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कोरोना से ग्रसित अमेरिका और चीन के विपरीत भारत के ऊपर एक अनूठा सुपरक्लाउड आकार ले रहा है

कोरोना महामारी के दौरान भारत के डिजिटल तंत्र और हमारे स्मार्टफोन की शक्ति को हम देख रहे हैं, अब समय आ गया है कि हम अपना सुपरक्लाउड बना लें.

मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर यात्री स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए, फाइल फोटो | फोटो: धीरज सिंह/ ब्लूमबर्ग

कोविड-19 वायरस के प्रकोप के कारण भारत के ऊपर एक वास्तविक, विश्वसनीय सुपरक्लाउड आकार ले रहा है, जो हमारी जरूरतों, हमारे संबंधों और सपनों को पूरा कर रहा है. देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने घरों में बंद हम लोग अपने काम कर रहे हैं. शॉपिंग और बैंकिंग ऐपों के जरिए लें-देन कर रहे हैं. ‘वेबीनारों’ और कॉन्फ्रेंसों में भाग ले रहे हैं, फिल्में और टीवी शो देख रहे हैं और वीडियो कॉल पर अपने प्रियजनों से घंटों बातें कर रहे हैं.

अपने जीवन को डिजिटल माध्यमों से जी कर हम देश में जाम होने वाली सड़कों, अनिश्चित बिजली सप्लाई, बोझिल परिवहन व्यवस्था, अपर्याप्त बैंकिंग नेटवर्क जैसे शारीरिक टकरावों से काफी हद तक बच सकते हैं. आज तक केवल अमेरिका और चीन ने ही ऐसे देसी उपकरण, नेटवर्क, डाटा सेंटर, एप्लिकेशन और स्टैंडर्ड तैयार किए हैं जिन्हें सचमुच में ऐसा सुपरक्लाउड कहा जा सकता है, जो विशिष्ट सेवाएं देने का माध्यम है.

अमेरिका, चीन के विपरीत

भारत का यह सुपरक्लाउड अनूठा आकार ले रहा है. यह मोबाइल केंद्रित है, इसकी 95 प्रतिशत गतिविधियां छह इंच के पर्दे पर चलती हैं. जल्दी ही हम बेहद तेज देशव्यापी 5जी नेटवर्क के जरिए अपने सुपरक्लाउड तक पहुंचने लगेंगे. देशभर में विशाल डाटा सेंटर सक्रिय हो जाएंगे. हमारे स्टार्टअप हमारी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने वाली विशेष सेवाओं को तैयार करने के लिए ‘आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस’ और ‘मशीन लर्निंग’ (एआइ/एमएल) का उपयोग करेंगे. भारत में प्राइवेसी और डाटा सुरक्षा के पैमाने दुनिया में सबसे उम्दा माने जा सकते हैं. भारत का सुपरक्लाउड डिजिटल पहचान से लेकर भुगतानों और प्राइवेसी, एक्सेस कंट्रोल, स्वास्थ्य रेकॉर्ड, और तमाम कई चीजों के लिए वैश्विक मानदंड भी तय कर सकता है.

स्मार्ट कनेक्शन

भारत का सुपरक्लाउड मोबाइल केंद्रित ही होगा. देश में स्मार्टफोन का तेजी से विस्तार हो रहा है और 2022 तक उनकी संख्या 85 करोड़ तक पहुंच सकती है. इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या 60 करोड़ को पार कर चुकी है, जिनमें विशाल बहुमत उनका है जो मोबाइल पर ही इंटरनेट देखते हैं. यहां 4जी की दरें दुनिया में सबसे नीची हैं और भारत में यूजर्स मोबाइल इंटरनेट से कुल जितने डाटा का उपयोग करते हैं उतना दुनिया के किसी और देश के यूजर नहीं करते.

स्मार्टफोन के 6-7 इंच वाले आकार में तमाम तरह के फंक्शन इसे सुपरकंप्यूटर की शक्ति प्रदान करते हैं. इस तरह हमारे स्मार्टफोन कई तरह के ऐप के जरिए हमारी जिंदगी के रिमोट कंट्रोल जैसे बन गए हैं. जल्दी ही स्मार्टफोन अकल्पनीय गति वाले नेटवर्क से जुड़ जाएंगे. देश के टेलिकॉम नेटवर्क को 4जी में बदल दिया गया है, जो प्रति सेकंड 5-10 मेगाबाइट की स्पीड दे रहे हैं. यह देश के अधिकांश हिस्सों में वीडियो स्ट्रीमिंग और कई भागीदारों वाले वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए पर्याप्त है.

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5जी नेटवर्क आज के 4जी नेटवर्क से 100 गुना ज्यादा तेज होगा जिसमें प्रसुप्ति काफी कम होगी. ऐसा तेज नेटवर्क स्वचालित कारों, टेली मेडिसिन, फसल की सघन निगरानी, टेलीप्रेजेंस, आदि कई एप्लीकेशनों को कारगर बनाएगा.

