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शेख शाहजहां का घमंड चिंताजनक है, वह बहुत जल्द फिर से वापस आ सकता है

अगले कुछ महीनों में चुनाव अभियान यह दिखाएगा कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद जिस व्यक्ति की बॉडी लैंग्वेज से घमंड और अति-आत्मविश्वास की बू आ रही थी, वह टीएमसी के लिए फायदेमंद रहा या नुकसानदायक.

संदेशखाली गांव में यौन हिंसा और जमीन हड़पने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां को गुरुवार, 29 फरवरी, 2024 को उत्तर 24 परगना की बशीरहाट अदालत में पेश करने के लिए ले जाते हुए। पीटीआई

संदेशखाली में डोल, दुर्गा पूजा और दीवाली जल्दी आ गई. गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की जानकारी मिलने पर स्थानीय महिलाओं ने खुशी मनाई और शंखनाद किया. पुरुषों ने चॉकलेट बम फोड़े और मिठाइयां बांटीं, और कई रंगों के अबीर हवा में उड़ाए गए. संदेशखाली के लिए यह एक यादगार दिन था. पश्चिम बंगाल बारो माशे तारो परबों  यानि कि 12 महीनों में 13 त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है. अब संदेशखाली में 14 त्यौहार हैं, जो जश्न मनाने का एक नया कारण है.

लेकिन क्या वे शाहजहां की गिरफ्तारी की अगली सालगिरह भी मना पाएंगे? ऐसा करने के लिए, वहां रहने वालों को तकनीकी रूप से अगले लीप वर्ष के लिए चार साल तक इंतजार करना होगा, यानी कि 2028 का. लेकिन अगर वे 28 फरवरी या 1 मार्च 2025 को एक नकली सालगिरह मनाने का फैसला करते हैं, तो भी क्या वे सालगिरह मनाने में सक्षम हो पाएंगे? खास कर यह देखते हुए कि गिरफ्तारी के बाद शाहजहां जिस तरह अदालत के अंदर और बाहर घूमता रहा था, वह बहुत जल्द वह वापस आ सकता है.

छह साल के लिए टीएमसी से निलंबन? सपना है. उसी उत्तरी 24 परगना जिले में एक और मजबूत टीएमसी नेता अराबुल इस्लाम को कुछ समय पहले छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन कथित तौर पर डेढ़ साल में उसे फिर से पार्टी में वापस ले लिया गया. शाहजहां के लिए भी फिर से निश्चित रूप से इसी इतिहास को दोहराया जाएगा, खास तौर पर अगर टीएमसी लोकसभा चुनाव में 22 सीटों पर फिर से कब्जा कर लेती है तो. यदि उसकी सीटों का आंकड़ा कुछ होता है और भाजपा की सीटें बढ़कर 18 से ज्यादा हो जाती हैं, तो शाहजहां आसरा ढूंढने के लिए कहीं और पनाह ले सकता है. जैसा कि उसने अपने पहले के पनाहगाह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ किया था, जब पार्टी के पास से सत्ता चली गई थी.

जब शाहजहां अदालत की ओर जा रहा था, तो उसने प्रश्न पूछने वाले पत्रकारों की ओर अपनी तर्जनी उंगली (Index finger) दिखाई. भले ही उसने बीच की उंगली का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन मैं मैसेज को साफ पढ़ पा रही थी: वह वापस आएगा.

शाही खातिरदारी क्यों?

बंगाल में टीएमसी नेता की बॉडी लैंग्वेज की तीखी आलोचना हो रही है, जिससे पता चलता है कि कठिन समय में भी राज्य ने अपना सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं खोया है. और जहां उचित है मुझे इसका श्रेय अवश्य देना चाहिए.

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बंगाली समाचार चैनल एबीपी आनंद की स्टार एंकर सुमन डे ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे शाहजहां के साथ आए पुलिस अधिकारियों का दल अचानक से अटेंशन मोड में आ गया और उसे सैल्यूट करने जा रहा है. लेकिन नहीं, किसी ने नहीं किया, उन्होंने झट से कहा.

आमतौर पर गंभीर स्वभाव वाले भारतीय जनता पार्टी के राज्य प्रमुख सुकांत मजूमदार ने भी मज़ाकिया लहज़े में कहा, ऐसा लग रहा था जैसे शाहजहां को पुलिस गिरफ्तार करके कोर्ट न ले जा रही हो बल्कि शाहजहां ही पुलिस को किसी अदृश्य रस्सी से बांधकर उन्हें घसीटते हुए अदालत में ले जा रहा हो.

