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तालिबान ने दोहा समझौते को तोड़ा, अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालना प्राथमिकता: मोदी सरकार

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को कहा था कि वो अफगानिस्तान की स्थिति पर विभिन्न राजनीतिक दलों को जानकारी दें.

सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते विदेश मंत्री एस जयशंकर | एएनआई

नई दिल्ली: सरकार ने बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति की जानकारी दी और कहा कि वहां से भारतीय कर्मियों को बाहर निकालना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है जहां स्थिति ‘गंभीर’ है.

पिछले सप्ताह तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी.

संसदीय सौंध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्य सभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे.

बैठक में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों के अनुसार, विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान से यथासंभव अधिक लोगों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय कर्मियों को निकालना ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ है.

सरकार ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान की स्थिति को ‘गंभीर’ बताया और कहा कि तालिबान ने दोहा समझौते में किये गए वादे को तोड़ा है.

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‘राष्ट्रीय भावना के साथ इकट्ठे हुए हैं’

विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को अफगानिस्तान के मुद्दे पर जानकारी देने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बैठक में 31 पार्टियों के 37 नेता मौजूद थे और इस मुद्दे पर सरकार और सब राजनीतिक पार्टियों की एक जैसी राय है.

अफगानिस्तान के साथ राष्ट्र की भावना जुड़ी है. इसलिए विकास एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है. हम एक राष्ट्रीय भावना के साथ इकट्ठे हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारी मजबूत दोस्ती वहां चल रहे 500 से भी ज्यादा परियोजनाओं में परिलक्षित होती है. यह दोस्ती हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी.’

जयशंकर ने कहा, ‘हमने विशेष रूप से हवाई अड्डे पर अत्यंत कठिन परिस्थितियों में निकासी अभियान चलाया है. यही हमारी तात्कालिक चिंता है.’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम ज़्यादातर भारतीयों को वापस ले आए हैं लेकिन सबको वापस नहीं लाए हैं. हम कुछ अफगान नागरिकों को भी लाए हैं जो इस समय भारत आना चाहते थे. सरकार जल्दी से जल्दी लोगों की पूरी वापसी सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.’

उल्लेखनीय है कि तालिबान नेताओं और अमेरिका के बीच फरवरी 2020 में हुए दोहा समझौते में धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र को रेखांकित किया गया था. इसमें काबुल में एक ऐसी सरकार की बात कही गई थी जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो.

इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया.

इस बैठक में अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और विदेश सचिव हर्ष श्रंगला ने भी हिस्सा लिया.

बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को कहा था कि वो अफगानिस्तान की स्थिति पर विभिन्न राजनीतिक दलों को जानकारी दें.

(भाषा के इनपुट के साथ)


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