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टाटा के शेयर न गिरवी रखने न बेचने की SC की हिदायत पर शापूरजी पलोनजी बोले-‘अलग होने का समय आ गया’

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह और साइरस मिस्त्री को 28 अक्टूबर तक टाटा संस प्रा लि के शेयर गिरवी रखने या हस्तांतरित करने से रोक दिया.

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टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा और साइरस मिस्त्री.

नई दिल्ली: शापूरजी पलोनजी (एस पी) समूह ने मंगलवार को कहा कि टाटा से अलग होने और 70 साल पुराने संबंधों को समाप्त करने का समय आ गया है. एसपी समूह की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह इसमें सबसे बड़ा अल्पांश हिस्सेदार है.

टाटा संस समूचे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है.

शापूरजी पलोनजी समूह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘उसने उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा कि निरंतर कानूनी विवाद के आजीविका और अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंका को देखते हुए टाटा समूह से अलग होना जरूरी हो गया है.’

बयान के अनुसार यह महत्वपूर्ण है कि मामले में निष्पक्ष और समानता के आधार पर जल्दी समाधान पर पहुंचा जाए जिसमें पूरी संपत्ति का मूल्य प्रतिबिंबित हो.

साइरस मिस्त्री को टाटा संस से अक्टूबर 2016 में बर्खास्त किये जाने के बाद से एस पी समूह और टाटा के बीच कानूनी जंग जारी है.

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बयान के अनुसार टाटा संस ने कोविड महामारी से उत्पन्न वैश्विक संकट के बीच, एस पी समूह को नुकसान पहुंचाने के लिये पूरे प्रयास किये हैं.

मिस्त्री परिवार अपनी व्यक्तिगत संपत्ति के एवज में कोष जुटाने में लगा था. यह कदम 60,000 कर्मचारियों और 1,00,000 से अधिक प्रवासी कामगारों की आजीविका के लिये उठाया गया था.

बयान के अनुसार टाटा संस का कोष जुटाने के कदम को बाधित करना उसके बदला लेने वाली मन:स्थिति को प्रकट करता है.

एस पी समूह ने कहा कि मौजूदा स्थिति और टाटा संस की बदले की कार्रवाई को देखते हुए दोनों समूह का एक साथ बने रहना व्यवहारिक नहीं रह गया है.

टाटा संस प्रवक्ता से जब इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.


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सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री और शापूरजी पर लगाई रोक

वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह और साइरस मिस्त्री को 28 अक्टूबर तक टाटा संस प्रा लि के शेयर गिरवी रखने या हस्तांतरित करने से रोक दिया. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने टाटा संस और एसपी समूह को 28 अक्टूबर तक उन शेयरों के मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया जिन्हें पहले ही गिरवी रखा जा चुका है. इस मामले में अब 28 अक्टूबर को आगे सुनवाई होगी.

एसपी समूह के पास टाटा संस के 18.37 प्रतिशत शेयर हैं. एसपी समूह ने कहा था कि टाटा संस ने धन की व्यवस्था के लिये इन शेयरों को गिरवी रखने की उसकी योजना में बाधा डालने के लिये शीर्ष अदालत मे याचिका दायर की और यह अल्पसंख्यक शेयरधारक के अधिकारों का हनन है.

टाटा संस ने पांच सितंबर को शीर्ष अदालत में मामला दायर कर मिस्त्री समूह को पूंजी जुटाने के लिये अपने शेयर गिरवी रखने से रोकने का अनुरोध किया था. टाटा संस इस याचिका के माध्यम से एसपी समूह को शेयरों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गिरवी करने से रोकना था.

एसपी समूह की योजना विभिन्न स्रोतों से 11,000 करोड़ रूपए की व्यवस्था करने की है और उसने टाटा संस में अपने 18.37 प्रतिशत शेयरों के एक हिस्से के एवज में कनाडा के एक निवेशक के साथ 3,750 करोड़ रूपए के करार पर हस्ताक्षर किये थे.

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि चार सप्ताह बाद इस पर विचार किया जायेगा. इस बीच, संबंधित पक्ष शेयरों को गिरवी रखने या हस्तांतरित करने के मामले में यथास्थिति बनाये रखेंगे.

एसपी समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुंदरम ने कहा कि उन्हें इन शेयरों को गिरवी रखने से रोका जा रहा है और ‘यह मेरे लिये परेशानी का सबब बन रहा है.’

दूसरी ओर, टाटा संस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि मुद्दा कुछ और है क्योंकि टाटा संस प्रा लि को ये शेयर बाजार मूल्य पर खरीदने का अधिकार है परंतु एसपी समूह इन्हें गिरवी रख रहा है.

पीठ ने कहा कि वह मामले में अतिम सुनवाई चार सप्ताह में करेगी. इससे पहले टाटा संस प्रा. लि. ने शीर्ष अदालत से कहा था कि वह दो समूह की कंपनी नहीं है और उसमें उसकी और साइरस इन्वस्टमेंट्स प्रा. लि. के बीच ‘अर्ध-सहभागिता’ वाली कोई बात नहीं है.


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