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मगरमच्छ प्रेमी, फकीर, अब बीयर ग्रिल्स के लिए बने मैन ऑफ वाइल्ड – मोदी और उनका बदलता स्वरूप

कुशल राजनीतिज्ञ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मुखौटों के साथ जीते हैं. अपने समर्थकों के सामने वो कुछ और होते हैं तो वहीं चुनाव के समय वोटरों के सामने कुछ और. वो लगातार अपने कामों के अनुसार खुद को बदलते रहते हैं.

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फोटो- डिस्कवरी चैनल

कुशल राजनीतिज्ञ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मुखौटों के साथ जीते हैं. अपने समर्थकों के सामने वो कुछ और होते हैं तो वहीं चुनाव के समय वोटरों के सामने कुछ और. वो लगातार अपने कामों के अनुसार खुद को बदलते रहते हैं. कभी वो मगरमच्छ को बचाने वाले, कभी हाथों में झाड़ू थामे, कभी तीर्थयात्री, कभी ड्रम बजाने वाले तो कभी चौकीदार. हर बार वो जनता के सामने नए चीजों के साथ जाते हैं। इस बार वो डिस्कवरी चैनल पर मैन वर्सिस वाइल्ड में बीयर ग्रिल्स के साथ जंगलों में घूमते नजर आए.

इस कार्यक्रम का प्रसारण सोमवार रात को डिस्कवरी चैनल पर किया गया. बीयर ग्रिल्स नरेंद्र मोदी को जंगलों में कैसे रहा जाए, जानवरों से कैसे खुद को सुरक्षित रखा जाए ये सब बता रहे थे. रबर की नांव पर नदी पार करते हुए मोदी बीयर ग्रिल्स से अपनी जिंदगी, राजनीति, पर्यावरण को बचाने की जरुरत और देश के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बात कर रहे थे. सबसे मनोरंजक मोदी और ग्रिल्स के बीच हो रहा संवाद था. जिसमें मोदी हिंदी में बात कर रहे थे और ग्रिल्स सिर्फ अपना सर हिला रहे थे.

ग्रिल्स मोदी को हीरो कहते हैं. जवाब में मोदी संस्कृत का एक श्लोक सुनाते हैं. जिसमें वो बताते हैं कि भारत दुनिया को एक परिवार मानता है. पूरे कार्यक्रम में मोदी प्रकृति के प्रति अपनी सहजता दिखाते हैं.

बचपन में मोदी निडर और मगरमच्छ प्रेमी थे

अगर हम नरेंद्र मोदी के पिछले कुछ अवतारों की बात करें तो इस बार का अवतार कहीं ज्यादा मनोरंजक और अलग है. जब नरेंद्र मोदी छोटे थे या यूं कहें कि बाल मोदी तब वो निडर मगरमच्छ प्रेमी थे. एक कॉमिक किताब – बाल नरेंद्र : चाइल्डहुड स्टोरिज ऑफ नरेंद्र मोदी के अनुसार मोदी एकबार अपनी मां के पसंद न करने के बावजूद मगरमच्छ का बच्चा घर ले आए थे. किताब में इस बात का भी जिक्र है कि मगरमच्छों से भरे तालाब में मोदी तैराकी करके झंडा फहराने मंदिर जाया करते थे. ये फिक्शन कहानी भी काफी अजीब है. बाकी आप खुद सोच लीजिए इस बारे में.

बाल मोदी बड़े होकर भारतीय राजनीति में अपनी जगह बनाते हैं और कुछ दशकों के बाद वो गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं। उसके बाद सभी चुनौतियों को पार करते हुए वो देश के प्रधानमंत्री बनते हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद वो कई अवतारों में नजर आते हैं. अपना पी-आर करने के लिए, नए प्रकार से इतिहास गढ़ने के लिए और नए प्रकार से राजनीति करने के लिए उनकी छवि बन जाती है.

