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इमरान खान से ‘तूफान’ फिरदौस तक- पाकिस्तान सरकार को काम करते हुए दिखाने के लिए दो स्ट्रीट विज़िट

पाकिस्तान की सभी पार्टियों के सियासतदानों ने अतीत में रमज़ान महीने का इस्तेमाल PR के कामों के लिए किया है लेकिन सिर्फ इमरान खान ही ऐसे परस्पर-विरोधी शो का मुज़ाहिरा करने में कामयाब हुए हैं.

इस्लामाबाद में कोरांग क्रिकेट ग्राउंड में विजिट के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान । फोटोः ट्विटर । @PakPMO

पिछले साल, हम इस समय उस तूफान की बात कर रहे थे, जिसका नाम ‘कर्नल की बीवी’ था. इस साल हमारे सामने ‘तूफान’ फिरदौस है, जिसने पाकिस्तानी लोगों की ध्यान अपनी तरफ खींचा है.

हुआ यूं कि पंजाब के वज़ीरे आला की सलाहकार, डॉ फिरदौस आशिक़ वान ने, जो सियालकोट में एक स्पेशल रमज़ान बाज़ार के दौरे पर थीं, एक दुकान में मौजूद कुछ फलों की ख़राब क्वालिटी को लेकर, एक असिस्टेंट कमिश्नर को फटकार लगा दी. फिरदौस उन पर भड़ गईं, हालांकि उनके साथ ऐसा पहली बार नहीं था, और उन्होंने बिक्री पर रखे ‘थर्ड क्लास फल’ को लेकर, सोनिया सदफ की क्लास लगा दी. ‘आप कोई आसमान से उतरी हुई हैं? ‘आपकी हरकतें ही नहीं हैं एसी वाली’ और ये भी कि ‘किस बेग़ैरत ने आपको लगाया है, उससे पूछते हैं’. इस तरह के जुमले थे जिनसे सीएम की सलाहकार ने, उस अफसर को बेइज़्ज़त किया.

ज़ाहिरी तौर पर हैरान रह गई सदफ ने, पहले तो शांति के साथ अवान को समझाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम होने पर, उन्होंने वहां से निकल जाना ही बेहतर समझा. अफसर के लिए अवान का विदाई जुमला था, ‘आप वीआईपी हैं, जाकर ड्रॉइंग रूम में बैठिए’.


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‘निडर’ अवान, एक आदी मुल्ज़िम

अवान ने जो सारा बखेड़ा खड़ा किया, उसे बयान करने के लिए, गंवार के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं हो सकता. ये एक अलग बात है कि उस सस्ते बाज़ार में, खाने की चीज़ें ‘थर्ड क्लास’ थीं कि नहीं, बात ये है कि एक सरकारी नुमाइंदे को, इस तरह का बर्ताव बिल्कुल शोभा नहीं देता. आप खुले आम किसी अफसर की बेइज़्ज़ती नहीं कर सकते, सिर्फ इसलिए कि आपको लगता है, कि आपके पास इतनी ताक़त है, कि आप ऐसा करके निकल सकते हैं.

यक़ीनन इस बर्ताव से बचा सकता था, भले ही लोगों के सामने ये जताने के लिए ऐसा किया गया हो- देखिए, आपकी तकलीफों के लिए मैं इस अफसर को डांट रही हूं, चाहे इसका मतलब उसे ख़ुले आम बेइज़्ज़त करना हो- लेकिन उनकी हरकत से इससे ज़्यादा कुछ नज़र नहीं आता, कि एक आला सरकारी अफसर अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करने का हक़ रखता है. क्या उनके इस बर्ताव से इसकी गारंटी हो जाएगी, कि अब से जो भी ग्राहक सस्ता बाज़ार जाएगा, उसे फर्स्ट क्लास फल मिलेंगे? ऐसा कोई इमकान नहीं है.

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अवान का विवादों से पुराना नाता रहा है. मिक्स्ड अचार राजनेता (आप दबबदलू भी कह सकते हैं) आवान ने अपना सियासी सफर, पाकिस्तान मुस्लिम लीग क़ायदे आज़म पार्टी से शुरू किया था, जिसे जनरल परवेज़ मुशर्रफ सत्ता में लाए थे. 2008 में वो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं, और अब- 2018 के आम चुनावों में अपनी सीट जीते बिना- पाकिस्तान तहरीके इंसाफ की एक सक्रिय नेता हैं.

ये उनका पांचवा ऐसा विभाग है, और वो किसी चीज़ से नहीं रुकतीं. पीपीपी सरकार में समाज कल्याण मंत्री होने के नाते, उन्होंने बिजली पर आधारित उद्योगों में, हफ्ते में दो दिन की छुट्टी के प्रस्ताव का, ये कहते हुए विरोध किया था, कि इससे ‘जनसंख्या विस्फोट’ हो जाएगा, क्योंकि लोग घर पर होंगे, और उनके पास कोई काम नहीं होगा. जनसंख्या विस्फोट की चिंता करना, और लोगों का खुलेआम मज़ाक़ उड़ाना उन्हें ख़ूब आता है.

