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पाकिस्तान पर आर्टिलरी हमले केवल अच्छे पीआर लाएंगे, अधिक प्रभाव के लिए भारत को बालाकोट की जरूरत है

सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट यह बताने के लिए पहला कदम था कि भारत प्रभाव के लिए प्रतिशोध की ओर बढ़ रहा था.

श्रीनगर में भारतीय सेना के जवान | फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

पाकिस्तान सेना द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा पांच भारतीय विशेष बल के सैनिकों की हत्या के लिए एक भारतीय सैन्य प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी. लेकिन ऐसी नहीं. भारत के प्रतिशोधी अर्टिलरी हमलों का पाकिस्तान के व्यवहार पर प्रभाव का अनुमान लगाना आसान है. यह शून्य के बराबर है. हालांकि, पाकिस्तानी चौकियों पर गिरने वाले अर्टिलरी के गोले के ड्रोन फुटेज भारत के व्हाट्सएप योद्धाओं को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन यह पाकिस्तान सेना के व्यवहार को बदलने वाला नहीं है.

आंशिक रूप से इसकी भविष्यवाणी करना आसान है, क्योंकि भारत ने अतीत में कई बार ऐसा किया है, जिसका कोई प्रभाव नहीं हुआ है. इसलिए इस बार परिणाम अलग होने की उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है. लेकिन, यह एक आसान भविष्यवाणी है क्योंकि इसका तर्क हमेशा की तरह ही प्रतीत होता है. यह भविष्य के हमलों को रोकने के लिए किए गए प्रयास के बजाय यह एक प्रचार स्टंट था.

पाकिस्तान रुकेगा नहीं

आर्टिलरी हमले सैन्य प्रतिशोध का सबसे कमज़ोर रूप हैं क्योंकि पाकिस्तान भी आसानी से उसी भाषा में जवाब दे सकता है. शायद भारतीय हमले अधिक सटीक होंगे, या अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को मार देंगे, लेकिन ये पाकिस्तानी सेना के लिए मामूली सी बात है. तथ्य यह है कि भारत पाकिस्तान की तुलना में एक और बंकर को नष्ट कर दे या पाकिस्तान के गोला-बारूद को उड़ाने में कामयाब रहे, वह पाकिस्तान सेना की गणना में नहीं होगा. इससे कश्मीर में आतंकवादियों को भेजने की पाकिस्तानी सेना की कोशिश पर भी विराम नहीं लगेगा.

एलओसी पर अर्टिलरी और मोर्टार भारतीय सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन नहीं करते हैं, बल्कि दोनों पक्षों के बीच एक झूठी सैन्य समानता दिखाते हैं. यदि पाकिस्तान सेना का व्यवहार किसी भी मार्गदर्शक का है, तो यह वास्तव में विश्वास पैदा करता है कि वे भारत के खिलाफ अपनी पकड़ बना सकते हैं और भारत के मुकाबले पाकिस्तान उतना ही मजबूत है.

यह वास्तव में पाकिस्तान का सामना करने में नाकाम रहने से बहुत खराब है क्योंकि यह पड़ोसी को आतंक का समर्थन करने की नीति को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है. यह धारणा सन्देश देती है कि भारत खदेड़ने की कार्रवाई में नाकाम रहा है.

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यह निराशाजनक है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हमले के प्रदर्शन के अनुसार अपने पारंपरिक भय से उबर गया है. अब संदेह यह है कि इसमें बने रहने की भारत की क्षमता क्या है? उन दोनों हमलों ने सांचे को तोड़ दिया: सर्जिकल स्ट्राइक– भारत ने खुले तौर पर यह दावा किया था और बालाकोट पर हमला – भारत ने पहली बार पाकिस्तान के क्षेत्र में जवाबी हमला किया था.

