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सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने को कहा

इस परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी दिये जाने और इसके लिये भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक बिन्दुओं पर सवाल उठाये गये थे.

सेंट्रल विस्टा परियोजना का मॉडल व्यू | क्रेडिट: HCP Design, Planning and Management Pvt Ltd

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए हरी झंडी दे दी है. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया.

इस परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी दिये जाने और इसके लिये भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक बिन्दुओं पर सवाल उठाये गये थे.

तीन जजों की बेंच में 2:1 से ये फैसला लिया गया. जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले पर अलग मत रखा.

जस्टिस खानविलकर ने कहा कि परियोजना के तहत स्मॉग टावर्स स्थापित किए जाएं. खानविलकर ने कहा कि डीडीए एक्ट के तहत केंद्र का कदम वैध है.

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण समिति द्वारा दी गई सिफारिश को भी वैध माना.

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न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया. इस पीठ ने पिछले साल पांच नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.

हालांकि, न्यायालय ने सात दिसंबर को केन्द्र सरकार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के आयोजन की अनुमति दे दी थी. सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने या पेड़ों को काटने जैसा कोई काम नहीं किया जाये. परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम 10 दिसंबर को आयोजित हुआ था. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन की नयी इमारत की आधारशिला रखी थी.

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है. इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी. इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा.

इस परियोजना के तहत साझा केन्द्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है. यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि सेन्ट्रल विस्टा परियोजना के लिये जमीनी स्तर पर किसी प्रकार का बदलाव प्राधिकारी अपनी जोखिम पर करेंगे.

केन्द्र ने यह भी कहा था कि नए संसद भवन का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया और परियोजना के लिए किसी भी तरह से किसी भी नियम या कानून का कोई उल्लंघन नहीं किया गया.

न्यायालय में राजीव सूरी सहित अनेक व्यक्तियों ने इस परियोजना को चुनौती दी थी. परियोजना के लिये भूमि उपयोग में बदलाव, पर्यावरण मंजूरी, इसके लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र देने सहित विभिन्न मंजूरियों पर भी इन याचिकाओं में सवाल उठाये गये हैं.

केन्द्र ने परियोजना के लिए सलाहकार का चयन करने में कोई मनमानी या पक्षपात करने से इंकार करते हुए कहा था कि सिर्फ इस दलील पर परियोजना को रद्द नहीं किया जा सकता कि सरकार इसके लिए बेहतर प्रक्रिया अपना सकती थी.

गुजरात स्थित आर्किटेक्चर कम्पनी ‘एचसीपी डिज़ाइन्स’ ने ‘सेंट्रल विस्टा’ के पुनर्विकास के लिए परियोजना के लिए परामर्शी बोली जीती है.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)


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