पिछले साल ही एक कोविड राहत कार्य के दौरान, उन्हें आठ बच्चों की एक ग़रीब मां से कुरेदते हुए देखा गया था: ‘तुम्हारा शौहर और क्या करता है, ‘इस काम’ के अलावा?’. फिर 2019 में, जब वो वज़ीरे आज़म इमरान ख़ान की स्पेशल असिस्टेंट थीं, तो हाल ही में आए भूकंप पर, उनकी ये कहने के लिए आलोचना हुई थी, कि जब ‘तब्दीली आती है, तो ज़मीन हिलती है’. पीटीआई की सूचना मंत्री होने के नाते, एक बार उन्होंने एक न्यूज़ एंकर से कह दिया था, कि वो उससे नहीं डरतीं.

ज़ाहिर है वो किसी भी डर भी नहीं सकतीं, सन्नी देओल से भी नहीं. यही वजह है कि करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर, उन्होंने देओल से कह दिया था, कि वो राजनीति में ज़रूर हैं, लेकिन राजनेता नहीं हैं. ज़ाहिर है देओल कोई अवान नहीं हैं. उनके बारे में अब कोई कुछ भी कहे, सच्चाई ये है कि फिरदौस आशिक़ अवान बनाम एसी सियालकोट की तू-तू मैं-मैं ने, एक गीत का रूप ज़रूर ले लिया. अब भला एक नया गाना किसे अच्छा नहीं लगता.


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पार्श्व संगीत के साथ नंबर बनाना

अब बढ़ते हैं एक और साउण्डट्रैक की तरफ. उसी घटनापूर्ण रविवार को, जब अवान खुलेआम असिस्टेंट कमिश्नर की तौहीन कर रहीं थीं, इस्लामाबाद में वज़ीरे आज़म इमरान ख़ान, ‘बिना किसी प्रोटोकोल’ के अपने दौरे पर निकले हुए थे. एक भावुक बैकग्राउंड म्यूज़िक के साथ, हमने बीएमडब्लू चलाते हुए पीएम की तस्वीरें देखीं, जो लोगों को मास्क पहनने के लिए कह रहे थे, उनसे बातचीत कर रहे थे, सड़क किनारे विक्रेताओं और स्टॉल मालिकों पर चीख़ नहीं रहे थे.

एक समय तो उन्हें एक अलग-थलग जगह देखा गया, वो खड़े हुए थे, कहीं जा नहीं रहे थे. हमारे ज़्यादातर इतवार ऐसे ही गुज़रते हैं, बस कैमरा नहीं होता. इस अहम मौक़े पर हमें बताया गया, कि पीएम ख़ान सभी लाल बत्तियों पर रुके थे, भला ऐसा भी कोई करता है? बल्कि अफवाहें तो ये भी हैं, कि वज़ीरे आज़म हरी बत्ती पर भी आगे नहीं बढ़ रहे थे. अब ये ज़रूर एक ऐसी चीज़ है, जिसे हासिल करने की, हम सब ख़्वाहिश कर सकते हैं.

रमज़ान के महीने में सरकारी अफसरों की तरफ से की जाने वाली, ये पीआर ड्राइव एक बहुत पुरानी रिवायत है, जिसे पीएमएल (एन) से पीपीपी तक, पुरानी सभी पार्टियां करतीं थीं. लेकिन उनमें से कोई भी आज की सरकार जैसा परस्पर-विरोधी शो नहीं कर सकी, जब खाने की चीज़ों के दाम आसमान छू रहे हैं, लेकिन ‘बिना प्रोटोकोल’ बाहर घूम कर लोगों को दिलासा देने, और असिस्टेंट कमिश्नरों को फटकार लगाने को, काफी समझ लिया जाता है.

हाल ही में जब पीएम ने विदेशों में तैनात पाकिस्तानी राजदूतों को, खुलेआम फटकार लगाई और उनसे कहा, कि ‘औपनिवेशिक काल के अपने रवैयों को छोड़ दें’, तो उसे भी लोगों की नज़र में ऊपर उठने के लिए, नौकरशाही पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है. हम बस यही कह सकते हैं, कि काश ऐसी चालबाज़ियों से चीज़ों की क़ीमतें कम हो जाएं, और रमज़ान बाज़ार में भी, एक किलो चीनी ख़रीदने के लिए लगीं, लोगों की लंबी क़तारें छोटी हो जाएं.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह @nailainayat हैंडल से ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार उनके निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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