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कंगाली में सरकार जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण न करे, देता है 30% से ज्यादा मुनाफा: संजय राउत

उन्होंंने कहा कि हमारी GDP और हमारा RBI भी कंगाल हो चुका है और सरकार एयर इंडिया, रेलवे, LIC और काफी कुछ बाज़ार में बेचने के बड़ा सेल लगा रखा है.

राज्यसभा में बोलते संजय राउत.

नई दिल्ली शिवसेना नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को संसद में शून्यकाल में सरकार से मांग की कि वह लाभकारी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करे.

राउत ने कहा कि यह विश्व का सबसे बड़ा पोर्ट है जो भारत सरकार को 30 फीसदी से ज्यादा का मुनाफा कमा कर देता है.

उन्होंंने सरकार पर निजीकरण पर तंज कसते हुए कहा कि देश की आर्थिक हालत बहुत गंभीर है, ऐसी स्थिति है कि हमारी GDP और हमारा RBI भी कंगाल हो चुका है और सरकार एयर इंडिया, रेलवे, LIC और काफी कुछ बाज़ार में बेचने के लिए लाया है बहुत बड़ा सेल लगा है अब इस सेल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को भी खड़ा कर दिया है.

शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी व कोविड—19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है.

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उन्होंने कहा ‘ यही वजह है कि आज रेलवे, एलआईसी, एयर इंडिया का निजीकरण किया जा रहा है. जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है. सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है. इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है. युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है.’

उन्होंने कहा ‘ इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड जमीन को निजी हाथों में दे देना. इससे बेरोजगारी भी बढेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी. यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है.’

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