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चीन यूरोप को बांटना, राज करना और जीतना चाहता है लेकिन EU इसे रोकने में काफी भ्रमित है

बीजिंग यूरोप के साथ अपने संबंधों को स्थिर करने का प्रयास कर रहा है. यह चीन समर्थक यूरोपीय संसद सदस्यों की आवाज़ को बढ़ाने के राज्य नियंत्रित मीडिया के प्रयास में सामने आया है.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग । प्रतीकात्मक तस्वीर | kremlin.ru

7-8 दिसंबर को बीजिंग में होने वाला 24वां EU-चीन शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. यह यूरोपीय संघ के साथ चीन के मुश्किल संबंधों को एक नई दिशा की ओर ले जाएगा. खासकर मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के नए पुनर्गठित फॉर्मेट- 14+1 जो पूर्व में 17+1 था – के आने के बाद इसकी संभावना और भी बढ़ गई है.

चीन की तुलना में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच एक महत्वपूर्ण विभाजन है. उदाहरण के लिए, चेक गणराज्य और लिथुआनिया चीन से दूर हो गए, जबकि फ्रांस, जर्मनी और हंगरी बीजिंग के साथ रिश्ते मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं. कभी-कभी, ये देश चीन को लेकर अपनी व्यक्तिगत नीतियों और व्यापक यूरोपीय संघ के रुख के बीच की रेखाओं को भी धुंधला कर देते हैं.

कोविड-19 महामारी के बाद, यूरोप से चीन की आधिकारिक यात्राओं में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसमें फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना 23-24 नवंबर को यात्रा करने वाली नेता हैं. इससे पहले, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अप्रैल में चीन का दौरा किया था. मार्च में स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ पेरेज़-कास्टेजोन और नवंबर 2022 में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने चीन का दौरा किया था.

ये घटनाक्रम चीन द्वारा अपने यूरोपीय समकक्षों को लुभाने का प्रयास हो सकता है. उदाहरण के लिए, देश ने एकतरफा रूप से फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली और नीदरलैंड के नागरिकों के लिए 15-दिवसीय वीज़ा-फ्री एंट्री की घोषणा की. हालांकि यह कदम किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा तो नहीं करता है, लेकिन यह चीन की यूरोप नीति और बीजिंग के प्रति अनुकूल विचार रखने वालों के साथ सामंजस्य बिठाने के प्रयास में एक नया मोड़ दिखाता है.

चीनी मीडिया ने यूरोप के ‘पाखंड’ को सामने लाया

चीन स्पष्ट रूप से यूरोप के साथ अपने संबंधों को स्थिर करने का प्रयास कर रहा है. देश का सरकारी मीडिया देश के प्रति सकारात्मक भावनाओं के साथ यूरोपीय संसद सदस्यों (MEP) के दृष्टिकोण को बढ़ाता है. उदाहरण के लिए, CGTN ने हाल ही में आयरिश MEP क्लेयर डेली के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू किया. इसमें उन्होंने चीन के प्रति यूरोपीय संघ के रुख में “ऐतिहासिक अहंकार” को लेकर टिप्पणी की और कहा कि कैसे यह उनकी “औपनिवेशिक मानसिकता” से उत्पन्न हुआ. ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया. इसमें कहा गया, “कई यूरोपीय संघ के राजनेता अपने मुखर और अहंकारी रुख को बनाए रखते हैं. हालांकि, उनके अहंकार का समर्थन करने वाली नींव धीरे-धीरे कमजोर हो रही है.”

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चीन समर्थक MEP माइक वालेस अक्सर चीनी मीडिया आउटलेट्स के साथ इंटरव्यू में दिखाई देते हैं और माइक्रोब्लॉगिंग साइट वीबो पर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं. उनके प्रमुख दृष्टिकोणों में से एक – जिसने चीनी सोशल मीडिया यूजर्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था – शिनजियांग में मानवाधिकारों पर यूरोपीय संघ के रुख की तुलना इज़रायल-हमास संघर्ष पर उसकी स्थिति से की जाती है. उन्होंने कहा, “यूरोपीय संघ हांगकांग में मानवाधिकारों के बारे में बात करना चाहता है. चीनी पुलिस ने किसी प्रदर्शनकारी को नहीं मारा, जबकि उसी यूरोपीय संघ ने गाजा में नरसंहार का समर्थन किया. धुर दक्षिणपंथी इज़रायली शासन ने 50 दिनों में 13,000 से अधिक नागरिकों को मार डाला. यूरोपीय संघ हमेशा से गलत पक्ष में रहा है.”


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हालांकि, डेली और वालेस के विपरीत, कई यूरोपीय संसद सदस्यों ने चीन के साथ संबंधों को संभालने में यूरोपीय संघ की रणनीति की महत्वपूर्ण प्रकृति पर जोर दिया है. जर्मन MEP रेइनहार्ड ब्यूटिकोफर ने चीन द्वारा स्वीकृत जर्मन थिंक टैंक मर्केटर इंस्टीट्यूट फॉर चाइना स्टडीज (MERICS) के साथ एक इंटरव्यू में अपने देश की चीन नीति को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, “जब तक हमें यह चिंता है कि चांसलरी जर्मन और यूरोपीय हितों को अत्यधिक चीन पर निर्भर जर्मन कार उद्योग के हितों के बराबर रखती है, चीन के मुकाबले यूरोपीय एकता हमेशा नाजुक रहेगी.”

