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UP के चंदौली में महिला की ‘पीट-पीटकर हत्या’ मामले में SHO और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज

हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव की बेटी निशा यादव उस समय बहन के साथ घर पर थी जब वहां पहुंचे पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर दोनों को पीटा. परिवार ने पुलिस के इस दावे को निराधार बताया है कि उसने ‘आत्महत्या’ की.

फोटो- विशेष व्यवस्था द्वारा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने चंदौली जिले में 24 वर्षीय एक महिला की मौत के मामले में एक स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) समेत अपने ही कुछ कर्मियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है.

यह मामला निशा यादव की मौत से जुड़ा है, जिसके पिता कन्हैया यादव पर दंगों में शामिल होने समेत कई आपराधिक आरोप हैं. इनमें यूपी के गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत दर्ज मामले भी शामिल हैं.

निशा के परिवारवालों का दावा है कि वह और उसकी बहन गुंजा रविवार को चंदौली स्थित मनराजपुर गांव में घर पर अकेली थीं, जब पुलिस की एक टीम ने वहां छापा मारा और उनके साथ मारपीट की.

निशा की बहन गुंजा ने प्रेस को बताया कि उसकी बहन को बेल्ट से ‘बुरी तरह’ पीटा गया और फिर मामला ‘आत्महत्या जैसा दिखने के लिए’ उसे ‘ढीले तौर पर’ छत के पंखे से लटका दिया गया.

चंदौली के पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल ने सोमवार को एक प्रेस सम्मेलन में बताया कि चंदौली पुलिस ने सैयदराजा थाने के एसएचओ उदय प्रताप सिंह, कांस्टेबल संजय सिंह, चार अज्ञात महिला कांस्टेबलों और ‘अन्य’ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या), धारा 452 (घर में घुसना) और धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया है.

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अंकुर अग्रवाल ने बताया कि पुलिस टीम ‘छापे की कार्रवाई के तहत जांच’ के लिए कन्हैया के घर गई थी, वहीं, कन्हैया का दावा है कि यह सब बिना किसी वारंट के किया गया. जबकि एसपी का कहना है कि दंगों के एक मामले में कन्हैया के खिलाफ गैरजमानती वारंट था.

एसपी ने बताया कि एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है.


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परिवार का क्या है आरोप

गुंजा ने प्रेस को बताया कि सैयदराजा थाने के एसएचओ उदय प्रताप सिंह की अगुआई में रविवार शाम पुलिसकर्मियों की एक टीम घर पहुंची थी. पुलिस को जिस कन्हैया की तलाश थी, वह उस समय घर पर नहीं था और न ही उसके दोनों भाई वहां मौजूद थे.

गुंजा ने बताया कि घर आने वाली पुलिस टीम में कुछ महिला कांस्टेबल भी शामिल थीं.

गुंजा ने कहा, ‘जब मैंने घर में घुसने का विरोध किया, तो उन्होंने मुझे पीटा गया और मेरी बहन को भी दूसरे कमरे में ले जाकर बुरी तरह से पीटा गया. उसकी पीठ पर बेल्ट से हमले के कई निशान हैं.’

बहन का दावा है कि निशा की पिटाई करने के बाद पुलिस टीम ने बेहाल अवस्था में ही उसे पंखे से लटका दिया और वहां से चली गई. गुंजा के मुताबिक, पुलिस टीम आधे घंटे तक उनके घर पर रही.

गुंजा का आरोप है, ‘यह आत्महत्या नहीं है. इसे ऐसा दिखाने की कोशिश की जा रही है.’

पुलिस के छापे को लेकर परिवार का दावा है कि यह कार्रवाई ऐसे समय की गई जबकि एक दिन पहले ही पुलिस ने कन्हैया के सबसे बड़े बेटे विजय यादव को आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी संबंधी धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर लिया था.

गुंजा ने प्रेस को बताया, ‘एसएचओ उदय प्रताप सिंह शनिवार शाम करीब छह बजे मेरे भाई को उठा ले गए और रात में उसे पीटा गया.’

