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‘रोटी थी चिकन नहीं’ अपनी किस्मत पर दुखी मुस्लिम परिवार ने कहा ‘हमें डर लग रहा है’

'देवताओं की तस्वीर वाले अखबार में मांस लपेटने' के आरोप में तालिब हुसैन की गिरफ्तारी के बाद से, उनका परिवार डर के साये में जी रहा है. उनके पोते-पोतियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है और रेस्टोरेंट में ग्राहकों की आवा-जाही भी काफी कम हो गई है.

हुसैन का परिवार संभल में अपने घर पर/ प्रवीण जैन/दिप्रिंट

संभल : उत्तर प्रदेश के संभल के चमन सराय में बाजार के सड़क किनारे बने महक रेस्टोरेंट के बाहर बड़े-बड़े बर्तन खाली पड़े हैं. दोपहर हो चुकी है और एक घंटे बाद शाम की भीड़ होना शुरू हो जाएगी. लेकिन 31 वर्षीय मोहम्मद तबीश को उम्मीद नहीं है कि उनके रेस्टोरेंट पर लोग खाने के लिए आएंगे. रविवार को उनके पिता 58 वर्षीय तालिब हुसैन को रेस्तरां के बिलिंग काउंटर से गिरफ्तार कर लिया गया था. तब से ताबीश ही इसे संभाल रहे हैं.

ताबिश के मुताबिक, रविवार रात करीब 9 बजे पुलिस की एक टीम उनके रेस्टोरेंट में आई और तालिब पर हिंदू देवताओं की छवियों वाले अखबारों में चिकन बेचकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर ले गई.

तालिब हुसैन का रेस्टोरेंट, जहां गिरफ्तारी के बाद से लोगों की भीड़ कम हुई है/ प्रवीण जैन/दिप्रिंट

कुछ हिंदू संगठनों का मानना है कि हुसैन ने जानबूझकर हिंदू देवताओं की छवियों वाले अखबारों में चिकन बेचा. जबकि रेस्टोरेंट मालिक के परिवार का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि संभल पुलिस हुसैन की कथित गलती को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रही है और इसने इलाके में सक्रिय हिंदू संगठनों के साथ हाथ मिलाया हुआ है.

उत्तर प्रदेश के संभल में मुहम्मद ताबिश अपने पिता तालिब हुसैन का रेस्टोरेंट/ प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

हुसैन अब पुलिस हिरासत में है. उनके वकील इकदादार हुसैन पाशा बुधवार को जमानत के लिए अर्जी दाखिल करेंगे. हालांकि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में कड़ी आईपीसी की धाराएं जोड़ी गई हैं, जिससे उसकी रिहाई मुश्किल नजर आती है. संभल कोतवाली पुलिस स्टेशन के सीनियर सब-इंस्पेक्टर अजय कुमार त्यागी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब हम उसे गिरफ्तार करने गए, तो उसने मुझ पर एक चाकू घुमाया, जो हाथ जितना बड़ा था. मैं पीछे हो गया और फिर मेरे लोगों ने उसे पकड़ लिया.’

हुसैन पर धारा 295A (किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया कार्य), 153A (धर्म, जन्म स्थान, निवास स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 307 (हत्या का प्रयास) और 353 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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पाशा ने दिप्रिंट को बताया, ‘भीड़ भरे बाजार में एक बूढ़ा आदमी पुलिस पर कैसे खुले आम हमला कर सकता है? उस गली में काफी सारे कैमरे लगे हैं. आप उन्हें देखिए, पुलिस ही गलत साबित होगी. उनका आरोप निराधार है. उन्होंने अपने इस दावे के लिए कोई सबूत नहीं दिया है.’

हुसैन को ऐसे समय में गिरफ्तार किया गया है जब देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले मामले सामने आ रहे हैं. उदयपुर के एक दर्जी की हत्या भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के बाद कर दी गई. इसके अलावा एक नई वृत्तचित्र फिल्म के पोस्टर को लेकर सांप्रदायिक विवाद गहरा रहा है. इस पोस्टर में ‘हिंदू देवी काली’ के वेश में एक महिला को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है.


