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जानिए ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की कहानी , जो पहले राफेल स्क्वाड्रन की कमान संभालेंगे

ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को खराब मिग-21 बाइसन की सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए 2009 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह (दाएं से दूसरा) | विशेष व्यवस्था द्वारा

नई दिल्ली : फ्रांस ने मंगलवार को मेरिनेक एयरबेस पर भारत को पहला राफेल फाइटर जेट सौंपा. वैसे ही सोशल मीडिया पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की तस्वीरें छा गयी थीं.

ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह अधिकारियों के बीच मौजूद थे. सिंह नयी 17 वीं स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ के कमांडिंग ऑफिसर हैं. मई 2020 के अंत तक चार राफेल फाइटर का पहला सेट भारत को मिलेगा.

ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह पहले मिग -21 के पायलट थे, उन्हें एयरक्राफ्ट और खुद की जान बचाने के लिए के लिए 2009 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

https://youtu.be/bZBgyhbOqqg

23 सितंबर 2008 की रात को क्या हुआ था

ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह तब स्क्वाड्रन लीडर थे उनको 23 सितंबर 2008 की रात दो विमानों वाली अभ्यास अवरोधन उड़ान (practice interception sortie) मिग 21 बाइसन में भरनी थी.

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हरकीरत सिंह के अनुसार, तकरीबन चार किलोमीटर की ऊंचाई पर अवरोध प्रक्रिया के दौरान इंजन से तीन धमाके सुनाये दिए.

गैलेंट्री अवार्ड के प्रशस्ति पत्र ने लिखा गया है कि उन्होंने तुरंत आग पर काबू पा लिया. इसके कारण विमान को नीचे उतरने में आसानी हो सकी. यही नहीं, उन्होंने हेड-अप डिस्प्ले और मल्टी-फंक्शनल डिस्प्ले पर आंकड़ों को भी नहीं पाया.

केवल बैटरी से चलने वाले आपातकालीन फ्लडलाइट उपलब्ध होने के कारण कॉकपिट की रोशनी बंद हो गई थी. रेगिस्तान के ऊपर अंधेरी रात में उड़ान भरते समय जमीन पर बहुत कम रोशनी थी और आसमान में केवल तारे होने के कारण भटकाव बहुत जल्दी हो सकता था. अगर आग निकलती तो आपातकाल जैसी स्थिति हो सकती थी.

प्रशस्ति पत्र में यह भी कहा गया कि ‘इसके अलावा, कॉकपिट में मंद रोशनी के कम उपलब्ध उपकरणों के कारण इस स्थिति में भटकाव भी हो सकता है.

हरकीरत सिंह की कार्रवाई जिसने उनकी जान बचाई और उनका विमान भी

हरकीरत सिंह ने शांति से स्थिति का आकलन किया और नियंत्रित तरीके से प्रतिक्रिया दी. उन्होंने तुरंत विमान को स्टॉलिंग रेजीम में प्रवेश करने से रोक दिया गया.


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ग्रुप कैप्टन सिंह ने बिना देर किए इंजन को फिर से चलाने के लिए रिकवरी की कार्रवाई की. ऐसा करते समय, उन्होंने अंधेरी रात में विमान को चलाने का कठिन काम जारी रखा. कॉकपिट में लाइट बहाल होने के बाद, उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल इंटरसेप्ट कंट्रोलर से सहायता के साथ अंतिम नेविगेशन पर स्थिति की निगरानी के लिए बोर्ड नेविगेशन सिस्टम का उपयोग किया. उन्होंने कठिन परिस्थिति का सामना किया. उनको अंधेरी रात में विमान की लैंडिंग करनी थी जिसके लिए बेहद आला दर्जे की कौशल और साहस चाहिए.

प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि ‘प्रतिकूल परिस्थितियों में मानसिक स्थिति के साथ उनकी पायलटिंग कौशल ने विमान को सफलतापूर्वक लैंड करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विमान को बचाने के लिए उन्होंने अपनी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती.

इसमें कहा गया है किसी भी गलत इनपुट या पायलट द्वारा देरी से की गई कार्रवाई के परिणामस्वरूप एक भयावह दुर्घटना हो सकती है. लैंडिंग के बाद, उन्होंने रनवे को बंद कर दिया और स्विच ऑफ कर दिया, जिससे अन्य विमान की रिकवरी संभव हो गई.

प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि उनकी त्वरित और उचित कार्रवाइयों ने श्रेणी- I दुर्घटना को रोका और एक मूल्यवान विमान को बचाया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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