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‘तू पूरी जिंदगी रोएगी’- हरियाणा में ऑनर किलिंग के नाम पर भाई ने कैसे अपनी ही बहन के पति को मार डाला

पुलिस ने दलित लड़की कोमल के भाईयों को उसके पति नीरज वर्मा की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है.

मृतक नीरज वर्मा की पत्नी कोमल | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

पानीपत: 23 वर्षीय नीरज वर्मा और 22 वर्षीय कोमल तीन साल से रिलेशनशिप में थे. दोनों के परिवार हरियाणा के पानीपत ज़िले में बमुश्किल से तीन किलोमीटर की दूरी पर रह रहे हैं.

24 नवंबर 2020 के दिन दोनों ने नीरज के परिवार के कुछ सदस्यों की उपस्थिति में पानीपत के एक स्थानीय कोर्ट में शादी करने का फैसला किया. इस शादी में कोमल के परिवार से कोई भी नहीं था.

लेकिन नीरज अपनी पत्नी के साथ नया साल सेलिब्रेट कर पाता उससे पहले ही एक जनवरी की शाम को साढ़े सात बजे उसके घर से महज़ 500 मीटर दूर ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर उसकी हत्या कर दी गई.

नीरज हरियाणा में पिछड़े वर्ग की सूचि में शामिल सुनार जाति से ताल्लुक रखते हैं तो कोमल अनुसूचित जाति (दलित) से.

इस घटना के तीन दिन बाद यानी 3 जनवरी को पानीपत पुलिस ने इस हत्या के दो आरोपियों कोमल के भाई विजय (19) और ममेरे भाई पवन (21) को गिरफ्तार कर लिया.

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पुलिस के मुताबिक दोनों ने पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कुबूल किया है और पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीद गवाहों के पहलू से भी तहकीकात की.

पानीपत के डीएसपी विरेंद्र सैनी दिप्रिंट को बताते हैं, ‘दोनों आरोपियों ने बताया है कि उनकी बहन ने परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर नीरज से शादी कर उनकी बदनामी की और इसी वजह ने उन्हें नीरज का कत्ल करने के लिए उकसाया.’

ये अपराध, हरियाणा के इतिहास में एक और धब्बे की तरह चिपक गया है, जिसने एक 23 साल की लड़की के जीवन में दुखों का एक पहाड़ सा खड़ा कर दिया है. एक परिवार को टुकड़ों में बांट दिया है, जो अपने बिखरे हुए हिस्सों को समेटने की कोशिश में लगा है.


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‘उन्हें फांसी पर लटका दो’

कोमल, नीरज को अपने भाई विजय के अच्छे दोस्त के तौर पर जानती थी. लेकिन आज जब वो पानीपत में अपने ससुराल वालों के बीच बैठी है तो सिर्फ एक ही मांग कर रही है- मेरे भाइयों को फांसी की सज़ा हो.

आंसुओं से लबालब भरी आंखों को ज़मीन में गड़ाए हुए वो कहती हैं, ‘उन्हें फांसी पर लटका दो, उन्होंने मेरे शोना (नीरज) को मार दिया.’

वो बताती हैं कि उनके परिवार को उनके प्रेम विवाह से आपत्ति थी. वो ये आरोप भी लगाती हैं कि हत्या करने से पहले उनका ममेरा भाई पवन घर आया और धमकी देकर गया कि वो उसे विधवा बना देगा.

कोमल कहती हैं, ‘वो गेट से निकलते हुए बोला कि मैं उसके साथ ऐसी तीन पांच करूंगा कि तू पूरी जिंदगी रोएगी.’

अपनी शादी की तस्वीर के साथ कोमल | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

लेकिन हत्या के कुछ घंटों पहले तक नीरज नए साल की आमद से खुश था और एक जनवरी को हैंडलूम की दुकान पर काम करने से पहले निकलते वक्त कहा था, ‘शाम के छह बजे तैयार मिलना मुझे. हम अपनी नई ज़िंदगी और नया साल सेलिब्रेट करेंगे. आज बाहर खाना खाएंगे.’

वो आगे कहती हैं, ‘जब पवन धमकी देते हुए बाहर निकला तो मैं परेशान हो गई. मैंने नीरज को फोन मिलाया. कोई जवाब नहीं मिला. मैंने साढ़े सात बजे के बाद दोबारा फोन मिलाया तो किसी ने अस्पताल से जवाब दिया कि वो अब नहीं रहे.’

कोमल अपने परिवार पर मारपीट और गाली गलौच का भी आरोप लगाती हैं.

‘मेरे परिवार ने मुझे दो साल पहले मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया. मैं उसके बाद हिसार जाकर रहने लगी. वहां मुझे एक ऑनलाइन पैकेजिंग कंपनी में नौकरी मिल गई.’

‘पिछले दो सालों में मेरे परिवार से कोई मुझे देखने तक नहीं आया. हां जब मेरे बड़े भाई को कभी पैसे की जरूरत पड़ती तो फोन कर लेता था. मेरे परिवार ने मोहल्ले में अफवाह फैला दी थी कि मेरी शादी हो गई है. उस बुरे वक्त में नीरज ने मेरा साथ दिया था.’


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‘बीच सड़क पर उसे मार डाला गया, किसी ने मदद नहीं की’

नीरज को उसके घर से सिर्फ 500 मीटर दूर मारा डाला गया. उसके खून से भरे कुछ कपड़े पुलिस के पास थे और कुछ उसके खुद के घर में एक कोने में रखे हुए थे.