उसने बताया कि रविवार शाम को विजय को जमानत दे दी गई.

उसने बताया, ‘लेकिन इसके पहले ही पुलिस मेरी बहन की हत्या कर चुकी थी. मैंने किसी से मोबाइल फोन लेकर उसे फोन किया.’

यह सब ऐसे समय घटा जब परिवार शादियों की तैयारी कर रहा था—पहले विजय और फिर निशा की.


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‘उत्पीड़न के शिकार’

दिप्रिंट ने इस मामले में दर्ज एफआईआर देखी है, जो विजय यादव की तरफ से दर्ज कराई गई थी. इसमें कहा गया है कि एसएचओ को पता था कि रविवार शाम दोनों महिलाएं घर पर अकेली थीं.

उनके पिता कन्हैया ने एबीपी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि पुलिस 2020 से ही उनके परिवार का उत्पीड़न कर रही थी और वह जिला प्रशासन की तरफ से ‘जिला बदर’ किए जाने के बाद जुलाई 2021 से वाराणसी में रह रहे हैं.

‘जिला बदर’ एक तरह नोटिस है जो जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से किसी ऐसे व्यक्ति को जिले से निष्कासित करने के लिए जारी किया जाता है जिस पर आपराधिक आरोप हों.

कन्हैया ने कहा, ‘जब (शनिवार को) पुलिस आई और मेरे बेटे को ले गई तो मैं घर पर नहीं था. मेरा छोटा बेटा विशाल उसे जेल से छुड़ाने की कोशिश कर रहा था.’

उन्होंने कहा, ‘जब तक (निशा की मौत के बाद) मैं घर पहुंचा, तब तक भीड़ जमा हो चुकी थी और प्रशासन हम पर शव के अंतिम संस्कार के लिए दबाव बना रहा था.’

परिवार ने पहले तो मना किया, लेकिन पुलिस के बढ़ते दबाव के आगे झुक गया. रविवार रात ही निशा का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

पिता के खिलाफ दर्ज हैं कई केस

कन्हैया यादव रेत के व्यापारी हैं और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से कई चंदौली में ही दर्ज हैं.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक उनके खिलाफ दंगा करने के अलावा आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 110-जी (आदतन अपराधियों को उकसाना), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और विद्युत अधिनियम के तहत बिजली चोरी के आरोप भी हैं.

2020 में कन्हैया और उनके बेटों—विजय और दीपनारायण उर्फ विशाल—के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पुलिस सूत्रों का दावा है कि कन्हैया के बालू माफिया के साथ संबंध किसी से छिपे नहीं हैं.

ऑटोप्सी में कोई बड़ी चोट होने से इंकार किया गया

चंदौली के एसपी अग्रवाल ने सोमवार को प्रेस को बताया कि हालांकि शव परीक्षण से निशा की मौत का कारण पता नहीं चल सका है. इसमें ‘गर्दन पर खरोंच’ और ‘बाएं जबड़े के पास 0.5 सेंटीमीटर लंबी मामूली चोट’ के अलावा कुछ नहीं मिला है.

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, कोई आंतरिक या बाहरी चोट नहीं मिली है. फिर भी, हम जांच कर रहे हैं और फोरेंसिक को एक रिपोर्ट भेज दी है.’

एसपी ने इससे पहले अपने बयान में संकेत दिए थे कि मौत का प्रथम दृष्टया कारण आत्महत्या हो सकती है.

हालांकि, निशा के परिवारवालों ने पुलिस के इस दावे को निराधार बताया है.

कन्हैया ने दावा किया, ‘उसे बेल्ट से पीटा गया है. उसकी पीठ और पैर में चोट के निशान थे और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोट के निशान थे. उसकी मौत के बाद, उन्होंने उसे एक पंखे से बांध दिया और मौके से भाग गए, जबकि मेरी दूसरी बेटी बेहोश थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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