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पढ़ने और जेल के संस्मरण लिखने में हैं व्यस्त- सलाखों के पीछे कैसे अपना वक्त बिता रहे संजय राउत

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ‘पात्रा चॉल भूमि घोटाले’ के मामले में जेल में बंद हैं. उनके भाई सुनील ने बताया, रिहाई के बाद जल्द ही उनका संस्मरण प्रकाशित किया जाएगा.

मनी लॉन्डरिंग मामले में स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किए जाने के वक्त मुंबई में 8 अगस्त को अपने समर्थकों के सामने हाथ हिलाते हुए । क्रेडिट: एएनआई

मुंबई: तीखे शब्दों में लिखे गए सामना संपादकीय और रोजाना सुबह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ दिन के समाचार एजेंडा को निर्धारित करने के लिए जाने जाने वाले शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत अब अपनी कैद पर एक किताब लिख रहे हैं.

संजय राउत के भाई और जेल में उनके एकमात्र विजिटर सुनील राउत ने दिप्रिंट को बताया कि शिवसेना नेता अपना संस्मरण लिख रहे हैं. वह जेल में बीते हर पल को बारीकी के साथ पन्नों पर उतारना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘वह जेल के अपने अनुभवों को लिख रहे हैं. वह अपने संस्मरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी से लेकर अपनी रिहाई तक के अनुभव साझा करेंगे.’ उनके मुताबिक, शिवसेना नेता अपनी रिहाई के तुरंत बाद एक किताब के रूप में अपने इस संस्मरण को प्रकाशित करवाएंगे.

संजय राउत को ईडी ने 1 अगस्त को मुंबई के उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था.

राउत ने लेखन के अलावा राजनीति और इतिहास की किताबों में खुद को पूरी तरह से डुबो दिया है. पिछले 33 सालों से शिवसेना के सदस्य राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में संपादकीय पदों पर 32 साल बिताए हैं.

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स्वाभाविक रूप से उनके भाई को किताबों का शौक है और वह एक उत्साही पाठक हैं. सुनील ने कहा, ‘फिलहाल जेल में उनके पास लगभग 60-70 किताबें हैं और हाल ही में दिवंगत समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस पर भी उन्होंने कुछ किताबें मंगवाई हैं.’

सुनील ने बताया, ‘उनके पास ज्यादातर राजनीतिक और इतिहास पर किताबें हैं, जिन्हें वह अभी पढ़ रहे हैं.’


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ईडी जांच

ईडी पात्रा चॉल पुनर्विकास मामले की जांच कर रही है, जहां कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है. राउत पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य आरोपी प्रवीण राउत के जरिए गोरेगांव-जहां यह प्रोजेक्ट चल रहा है- में जमीन के फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) की बिक्री से प्राप्त 3.27 करोड़ रुपये का फायदा उठाया है.

ईडी ने पिछले महीने संजय राउत के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अपने ‘प्रॉक्सी और भरोसेमंद’ प्रवीण राउत के साथ ‘पर्दे के पीछे रहते’ हुए ये जालसाजी की ताकि कोई उन पर उंगली न उठा सके.

4 अक्टूबर को एक विशेष अदालत ने राउत को फिर से जमानत देने से इनकार कर दिया और उनकी हिरासत 10 अक्टूबर तक बढ़ा दी.


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जेल में राउत के जीवन का एक दिन

आर्थर रोड जेल में बैरक नंबर 12 में 15x 20 फीट की छोटी सी जगह में बंद राउत आमतौर पर सुबह जल्दी उठते हैं. सुनील ने कहा कि वह कैंटीन से सिर्फ अपना नाश्ता खरीदते हैं. उनका बाकी खाना घर से आता है क्योंकि अदालत ने उन्हें घर का बना खाना और दवाइयां लेने की अनुमति दी है.

सप्ताह में सिर्फ एक बार उनसे मिलने की अनुमति है. सुनील हर शुक्रवार को अपने बड़े भाई से मिलने जाते हैं. उनके वकील, जिन्हें सप्ताह में दो बार उनसे मिलने की अनुमति है, सोमवार और गुरुवार को उनसे मिलते हैं.

सुनील ने बताया, ‘मैं परिवार का अकेला सदस्य हूं जो जेल के अंदर उनसे मिलता है…. हम इंटरकॉम पर बात करते हैं जहां तक अन्य नेताओं की बात है तो वे अदालती कार्यवाही के दौरान चाहें तो उनसे मिल सकते हैं. यहां तक कि उनकी पत्नी और बेटी भी उनसे कोर्ट में ही मिलते हैं.’

सुनील ने कहा, ‘संजय राउत हमेशा कहते हैं कि मौजूदा समय में देश की स्थिति आजादी से पहले जैसी हो गई है. उस समय जब स्वतंत्रता सेनानी अपनी राय देते थे तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाता था.’

सुनील ने कहा. ‘भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के मुताबिक, कोई भी क्षेत्रीय दल नहीं रहना चाहिए. यह एक अघोषित आपातकाल की तरह है और संजय ने इसके खिलाफ लगातार आवाज उठाई है.’

शिवसेना विधायक ने कहा, ‘सिर्फ हम ही नहीं, बल्कि पूरा महाराष्ट्र उनकी रिहाई का इंतजार कर रहा है. वह उन गिने-चुने लोगों में से एक हैं जिन्होंने भाजपा के खिलाफ बोलने की हिम्मत की. उनकी लोगों के बीच बोलने की कला बेजोड़ है. भाषण के मामले में सिर्फ एक बालासाहेब ठाकरे और एक इंदिरा गांधी थीं और अब बस एक संजय राउत हैं.’

ठाकरे परिवार के सदस्य अब तक राउत से जेल में नहीं मिले हैं. सितंबर में उद्धव ठाकरे ने जेल अधिकारियों से जेलर के कमरे में राउत से मिलने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया और इसके बजाय अदालत की अनुमति लेने के लिए कहा गया.


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अभी भी लोकप्रिय

जेल में 60 दिनों से ज्यादा समय बिताने के बाद भी शिवसेना में राउत का महत्व कम नहीं हुआ है.

2019 में यह संजय राउत ही थे जिन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार बनाने की पहल की थी और पुराने समय की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के साथ संबंध तोड़ने के उद्धव के फैसले का समर्थन किया था.

पिछले महीने पार्टी के संबोधन के दौरान उद्धव ने संजय राउत और उनकी वफादारी का जिक्र किया और मंच पर उनके लिए एक कुर्सी खाली रखी. दशहरा रैली में उनके लिए फिर से एक कुर्सी खाली छोड़ दी गई. नवरात्र के दौरान उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे राउत के घर दर्शन के लिए पहुंचीं थीं.

सुनील ने कहा, ‘वह एक भरोसेमंद शिव सैनिक हैं. उन्होंने भाजपा के सामने घुटने नहीं टेके. इसलिए उनके योगदान को याद किया जाता है. उद्धव ठाकरे के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों और महाराष्ट्र का उन्हें न भूलने की वजह से दोनों रैलियों में उनकी कुर्सी खाली रखी गई थी.’

शिवसेना विधायक ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि संजय राउत अपने एमवीए सहयोगी और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से नहीं मिले हैं, जो बैरक नंबर 12 में ही बंद हैं. उन्होंने कहा, ‘उन्हें किसी और से मिलने की अनुमति नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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