नीरज के पिता गुलशन वर्मा अपने फोन में उसकी आखिरी तस्वीर जो कि एक स्ट्रैचर पर रखी खून से लथपथ उसकी लाश भर थी, को सेव किया हुआ है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसे 16 बार चाकू से गोदा गया था.

गुलशन कहते हैं, ‘उसे सड़क के बीचोबीच मार डाला गया और किसी ने उसकी मदद तक नहीं की.’

जिस दिन नीरज की हत्या की गई उस दिन उनके साथ छोटा भाई योगेश वर्मा भी था.

वो दिप्रिंट को बताते हैं, ‘नीरज ने कमर दर्द की शिकायत करते हुए कहा था कि तुम बाइक पर जाओ और मैं पैदल आऊंगा.’

नीरज के परिवार के सदस्य | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

वो आगे याद करते हैं, ‘जब मैं घर पहुंचा और कोमल के भाई की धमकी के बारे में सुना तो मैं वापस बाइक लेकर उसी ढाबे की तरफ निकल पड़ा जहां मैंने उन्हें छोड़ा हुआ था.’

‘मैं भावना चौक पहुंचा और एक भीड़ देखी जो किसी मरे हुए इंसान को घेरे खड़ी थी.’

47 वर्षीय दीपक भावना चौक पर ही मेडिकल की एक दुकान चलाते हैं, इस मर्डर की चश्मदीद गवाहों में से एक हैं. वो दिप्रिंट को बताते हैं, ‘मैंने बचाओ बचाओ की आवाज़ सुनी और देखा कि दो लड़के भागते हुए आ रहे हैं. उनके हाथ में चाकू था. वो एक गली में भाग गए. कुछ दूरी पर एक लड़का मूंगफली के एक ढेर पर गिर गया. उसके शरीर से खून बहने लगा.’

नीरज का परिवार ये आरोप भी लगाता है कि कोमल के दो भाइयों ने इससे पहले भी उसपर हमला किया था लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत का कोई संज्ञान नहीं लिया.

नीरज के एक भाई दिप्रिंट को बताते हैं, ‘उस दिन भी उस पर चाकू से हमला किया गया था लेकिन उसने मोटी जैकेट पहनी हुई थी. तो वो घायल नहीं हुआ.’

‘उसके बाद कोमल और नीरज दोनों महिला थाना गए ताकि केस दर्ज करा सकें.’

कोमल कहती हैं, ‘थाने में हम कई घंटे तक बैठे रहे थे और भविष्य में ऐसे हमले की आशंका जता रहे थे. वहां थाने में कहा गया कि शिकायत दर्ज कर ली गई है. उसके कुछ दिन बाद नीरज के पास थाने से फोन आया. नीरज घर में कमाने वालों में से एक था और काम पर जाना बंद कर देना मुश्किल था. इसलिए हम दोनों थाने गए और कहा कि हमें कोई खतरा नहीं है. हमने सोचा था कि चीजें ठीक हो जाएंगी.’

लेकिन डीएसपी विरेंद्र सैनी कहते हैं कि पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच की है और पुलिस को नीरज के परिवार की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली है.


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‘उस लड़के की बजाए, कोमल को मार देना था’

कोमल के घर पर हम गए तो वहां उनकी मां सुनीता देवी की तरफ के रिश्तेदार इकट्ठा थे और ये तय कर रहे थे कि भविष्य में क्या किया जाएगा.

सुनीता देवी कहती हैं, ‘कोई मेरे दर्द को तो समझेगा नहीं. बेटा जेल में है और बेटी ने भागकर शादी कर ली है, हमारे मना करने के बावजूद. बदनामी अलग से हो गई है.’

ये पूछने पर कि क्या उन्हें इस हत्या का पछतावा है, सुनीता देवी जवाब देती हैं, ‘किसी के घर का चिराग बुझ गया है तो किसको बुरा नहीं लगेगा. लेकिन मैं तो कहती हूं उस लड़के को मारने की बजाए इस लड़की को क्यों नहीं मारा?’

कोमल की मां सुनीता देवी | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

इतनी ही देर में एक बुजुर्ग महिला उनकी बात काटते हुए तंज कसती हैं, ‘वो पता नहीं क्या क्या गुल खिलाएगी. उस लड़के को मरवाने के बाद दूसरा नंबर पता नहीं किसका लगाएगी.’

पास में ही खड़े कोमल के बड़े भाई अजय कटारिया कहते हैं, ‘वो ठीक लड़का था. मैं उसे कई सालों से जानता था. एक दो बार मिला भी हूं. लेकिन दिक्कत ये थी कि उसने हमसे दोस्ती करके हमारी ही बहन से अफेयर क्यों शुरू किया. यही बात विजय को चुभ गई होगी.’

पानीपत की वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट ऑफिसर रजनी गुप्ता इस मामले को लेकर टिप्पणी करती हैं, ‘सामंतवादी और पितृसत्ता व्यवस्था में अगर कोई लड़की विद्रोह कर अपनी मर्ज़ी से शादी करती है तो उसे ज़बरदस्ती घर वापस लाया जाता है और उस पर दबाव बनाकर लड़के और उसके परिवार पर मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं. लेकिन कोमल के केस में मामला थोड़ा अलग है. उसने ऐसा नहीं किया तो उसे पाठ पढ़ाने के लिए उसके पति की हत्या कर दी गई.’

इस मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी रजनी गुप्ता की बात से सहमत होते हुए कहते हैं, ‘दोनों ही आरोपी बहन को एक सबक सिखाना चाहते थे.’


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