you for an open debate…..on history…politics….science and technology….or any other field ….you choose….I will debate….. Ab iska replyy kr dena ….PM toh bussy honge is liye tumhe time ni de skte …I hope you will not treat me….same.
      Your day ….your time.
      My mail id. mnshshrm77@gmail.com.

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