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क्या हुआ था, इसे लेकर दो तरह की बातें

संभल कोतवाली थाना महक रेस्टोरेंट से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर है. दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि रात 8.50 बजे, संभल कोतवाली पुलिस को मुखबिरों के जरिए सूचना मिली कि महक रेस्तरां में उसके मुस्लिम मालिक और हिंदुओं के एक समूह के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ है. जब वे मौके पर पहुंचे और बिलिंग काउंटर पर अखबार देखे तो उन्होंने हुसैन को गिरफ्तार कर लिया.

सीनियर सब इंस्पेक्टर त्यागी ने कहा, ‘2 अप्रैल, 2022 से कुल 90 अखबार और अखबार से फटे हुए 116 पेज हुसैन के पास थें. इनमें देवी महागौरी और सरस्वती की तस्वीरें छपी हुईं थीं. कुछ लोगों ने हमें बताया कि उन्होंने उन कागजों पर मांस परोसा जाते हुए देखा है.’

उनके अनुसार, जब मौके पर भीड़ जमा हो गई तो कोई भी शिकायतकर्ता या गवाह के रूप में सामने नहीं आया. त्यागी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.

त्यागी को विवाद के बारे में सूचित किए जाने से कुछ मिनट पहले, भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के जिला उपाध्यक्ष हिमांशु कश्यप ने सम्भल पुलिस को टैग करते हुए हुसैन की मुस्कुराती और अखबारों के एक जैसे बंडल पर पीठ करे हुए एक तस्वीर ट्वीट की.

कश्यप ने दिप्रिंट को बताया कि महक रेस्टोरेंट में हिंदू जागरण मंच और भाजयुमो जैसे हिंदू संगठनों से जुड़े पैदल सैनिक की भीड़ थी.

उन्होंने कहा, ‘जो लोग हमारे साथ जुड़े हुए थे, वे वहां पहुंचे और जब उन्होंने अखबारों में मांस लपेटा हुआ देखा, तो उन्होंने हुसैन को ऐसा न करने के लिए कहा. लेकिन हुसैन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. एक घंटे बाद भी जब हुसैन उन कागजों का इस्तेमाल करते रहे, तो लड़कों ने हमें सूचित किया और हमने पुलिस को फोन किया.

कश्यप ने कहा कि उसके बाद हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष कैलाश गुप्ता और मंच के पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष कपिल देवना के साथ मिलकर उन्होंने पुलिस को बुलाया और दुकान पर इकट्ठा हो गए. लेकिन उनमें से किसी ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं की थी.

कश्यप ने दावा किया कि गिरफ्तारी से चार दिन पहले भी हुसैन को हिंदू देवताओं की तस्वीरों वाले अखबारों को हटाने की चेतावनी दी गई थी. लेकिन उसने ऐसा करना बंद नहीं किया. ‘उनके पास अखबार से निकाले हुए हिंदू देवताओं की तस्वीरों वाले पेज थे. अगर उन्होंने कबाड़ की दुकानों से खाना लपेटने के लिए अखबार खरीदे होते तो वो बंडल में आते. इसका मतलब है कि उसने जानबूझकर ऐसी तस्वीरों वाले पेपर इक्ट्ठा किए थे.’

इस साल की शुरुआत से ही कश्यप ट्विटर पर संभल में मीट की दुकानों से आने वाली बदबू को लेकर पोस्ट कर रहे थे. उन्होंने राज्य सरकार से इस इलाके में मांस के कारखानों पर छापेमारी करने और बंद करने का आग्रह किया था. लेकिन उन्होंने कहा कि वह जो कुछ भी लिखते हैं उसका इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है.

