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मेरी कोम ने तो छोड़ दिया, सुशील-अखिल को भी छोड़ना पड़ सकता है अॉब्ज़र्वर का पद

तीनों खिलाड़ी रिंग में लौट चुके हैं और सरकार को लगता है कि उन्हें राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर के पद पर रखना उचित नहीं होगा

नई दिल्ली: दिग्गज मुक्केबाज मेरी कोम और कुश्ती के करिश्मे सुशील कुमार ने हाल में अपने-अपने खेल में स्वर्णिम वापसी की है. मेरी ने वियतनाम में हुई एशियन चैंपियनशिप में स्वर्णपदक जीता, और सुशील ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती. लेकिन उन्हें अपनी जीत की कीमत चुकानी पड़ी है.

मेरी ने केंद्रीय खेल मंत्रालय में राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर के पद से इस्तीफा दे दिया है, जबकि पहलवान सुशील और मुक्केबाज अखिल कुमार (जो प्रोफेशनल बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं) से यह पद छिनने वाला है. इसकी वजह यह है कि ये पद केवल संन्यास ले चुके खिलाड़ियों के लिए बनाए गए थे.

इस वर्ष के शुरू में खेल मंत्रालय ने 14 राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर नियुक्त किए जिनमें 12 ओलंपिक खेल में भाग ले चुके खिलाड़ी थे. उनसे कहा गया था कि वे ‘सरकार की आंख-कान के रूप में काम करें’ ताकि ‘टीमों का स्वतंत्र तथा पारदर्शी तरीके से गठन हो सके’. मंत्रालय के आला सूत्रों ने ‘दप्रिंट’ को बताया कि जो राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर फिर से खेलों में सक्रिय हो गए हैं उनकी जगह दूसरों की नियुक्ति की जाएगी.

हितों का टकराव

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केंद्र ने इस साल मार्च में राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वरों की नियुक्ति की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य प्रमुख खेलों के लिए दीर्घकालिक योजनाओं को लागू करना था. इनमें खिलाड़ियों की चयन नीति से लेकर कोचिंग की योजनाएं, खिलाड़ियों के प्रदर्शन की निगरानी तथा मूल्यांकन, देश में खेलों का समग्र विकास शामिल था. ये राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर ‘मिशन ओलंपिक ’ 2020, 2024 और 2028 को प्रभावी रूप से लागू करने की रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे ताकि भारत के ओलंपिक पदकों की संख्या तथा खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हो.

मार्च में इन नामों का चयन किया गया था- अभिनव बिंद्रा (शूटिंग), पी.टी. उषा तथा अंजु बॉबी जॉर्ज (एथलेटिक्स), संजीव कुमार सिंह (तीरंदाजी), अपर्णा पोपट (बैडमिंटन), मेरी कोम तथा अखिल कुमार (मुक्केबाजी), जगबीर सिंह (हॉकी), सोमदेव देववर्मन (टेनिस), कर्णम मल्लेश्वरी (भारोत्तोलन), सुशील कुमार (कुश्ती), आइ.एम. विजयन (फुटबॉल), खजान सिंह (तैराकी), और कमलेश मेहता (टेबल टेनिस).

वैसे, राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वरों के चयन के लिए जारी दिशानिर्देश साफ कहते हैं कि येे ‘खेल छोड़ चुके खिलाड़ी’ होंगे और जिन्होंने ‘पांच साल पहले खेल का केरियर छोड़ दिया होगा.

मेरी, सुशील, अखिल तो अपनी नियुक्ति के समय इस पहली कसौटी को पूरा करते थे लेकिन सरकार ने समीक्षा शुरू कर दी क्योंकि अगर सक्रिय खिलाड़ी अपने ही खेल का संरक्षण तथा पर्यवेक्षण करेगा तो इससे उस पर पक्षपात तथा हितों के टकराव का आरोप लग सकता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘दप्रिंट’ से कहा, ‘‘दिशानिर्देश बिलकुल साफ हैं. हम सक्रिय खिलाड़ी को अॉब्ज़र्वर नहीं रख सकते. जो लोग खेलों के मैदान में फिर उतर गए हैं उन्हें बदलना होगा. राष्ट्रीय आबजर्वरों पर इस नजरिये से विचार करना होगा. हम जल्दी ही फैसला करेंगे.’’
लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं आई है.

अखिल कुमार ने संपर्क करने पर ‘दप्रिंट’ को बताया कि उन्हें मंत्रालय से इस तरह के कदमों के बारे में अभी तक कई सूचना नहीं मिली है. अखिल ने बताया कि राष्ट्रीय अॉब्ज़र्वर के तौर पर बहुत सारा काम करना पड़ता है, जिसे भी ख्याल में रखना चाहिए. मेरी से संपर्क नहीं हो पाया जबकि सुशील ने टिप्पणी देने के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया.

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