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इतिहास के पन्‍नों में चौरी-चौरा के शहीदों को प्रमुखता नहीं दिया जाना दुर्भाग्‍यपूर्ण: नरेंद्र मोदी

मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में संभवतः ऐसे कम ही वाकये होंगे, जब किसी एक घटना पर 19 स्‍वतंत्रता सेनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया.

पीएम नरेंद्र मोदी | फोटो: ट्विटर | @BJP4India

गोरखपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौरी-चौरा के शहीदों को इतिहास के पन्‍नों में प्रमुखता नहीं दिये जाने को दुर्भाग्‍यपूर्ण करार देते हुए बृहस्‍पतिवार को कहा कि वह आगजनी की कोई मामूली घटना नहीं थी, बल्कि उसने देश के जन-जन के दिलों में आजादी की अलख जगायी थी.

प्रधानमंत्री ने यहां चौरी-चौरा शताब्‍दी समारोह का वर्चुअल माध्‍यम से उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘सौ वर्ष पहले चौरी-चौरा में जो हुआ, वह सिर्फ एक थाने में आग लगा देने की घटना मात्र नहीं थी. चौरी-चौरा का संदेश बहुत बड़ा था, बहुत व्यापक था. पहले जब भी चौरी-चौरा की बात हुई, तब उसे एक मामूली आगजनी के संदर्भ में ही देखा गया लेकिन आग थाने में नहीं लगी थी, बल्कि आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हो चुकी थी.’

उन्‍होंने कहा, ‘चौरी-चौरा देश के सामान्य नागरिक का स्वत: स्फूर्त संग्राम था. यह दुर्भाग्य है कि चौरी-चौरा के शहीदों की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई. इन क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में भले ही प्रमुखता से जगह ना दी गई हो लेकिन आजादी के लिए उनका खून देश की माटी में जरूर मिला हुआ है, जो हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.’

मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में संभवतः ऐसे कम ही वाकये होंगे, जब किसी एक घटना पर 19 स्‍वतंत्रता सेनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. अंग्रेज हुकूमत तो सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने पर तुली हुई थी, लेकिन बाबा राघव दास और महामना मदन मोहन मालवीय के प्रयासों की वजह से करीब 150 लोगों को फांसी से बचा लिया गया था. इसलिए आज का दिन विशेष रूप से बाबा राघव दास और महामना मालवीय को भी प्रणाम करने और उन्हें याद करने का है.

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उन्‍होंने चौरी चौरा शताब्‍दी वर्ष पर उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार द्वारा पूरे साल कार्यक्रम आयोजित किये जाने के कदम की सराहना करते हुए कहा, ‘आज चौरी-चौरा की शताब्दी पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया है. आज से शुरू हो रहे यह कार्यक्रम पूरे साल आयोजित किए जाएंगे. इस दौरान चौरी-चौरा के साथ ही हर गांव, हर क्षेत्र के वीर बलिदानियों को भी याद किया जाएगा. इस साल जब देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, उस समय ऐसे समारोह का होना इसे और भी प्रासंगिक बना देता है.’

मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि इस पूरे अभियान से हमारे छात्र-छात्राओं और युवाओं को प्रतियोगिता के माध्यम से भी जोड़ा जा रहा है. हमारे युवा जो अध्ययन करेंगे उससे उन्हें इतिहास के कई अनकहे पहलू भी पता चलेंगे. केन्‍द्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भी आजादी के 75 साल पूरे होने पर युवा लेखकों को स्वतंत्रता सेनानियों पर किताब लिखने के लिए, घटनाओं पर किताब और शोध पत्र लिखने के लिए आमंत्रित किया है. चौरी-चौरा संग्राम के कितने ही ऐसे वीर सेनानी हैं जिनके जीवन को आप देश के सामने ला सकते हैं. चौरी-चौरा शताब्दी के कार्यक्रमों को स्‍थानीय कला, संस्कृति और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का प्रयास किया गया है. यह प्रयास भी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी.’


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