ये रेस्टोरेंट इलाके में काफी लोकप्रिय है. हुसैन की गिरफ्तारी के बाद से यहां ग्राहकों का आना काफी कम हो गया है. लेकिन रेस्टोरेंट के बाहर जिज्ञासु लोगों की भीड़ हमेशा जमा रहती है.

तबिश ने कश्यप के दावों को खारिज करते हुए बताया, ‘हम इस जगह को सालों से चला रहे हैं. यहां हर जगह से सभी समुदायों के लोग आते हैं और खाते हैं. हमने कभी किसी मसले का सामना नहीं किया. लोग इस रेस्टोरेंट को महक के नाम से नहीं, बल्कि मेरे पिता के नाम से जानते हैं.’ और फिर वह अपने काउंटर से एक पैम्फलेट निकालते हुए दिखाते हैं जिसमें लिखा था-इस सफल रेस्तरां के पीछे जिस व्यक्ति का हाथ है, उसे 45 साल का अनुभव है.

तबीश ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसने उस दिन अखबारों का एक नया बंडल खोला था, जिसे वह रोटियां पैक करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. पुराने और बेकार अखबारों में संभल शहर के सभी रेस्तरां रोटियां लपेटकर देते हैं क्योंकि वे सूखी होती हैं. चिकन कभी भी अखबार में पैक नहीं किया जाता. चिकन ग्रेवी के साथ हो या फिर बिना ग्रेवी वाला, उसे प्लास्टिक के बक्सों में पैक किया जाता है जिसका रसोई में ढेर लगा हुआ है.’

तबिश के मुताबिक एक शख्स ग्राहक बनकर रेस्टोरेंट में आया और उसने कुछ रोटियां पैक कराईं. ताबीश ने दावा किया कि ऑनलाइन भुगतान करने का नाटक करते हुए, उस व्यक्ति ने हुसैन की एक तस्वीर खींच ली. ये तस्वीर अब ट्विटर पर प्रसारित हो रही है, जहां वह हिंदू देवताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों के बंडल के बगल में खड़ा मुस्करा रहा है.

जिस दुकान से हुसैन ने कथित तौर पर पुराने और बेकार अखबार खरीदे थे, उसने देवी-देवताओं की छवियों वाले खुले अखबार बेचने से इनकार किया है.

घंटाघर बाजार में रामकिशन बाल मुकुंद के किराना स्टोर के सेल्समैन कपूर सागर ने दिप्रिंट को बताया, ‘महक रेस्तरां ने हमसे कोई स्टैक नहीं खरीदा था. ये पैकेट सीलबंद हमारे पास आते हैं और इनमें से किसी भी पैकेट में अखबार के अलग-अलग पेज नहीं होतें है.’

‘हम डरे हुए हैं’

हुसैन का घर रेस्टोरेंट से ज्यादा दूर नहीं है. वहां स्थिति बेहद तनावपूर्ण है. उनके परिवार को लगता है कि उन्हें नफरत का शिकार बनाया गया है जो अब उनके घर तक पहुंच गई है.

हुसैन की बहू फरहा नाज़ ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम डरे हुए हैं. हमारे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है. हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे साथ ऐसा कुछ हो सकता है. मेरे ससुर को डायबटीज है, उनके पैर में भी चोट लगी है. हम सभी उनके लिए परेशान हैं.’

अपने आलीशान घर में हुसैन की पत्नी नईमा बेगम की चिंता काफी बढ़ गई है. तेज आवाज में दुखड़ों की आवाज के बीच वह खुद को शांत करने के लिए गहरी सांसें लेती हैं. हुसैन की बेटियां और अन्य रिश्तेदार घर पर जमा हो गए हैं, लेकिन उनमें से कोई नहीं जानता कि उसके साथ क्या होने वाला है.

नाज़ ने सवाल किया, ‘पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने किसी पर हमला नहीं किया. वैसे भी वह काउंटर पर चाकू क्यों रखेंगे?’

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