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कश्मीर के सोपोर फल मंडी में फंसे सैकड़ों ट्रक ड्राइवर, न कहीं जा सकते न कुछ कर सकते

उत्तरी कश्मीर में सोपोर मंडी एशिया की सबसे बड़ी फलों की मंडी है. राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां की मंडियां सूनी पड़ी है. राजस्थान, पंजाब, यूपी और हरियाणा के सैकड़ों ट्रक ड्राइवर यहां काफी दिनों से फंसे हुए हैं.

उत्तरी कश्मीर के सोपोर के एक मंडी में खड़े ट्रक ड्राइवर | फोटो : प्रवीण जैन/दिप्रिंट

सोपोर : उत्तरी कश्मीर के सोपोर के फल मंडी में ट्रक को पार्किंग में लगाकर जसबीर सिंह सोच रहे हैं कि वो यहां से कब निकल पाएंगे और अपने घर अमृतसर कब पहुंचेंगे. वे बीते कई दिनों से ट्रक के अंदर ही गुजर बसर कर रहे हैं.

जसबीर राजस्थान के अपने एक साथी को वापस चलने के लिए कहते हैं. लेकिन उसे समझाने में असफल रहते हैं. उसके बाद दोनों पैसों का हिसाब लगाते हैं, अपने जेब में पड़े पैसों को देखते हैं और यहां दो दिन और रूकने का फैसला करते हैं.

राजस्थान, पंजाब, यूपी और हरियाणा से पिछले महीने कश्मीर आए ट्रक ड्राइवर यहां काफी दिनों से उत्तरी कश्मीर में फंसे हुए हैं. उनके पास रहने के लिए कोई जगह तक नहीं है. पैसों की कमी है और कई दिनों से उनका परिवार वालों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

विभिन्न राज्यों के ट्रक ड्राइवर सोपोर के एक मंडी में फंसे हुए हैं| फोटो : प्रवीण जैन/दिप्रिंट

सोपोर मंडी एशिया की सबसे बड़ी फलों की होलसेल मंडी है. लेकिन, सैकड़ों की तादाद में यहां ट्रक खड़े हुए हैं. राज्य को अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे की मान्यता हटने के बाद यहां के मंडियों सूनी पडी है. दूसरे राज्यों से आए ट्रक ड्राइवर जो यहां के सेबों को दूसरे राज्य में पहुंचाते हैं. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जसबीर ने दिप्रिंट को बताया, ‘किसान मंडियों तक अपने उत्पादों को नहीं पहुंचा पा रहे हैं. अगर कुछ लोग आ भी रहे हैं तो वो हमारे ट्रकों में माल नहीं भर रहे हैं. हम पिछले 15 दिनों से यहां फंसे हुए हैं. हर दिन मैं सोचता हूं कि यहां से अमृतसर चला जाऊं लेकिन खाली ट्रक ले जाने का मतलब है 40 से 50 हज़ार रुपए का नुकसान. यह सोचकर मैं रूक जाता हूं और आशा करता हूं कि स्थिति सामान्य हो जाए.’

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जसबीर ने बताया हर एक ट्रिप से ड्राइवर लगभग 50 हज़ार रुपए कमाता है. डीजल के पैसे उसे अलग से मिलते हैं. जो पैसा वो कमाते हैं उससे ट्रक की किश्त, इंश्योरेंस और परमिट कोस्ट भरी जाती है.


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पटियाला के रहने वाले कुलवीर सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर हम खाली ट्रकों को लेकर वापस चले गए तो हमें कुछ भी फायदा नहीं होगा. यहां तक की डीजल के पैसे भी हमें अपनी ही जेब से भरना पड़ेगा. हम पहले से ही यहां 15 दिन बेकार कर चुके हैं. आधा महीना बीत चुका है. हमारे हर रोज 250 से 500 रुपए सिर्फ खाने पर खर्च हो जाते हैं. ऐसे में अगर हम वापस चले जाते हैं तो इसका मतलब है कि इस महीने हमारी बिल्कुल भी कमाई नहीं हो पाएगी.’