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सभी राजनेता बात करना पसंद करते हैं लेकिन मोदी मानो उपदेश देते हैं, जो उन्हें अलग करता है. इस बात के लिए चुनावी सभा में उन्हें काफी मौका मिलता है लेकिन वो इतने भर से ही संतुष्ट नहीं होते. हर महीने उपदेश देने के लिए मोदी मन की बात कार्यक्रम शुरु करते है. इन कार्यक्रमों में मोदी जल संरक्षण, योगा की महत्ता, त्योहारों का महत्व के बारे में बताते हैं.

मोदी 2018 में सोचते हैं कि देश के बच्चों को उनकी काफी जरुरत है इसलिए उन सभी की मदद के लिए प्रधानमंत्री एग्जाम वॉरियर किताब के साथ आते हैं. मन की बात के कई कार्यक्रमों में नरेंद्र मोदी बच्चों को संबोधित करते हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद शिक्षक दिवस पर उन्होंने बच्चों को लेकर विशेष कार्यक्रम किया था. परीक्षा पर चर्चा जैसी चीजें भी मोदी करते रहते हैं जिसमें छात्रों और शिक्षकों से वो संवाद करते हैं.

कुछ-कुछ नेहरू जैसे बनना चाहते हैं मोदी

नरेंद्र मोदी लगातार देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु की आलोचना करते हैं. लेकिन बच्चों से उनका लगाव ये साबित करता है कि वो नए भारत के चाचा नेहरू बनना चाहते हैं.

मोदी संगीत में भी अपना हाथ अजमाना नहीं छोड़ते. मोदी की ड्रम बजाते हुए वीडियो काफी चर्चित हुई थी। सितंबर 2014 में टोकियो के आधिकारिक दौरे पर वो जपानी ड्रम टीम के साथ ड्रम बजा रहे थे. चार साल बाद उन्होंने इस प्रदर्शन को राजस्थान में चुनावी सभा के दौरान दोहराया.

नेहरु और गांधी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने देश में स्वच्छता मिशन चलाया. मोदी ने खुद अपने हाथों में झाड़ू लेकर इस मिशन की शुरुआत की. मोदी ही अकेले ऐसे शख्स हो सकते हैं जो सूट पहनकर खुद को फकीर बताए.

नवंबर 2016 में नोटबंदी के कुछ हफ्तों के बाद भी जब देश के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था तब मोदी सामने आते हैं और कहतें हैं कि वो तो फकीर आदमी है. 2016 के दिसंबर में एक सभा में फकीर मोदी कहते हैं, ‘भ्रष्टाचार पर लिए उनके कठोर कदम के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.’

मोदी लगातार इस तरीके के नए शब्द गढ़ते रहते हैं. एक बार प्रसून जोशी ने जब मोदी से पूछा कि आप ये फकीरी लाते कहां से हैं तो मोदी ने एक और नया शब्द गढ़ दिया. उन्होंने कहा,’ कि वो कामदार हैं जो काम करने में विश्वास रखता है न कि नामदार.’

सभी अवतारों को पीछे छोड़ते हुए मोदी केदारनाथ में एक नए अवतार में सामने आते हैं. एक लंबे भगवा रंग के कपड़े में मोदी केदारनाथ की एक गुफा में आत्मध्यान करते हैं और वहीं रात बिताते हैं.

मोदी सोमवार को प्रसारित कार्यक्रम में जिस रुप में दिखते हैं वो उनके ही पिछले कई रुपों का विस्तार है. सभी अवतारों में एक बात सिर्फ सामान है वो है राजनेता के तौर पर नरेंद्र मोदी. बिना कोई गलती किए हुए वो हर बार अपने को दुनिया के सामने एक कुशल नेता के तौर पर प्रस्तुत करते हैं जिसका सिर्फ एक ही लक्ष्य है सत्ता में बने रहना. चाहे वो ड्रम बजा रहे हों, झाडू लगा रहे हों या उनका मगरमच्छ प्रेम हो.

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