डाटा के सहारे तरक्की

भारत की नयी डाटा सेंटर पॉलिसी ऐसा जरूरी डिजिटल ढांचा बनाने में मदद करेगी जो सुपरफास्ट 5जी नेटवर्कों से जुड़े करोड़ों डिवाइसों को ताकत देंगे. भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि सभी वित्तीय डाटा देश के बाहर भले प्रोसेस किए जाएं. लेकिन उन्हें देश में ही स्टोर किया जाना चाहिए. इसके चलते देशभर में डाटा सेंटरों का तेजी से विस्तार हो रहा है. कंटेन्ट अगर यूजर के नजदीक रखा जाए तो इससे प्रसुप्ति घटती है और बेहतर नतीजे मिलते हैं. इसलिए, डाटा और कंटेन्ट देश के अंदर ही तेजी से स्टोर होंगे, जिससे स्टार्टअप को ‘एआइ/एमएल’ का उपयोग करके नयी सेवाएं देने के जरूरी साधन प्राप्त होंगे. मसलन, स्ट्रीमिंग सेवाएं तेजी से यह तय कर सकेंगी कि लोग जो देखते और सुनते हैं उनके पिछले रुझान के मद्देनजर कैसा कंटेन्ट तैयार किया जाए.


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इसी तरह, फूड डेलीवरी सेवाएं तुरंत पता लगा सकेंगी कि साप्ताहिक शॉपिंग का रुझान क्या है और वे अपना सामान स्वतः उसी के मुताबिक सप्लाई कर सकेंगी. इन सेवाओं के लिए भुगतान बैंक खातों से निकाला जा सकेगा. इस तरह क्रेडिट हिस्टरी तैयार होगी, जो विशिष्ट वित्तीय सुविधाओं को तैयार करने की गति बढ़ाएगी. इस तरह की डिजिटल सेवाओं के लिए प्राइवेसी और डाटा सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि प्राइवेसी मौलिक अधिकार है.

इस उद्देश्य से निजी डाटा सुरक्षा विधेयक संसद में दिसंबर 2019 में पेश किया गया था ताकि डिजिटल सेवाओं का उपयुक्त नियमन हो और हमारे डिजिटल जीवन को भी उतनी ही प्राइवेसी मिले जितनी सामान्य जीवन को हासिल है. यह विधेयक अब संयुक्त संसदीय कमिटी को गहन निरीक्षण के लिए सौंपी गई है. डाटा सुरक्षा और प्राइवेसी के प्रति भारत की पहल अमेरिका, यूरोपीय संघ, और चीन से अलग है. यह गैर-ओईसीडी देशों के लिए एक मानक बन सकती है.

सही दिशा में सुपरक्लाउड

भारत के सुपरक्लाउड ने डिजिटल पहचान (आधार, सार्वभौमिक ई-केवाइसी के जरिए) और भुगतान व्यवस्था (यूपीआइ के जरिए) के लिए नये मानदंड तय कर दिए हैं. इन्होंने सस्ते पब्लिक गुड्स तैयार किए हैं जो सबको उपलब्ध हैं, और इनके कारण सुपरक्लाउड का तेजी से विकास हुआ है. डाटा सुरक्षा और प्राइवेसी के साथ ही हम कई दूसरे क्षेत्रों में वैश्विक मानक तय कर सकते हैं, जैसा कि एक्सेस कंट्रोल और स्वास्थ्य रेकॉर्ड के मामले में किया गया है. ‘डीजीयात्रा’ प्लेटफॉर्म को, जिसे बाधा रहित डिजिटल हवाई यात्रा के लिए बनाया गया था, आसानी से मजबूत करके इसे कई कामों के लिए एक्सेस कंट्रोल के वास्ते उपयोग किया जा सकता है. मसलन एक्सेस बनाने, पर्वों तथा खेलों में भागीदारी के लिए.
ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी भारतीयों के स्वास्थ्य का रेकॉर्ड न केवल महामारी को काबू करने में मददगार होगा बल्कि सबको स्वास्थ्य सेवाएं देने में भी सक्षम बनाएगा. ‘आयुष्मान भारत’ ने ऐसा स्वास्थ्य रेकॉर्ड बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है.

अपने सीमित भौतिक संसाधनों को डिजिटल व्यवस्था से मजबूती देकर हम न केवल अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकेंगे. बल्कि अपने निवेश क्षेत्र से ज्यादा उछाल भी हासिल कर सकेंगे. कोरोना महामारी ने हमें हमारे डिजिटल ढांचे और स्मार्टफोन की ताकत का लोहा मानने को मजबूर किया है. अब अपना सुपरक्लाउड बनाने का, और इसे भारत के तथा इसके आर्थिक विकास के लिए शक्तिशाली औज़ार बनाने का समय आ गया है.

(जयंत सिन्हा संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष तथा झारखंड में हज़ारीबाग़ से लोकसभा सांसद हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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