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस पर पलटवार करते हुए कहा: “बॉडी लैंग्वेज के बारे में बात कौन कर रहा है? भाजपा? आप उनसे लंदन में घूम रहे और शैंपेन पीते नीरव मोदी की बॉडी लैंग्वेज के बारे में क्यों नहीं पूछते?”

मैंने शाहजहां की अदालत में पेशी के फ़ुटेज को हैरत से देखा. यहां, मैंने सोचा, यह वही आदमी है जो 55 दिनों से भाग रहा था, जिसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने किसी सुपर-गुप्त छिपने के स्थान से खोज निकाला है, जहां उसे न तो खाना मिलता था, न पानी और न ही साफ कपड़े. और शेविंग? वह क्या है?

कुछ दिनों बाद, इस आदमी को एक चमचमाती सफेद पुलिस एसयूवी में धकेल के बैठाया जा रहा था, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उसे एक काफिले में कोलकाता ले जाने के लिए उसके पीछे वाली गाड़ी में बैठ रहे थे. वहां, पुलिसकर्मी उसे पुलिस मुख्यालय भवानी भवन तक ले जाने के लिए कतार में खड़े थे. क्षण भर के लिए, मैंने सोचा कि वे उसे तुरंत गार्ड ऑफ ऑनर दे देंगे.

मैं यह जानना चाहती हूं कि उन टूटी-फूटी नीली पुलिस वैन्स का क्या हुआ, जिनकी खिड़कियों पर लोहे की जाली लगी हुई होती है, और जो आमतौर पर गिरफ्तार लोगों को अदालत तक ले जाने के लिए तैनात की जाती हैं. क्या वे सभी पुलिस वैन बशीरहाट कोर्ट और भवानी भवन के बीच खराब हो गईं? आखिर बेचारे शाहज़हां के साथ इस तरह का भेदभाव क्यों किया गया?

सही समय पर गिरफ्तार कर लिया गया

वैसे भी शेख शाहजहां झोली में हैं. और ठीक समय पर भी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय के बाद पश्चिम बंगाल में अपनी पहली सार्वजनिक रैली के लिए आरामबाग में उतरेंगे. वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से यह मांग नहीं कर पाएंगे कि शाहजहां 55 दिनों तक पुलिस से कैसे बचता रहा. टीएमसी कम से कम एक कठिन सवाल का पहले ही जवाब देने में कामयाब रही.

लेकिन 1 और 2 मार्च को आरामबाग और कृष्णानगर की रैलियों में संदेशखली निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की बातचीत का केंद्रीय बिंदु होगा. दोनों आयोजन स्थल संदेशखाली से मीलों दूर हैं. हालांकि, बारासात, जहां मोदी 6 मार्च को भाषण देंगे, संदेशखाली के काफी करीब है और उम्मीद है कि वहां लोग इस क्षेत्र से ज़रूर मौजूद रहेंगे. बंगाल बीजेपी संदेशखाली से ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. मोदी के दौरे से इसमें ज़रूर मदद मिलनी चाहिए.

पीएम के दौरे ने बीजेपी के प्रतिद्वंद्वियों को चुनावी मोड में आने के लिए मजबूर कर दिया है. टीएमसी कोलकाता के प्रतिष्ठित ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक मेगा रैली आयोजित करेगी. भाजपा शाहजहां के घर संदेशखाली और पड़ोसी मिनाखान में एक-एक रैली करेगी, जहां उसे पकड़ा गया था. सीपीआई-एम संदेशखाली में 10 अलग-अलग बैठकों की योजना बना रही है.

यह सब एक ही दिन, 10 मार्च को होने जा रहा है, शाहजहां के सुर्खियों में आने और फिर गायब होने के दो महीने और पांच दिन बाद. अगले कुछ महीनों में चुनाव अभियान यह दिखाएगा कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद जिस व्यक्ति की बॉडी लैंग्वेज से घमंड और अति आत्मविश्वास की बू आ रही थी, वह टीएमसी के लिए फायदेमंद रहा या नुकसानदायक. या कि एक राक्षस साबित होता है जिसके लिए टीएमसी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

(लेखिका कोलकाता स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका एक्स हैंडल @Monidepa62 है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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