भारत को पाकिस्तान को लगातार दंडित करने की जरूरत है

कभी-कभी इस तरह के हमले पर्याप्त नहीं होंगे. भारत को हर बार पाकिस्तान के ऐसे हमलों के लिए तैयार रहना होगा. अगर पाकिस्तान जवाब देता है तो भारत को अपनी तैयारी और मज़बूत करनी होगी, यहां तक कि भारत ने बालाकोट में पाकिस्तान के जवाबी कार्रवाई का उत्तर नहीं दिया. हालांकि, कुछ ख़राब परिस्थितियां थीं. भारत के एक पायलट को गोली मार दी गई थी और वह कैद कर लिया गया था और उसे वापस लाने में मशक्कत करनी पड़ी. इसके अलावा, भारत ने पहले ही एक प्रतिमान-तोड़ने वाला कदम उठाया था. इन दोनों कारणों ने आगे नहीं बढ़ने के लिए एक सीमित बहाना दिया.

भारत को इस महत्वपूर्ण प्रश्न को संबोधित करने की आवश्यकता है: क्या यह प्रदर्शन या प्रभाव के लिए प्रतिशोध कर रहा है? अब तक, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट को छोड़कर भारत का प्रतिशोध केवल दिखावे के लिए था. बस यह प्रदर्शित करने के लिए कि भारत नाराज है. लेकिन यह प्रभावहीन क्रोध था, भारत के नुकसान पर पाकिस्तान हस सकता था. इसने अपनी ताकत से ज्यादा भारत की लाचारी का प्रदर्शन किया. दुर्भाग्य से, यह प्रतीत होता है कि भारत की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति से निपटने में कारगर नहीं थी.

सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट यह बताने के लिए पहला कदम था कि भारत प्रभाव के लिए प्रतिशोध की ओर बढ़ रहा था, पाकिस्तान को यह बताने के लिए कि वह इस तरीके से आगे बढ़ सकता है कि पाकिस्तान उसकी बराबरी नहीं कर सकेगा. हालांकि, दोनों हमलों में से कोई भी वैसे नहीं हुए जैसे होने चाहिए थे. लेकिन उन्होंने कम से कम लंबे समय से चले आ रहे मिथक को समाप्त कर दिया कि कोई भी भारतीय एस्कलेशन एक अनियंत्रित कार्रवाई-प्रतिक्रिया को जन्म देगी, यहां तक परमाणु युद्ध भी.

बालाकोट से परे देखना

लेकिन इन स्ट्राइक्स को आगे की कार्रवाई के साथ दिखाने की जरूरत थी कि भारत में क्षमता और एस्कलेट करने की इच्छा दोनों है. भारत को हर गंभीर आतंकी हमले को एस्कलेट करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए था पाकिस्तान की ओर से किसी भी सैन्य प्रतिक्रिया को एस्कलेशन के बहाने के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए.

बेशक, समस्या यह है कि इसके लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है. इसमें दीर्घकालिक योजना, सावधानीपूर्वक तैयारी और कैलिब्रेटेड कार्रवाई की जरुरत होती है. किसी भी भारतीय कार्रवाई की प्रतिक्रिया होगी. सभी संभव पाकिस्तानी प्रतिक्रियाओं के लिए भारतीय प्रतिक्रियाओं को किसी भी कार्रवाई से पहले तैयार करने की आवश्यकता है, सब कुछ नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. लेकिन एक समर्पित निवारक रणनीति और अनुशासित तैयारी भारत को अपरिहार्य से निपटने का एक बहुत अच्छा मौका देगी जो किसी भी ऐसे परिस्थिति के साथ होने के लिए बाध्य हैं.

वैकल्पिक रूप से भारत एक असहाय की तरह हाथ पैर मार सकता है. आर्टिलरी युद्ध में उलझा हुआ रह सकता है, क्योंकि जैसे दिन के बाद रात निश्चित है, हम इस स्थिति में बार-बार आएंगे.

(लेखक जेएनयू में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रोफेसर हैं यह उनका निजी विचार है)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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