उम्मीदों के सहारे बीतते दिन

सभी ड्राइवर सुबह 5 बजे इस उम्मीद के साथ उठते हैं कि आज मंडी खुलेगी और किसान अपना उत्पाद लेकर मंडी में आएगा. सभी को आशा इस बात से है कि पिछले कुछ दिनों में पंजाब और दिल्ली के लिए ट्रक रवाना हुए हैं. लेकिन, फिर से इसमें रोक लग गई. ऐसा क्यों हुआ अब तक उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.

राजू जो बिहार का रहने वाला है और ट्रक लेकर कश्मीर में फंसा हुआ है उसने दिप्रिंट को कहा, ‘छह दिन पहले कुछ ट्रक यहां से भरकर निकले थे. ट्रकों को सेबों से भर दिया गया था और यहां से रवाना किया गया था. लेकिन, अचानक मंडी को बंद करने के लिए कह दिया गया. जो लोग यहां से निकल गए वो काफी भाग्यशाली हैं.

सोपोर की फल मंडी में फंसा एक ट्रक ड्राइवर | फोटो : प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

फोन में नेटवर्क ने रहने के कारण और दिनभर कोई काम न रहने से ड्राइवरों का सारा दिन आपस में बातचीत करके बीतता है. इन लोगों की काफी दिनों से अपने परिवार वालों से भी बात नहीं हो पाई है. कुछ लोग गाने सुनकर भी अपनी दिन बिताते हैं.

बाड़मेर के रहने वाले ओमप्रकाश अपने बगल वाले की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, मैंने इतने दिनों में इनके परिवार वालों के बारे में काफी बातें सुन ली है. अब तो ऐसा लगता है कि मैं इनके परिवार को सालों से जानता हूं.

ओम प्रकाश हंसते हुए कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है कि हमने 15 दिनों से अपने परिवार वालों से बात नहीं की है. यहां हमारे फोन में नेटवर्क नहीं है. हमारे परिवार वाले तो सोच रहे होंगे कि शायद वो मर न गए हों.

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले मोहम्मद राशिद कहते हैं, मैं यहां गायकों की तलाश में हूं. पूरे दिन में हम कितनी बार मंडी के चक्कर लगाए. एक ही जगह पर कितनी देर तक घूमा जा सकता है. अब हम अपना समय काटने के लिए गाने का प्रोग्राम करते हैं, जिसमें हममें से ही लोग गाना गाते हैं.

ट्रक जला न दें इस बात का है डर

यूपी के जयवीर ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर कश्मीर में हो क्या रहा है. लेकिन उन्हें इस बात का अबतक जवाब नहीं मिला है. जयवीर ने कहा कि मुझे इतना ही कहा गया है कि हालात खराब है. ट्रक जला रहे हैं. ट्रांसपोर्ट करोगे तो गोली मार देंगे.

जयवीर ने रिपोर्टर से पूछा कि सरकार ने आखिर किया क्या है. हमारे फोन क्यों बंद पड़े हैं. अनुच्छेद-370 है क्या. कोई मुझे कुछ भी नहीं बता रहा है.

कारणों को जानने की उत्सुकता के कारण ट्रक ड्राइवर कश्मीरी लोगों से बात कर रहे हैं. लेकिन उन्हें वहां से कुछ पता नहीं चल पा रहा है.


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उनका कहना है कि अगर हम हड़ताल के दौरान काम करेंगे तो आतंकवादी हमें मार देंगे. जयवीर कहते हैं, ‘सरकार ने जो किया है वो हम लोगों को काफी परेशान करने वाला है.’

ट्रक में लेटे हुए ड्राइवर | फोटो : प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

जो कुछ भी सरकार ने किया है उससे हमारे बिजनेस को नुकसान हो रहा है. न सिर्फ हम पर इसका प्रभाव पड़ रहा है बल्कि इन मज़दूरों पर भी प्रभाव पड़ रहा है. आज हमने सुना कि आतंकवादियों ने 3 लोगों को मार दिया है जिसमें एक 2 साल की बच्ची भी था. तो ऐसे में हम कैसे काम कर सकते हैं. इसलिए हम कुछ और दिन यहां रहकर इंतजार कर रहे हैं ,उसके बाद ही यहां से जाने पर विचार करेंगे. चाहे हमें नुकसान ही क्यों न हो रहा हो.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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