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Covid के बाद की दुनिया में नई शुरुआत के लिए पुरानी आदतों की ओर लौटना होगा: उपराष्ट्रपति नायडू

उपराष्ट्रपति ने कोविड के बाद की दुनिया में योग और मेडिटेशन को रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनने पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन खुलने के बाद स्कूल कॉलेजों में इसे लागू किया जाना चाहिए.' उन्होंने स्वस्थ खाना खाने और फॉस्ट फ़ूड से दूर रहने की सलाह दी.

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उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, फाइल फोटो | @VPSecretariat

नई दिल्ली: कोविड के बाद की दुनिया में नई शुरुआत के लिए पुरानी आदतों की ओर लौटना होगा, ऐसा कहना है भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का. उन्होंने ये भी कहा कि देश को न सिर्फ़ इस बीमारी को हराना है बल्कि कोविड के बाद की दुनिया के लिए तैयार होना है और आगे कोई महामारी आए तो उससे भी लड़ने के लिए कमर कसनी है.

ये बातें उपराष्ट्रति नायडू ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फ़िक्की) की एक कार्यक्रम के दौरान कहीं जिसकी थीम कोविड के बाद का हेल्थकेयर वर्ल्ड था.

उन्होंने कहा, ‘इस महामारी से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. उम्रदराज़ लोगों पर तो और बुरा असर पड़ा है. इससे निपटने के लिए हमें अपने पुरखों द्वारा दी गई सीख की ओर लौटना पड़ेगा.’

डिजिटल माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े उपराष्ट्रपति ने कोविड के बाद की दुनिया में योग और मेडिटेशन को रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनने पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन खुलने के बाद स्कूल कॉलेजों में इसे लागू किया जाना चाहिए.’ उन्होंने स्वस्थ खाना खाने और फॉस्ट फ़ूड से दूर रहने की सलाह दी.

महामारी का लोगों पर पड़े असर के बारे में उन्होंने कहा, ‘पैंडेमिक ने सबको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहना सिखाया. भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश किसी भी महामारी से लड़ने के लिए तैयार होगा. उन्होंने कहा, ‘प्राइवेट सेक्टर को आत्मनिर्भर अभियान का फ़ायदा उठाना चाहिए.’

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कोविड से लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ बुरा बर्ताव नाकाबिले बर्दाश्त है. नायडू के मुताबिक लोगों को ये बताने की ज़रूरत है कि अस्पताल अंतिम विकल्प होना चाहिए और उन्हें स्वस्थ जीवन शैली पर ज़ोर देना चाहिए.

पीएम नरेंद्र मोदी के विजन की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन काफ़ी सफ़ल रहा. उन्होंने कहा, ‘पीएम ने कहा कि लाइफ़ (ज़िंदगी) ज़रूरी है लेकिन लाइवलीहुड (रोज़ी-रोटी) भी ज़रूरी है.’ लॉकडाउन के दौरान पीएम मोदी ने कहा था- जान है तो जहान है.


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उन्होंने कहा कि महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. आगे बढ़कर इसे मज़बूत करने की ज़रूरत है. हालांकि, उन्होंने सतर्कता बरतने पर भी ज़ोर दिया. उपराष्ट्रपति के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान सरकार ने पीपीई किट, एन-95 मास्क और वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने का काम किया है.

सरकार का साथ देने के लिए उन्होंने फ़िक्की और निजी क्षेत्र का भी शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, ‘हमें अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था की व्यवस्था करनी है और इसे सबके लिए उपलब्ध कराना है. प्राइवेट सेक्टर सरकार के साथ आए और हेल्थ केयर सेक्टर को गांवों तक लेकर जाए.’

तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले दिन ‘लीपफ्रॉगिंग टू ए डिजिटल हेल्थकेयर सिस्टमट’ नाम की एक रिपोर्ट भी जारी की गई.

कोविड से भारत में 96 हजार से अधिक की मौत

भारत में कोरोनावायरस का रिकवरी रेट लगातार बढ़ रही है. वायरस को मात देने वालों का आंकड़ा 51 लाख को पार कर चुका है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 70,589 नए मामले सामने आए और 776 मौतें हुईं.

देश में कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 61,45,292 है जिसमें 9,47,576 सक्रिय मामले, 51,01,398 स्वस्थ्य होकर घर जा चुके हैं जबकि 96,318 मौतें शामिल हैं.

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