दिलचस्प बात यह है कि वॉन डेर लेयेन वीबो पर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली शख्सियत नहीं हैं, जिसका मुख्य कारण चीन पर उनका सख्त रुख है. एक यूजर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, यूरोपीय संघ के संविधान के अनुसार, वॉन डेर लेयेन के पास विदेश नीति में शामिल होने का अधिकार नहीं है, फिर भी वह गाजा में तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रही है. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष पर पहले से ही प्रतिकूल विचार तब और तेज हो गए, जब अक्टूबर में, यूरोपीय संघ ने चीन से बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर सब्सिडी की जांच शुरू की. हालांकि, मैक्रॉन की अप्रैल चीन यात्रा के बाद की गई टिप्पणियां, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि यूरोप को ताइवान मुद्दे पर “अमेरिका का अनुयायी” बनने के दबाव का विरोध करना चाहिए, चीनी समाचार आउटलेट और सोशल मीडिया द्वारा सराहना की गई.

चीन के साथ कहां जा रहा है EU?

यूरोपीय संघ ने चीन के साथ अपने संबंधों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला है, खासकर पर्याप्त व्यापार असंतुलन पर ध्यान केंद्रित किया है. 2022-23 में, यूरोपीय संघ के साथ चीन का व्यापार अधिशेष $434.96 बिलियन की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया, जो इस आर्थिक असमानता की भयावहता को दर्शाता है. इसके बावजूद, कई यूरोपीय देश चीन के साथ जुड़ाव को अपने आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, यहां तक ​​कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को संबोधित करने में भी इसे संभावित रूप से फायदेमंद मानते हैं.

हालांकि, चीन के प्रति नरम रुख और उसके साथ व्यवहार में जल्दबाजी के खिलाफ चेतावनी देने वाली आवाजें भी उठ रही हैं. यूरोपीय विद्वानों के बीच एक प्रचलित नजरिया यह है कि “इस साल यूरोपीय नेताओं की चीन यात्रा से यूरोपीय हितों के अनुरूप रियायतों के मामले में बहुत कम परिणाम देखने मिले हैं – चाहे वह रूस की आक्रामकता को लेकर हो या आर्थिक चीजों से संबंधित हो. इसके बजाय इन यात्राओं को यूरोपीय देशों के बीच फूट के रूप में देखा जा रहा है, जिससे अंततः यूरोप की चीन नीति अव्यवस्था की स्थिति में आ गई है.”

हालांकि, यूरोपीय संघ चीन के प्रति लगातार दृढ़ रुख रखा है. कुछ देशों द्वारा चीन के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव बढ़ाने की इच्छा व्यक्त करने के बावजूद वॉन डेर लेयेन के बयान अटल रहे हैं. 2019 में, यूरोपीय आयोग ने इस देश को एक व्यवस्थित प्रतिद्वंद्वी के रूप में बताया.  यह स्थिति पूरे साल वॉन डेर लेयेन के बयानों में लगातार गूंजती रही. उन्होंने 16 नवंबर को एक MERICS कार्यक्रम में दोहराया, “हमें यह समझना चाहिए कि हमारे रिश्ते में प्रतिद्वंद्विता का एक स्पष्ट भाव है. हमें यह भी समझना चाहिए कि वैश्विक सुरक्षा वास्तुकला पर चीन के विचार डिफ़ॉल्ट रूप से हमारे साथ मेल नहीं खाते हैं.”

हालांकि, फ्रांस और जर्मनी जैसे सदस्य देश अपनी स्वयं की चीन नीतियों को आकार देना जारी रखे हुए हैं. इसके चलते एकीकृत यूरोपीय संघ की में कई मुश्किलें भी सामने आती हैं. दूसरी ओर, यूरोपीय संघ के लिए चीन की रणनीति ASEAN को जो उसकी रणनीति है, बिल्कुल वही है- फूट डालो, शासन करो और जीतो.

इस बात पर आम सहमति है कि यूरोपीय संघ के पास सामंजस्यपूर्ण और सूक्ष्म चीनी नीति का अभाव है. यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों दोनों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि अपने आप में विभाजित यूरोप अपने हितों को कमजोर करते हुए चीन के हितों की पूर्ति करता है. चीन के साथ मुद्दों के समाधान के लिए यूरोपीय संघ के देशों के बीच ईमानदार तालमेल की आवश्यकता है. आगामी EU-चीन शिखर सम्मेलन EU के लिए एकजुट मोर्चा दिखाने और अपने दीर्घकालिक हितों को सुरक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में काम कर सकता है. हालांकि, ऐसी एकजुटता फिलहाल संभव नहीं लगती.

(सना हाशमी, पीएचडी, ताइवान-एशिया एक्सचेंज फाउंडेशन और जॉर्ज एच.डब्ल्यू फाउंडेशन फॉर यूएस-चायना रिलेशन्स में फेलो हैं . उनका एक्स हैंडल @sanahashmi1 है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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