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अलविदा ‘अबाइड विथ मी’, बीटिंग रिट्रीट का हुआ ‘भारतीयकरण,’ अब अंत में बजेगी ‘वंदे मातरम’ की धुन

विजय चौक दिल्ली में मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का में पारंपरिक तौर पर अबाइड विथ मी भारतीय सेना के म्यूजिक बैंड के 45 मिनट लंबे कार्यक्रम में आखिरी में बजाई जाने वाली धुन थी.

बीटिंग रिट्रीट/फोटो/ रक्षा मंत्रालय

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम से इस बार का बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का 29 जनवरी को समापन होगा. अब तक ईसाई गीत ‘अबाइड विथ मी’ से समाप्त होता रहा है.

बाइबल से लिया गया ‘अबाइड विथ मी’ गीत, माना जाता है कि महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत था. पारंपरिक रूप से विजय चौक पर गणतंत्र दिवस समारोह के समापन पर सैन्य बैंड के 45 मिनट लंबे कार्यक्रम का समापन इसी गीत से किया जाता है.

सरकार के दो सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है कि ये बदलाव भारतीय संगीत की धुनों को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किया जा रहा है. हर साल पुरानी धुने हटाई और नई जोड़ी जाती है. ये उसी बदलाव के सिलसिले का हिस्सा है.

सरकार में एक सूत्र ने बताया कि ‘अब भारतीय धुनों पर अधिकाधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. ‘

एक दूसरे सूत्र का कहना था कि ये सैन्य संगीत के ‘भारतीयकरण ‘ की दिशा में उठाया गया कदम है, खासकर इस आयोजन में बजाई जाने वाली धुनों का.

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इन धुनों का चयन सेना के सेरीमोनियल एंड वेलफेयर निदेशालय जो सेना मुख्यालय के अंतर्गत आता है वह रक्षा मंत्रालय के परामर्श के बाद फाइनल करता है. पत्र के अनुसार इन धुनों का चयन फाइनल है.

एक दूसरे सूत्र ने बताया कि ‘ बीटिंग रिट्रीट का धीरे धीरे ‘ भारतीयकरण’ हो रहा है. इसमें कई गैर सैन्य वाद्य यंत्र जोड़ दिए गए हैं जैसे सितार और कई भारतीय धुनें शामिल हैं. सेना में सभी इस बदलाव से खुश नहीं हैं क्योंकि ये एक सैन्य समारोह है जिसमें सैन्य बैंड भाग लेते हैं.’

हाल के सालों में हुए बदलाव

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में 2015 में, भारतीय क्लासिकल वाद्य यंत्र का पहली बार इस्तेमाल किया गया. उस साल पहली बार इस आयोजन में सितार, संतूर और तबला सुनाई दिया.

2018 में 26 में से 25 धुने भारतीयों द्वारा बनाईं गई थी. इकलौती ‘अंग्रेज़ी’ धुन ‘अबाइड विथ मी’ थी.

न केवल बीटिंग रिट्रीट, 2019 के गणतंत्र दिवस समारोह में भी कई बदलाव देखे गये थे. पहली बार स्वतंत्र भारत में ओरिजिनल मारश्यल ट्यून- शंखनाद बजायी गई थी. ये धुन महार रेजिमेंट की यश गाथा कहती है.

बीटिंग रिट्रीट समारोह सदियों पुरानी उस सैन्य परंपरा को दर्शाती है, जिसमें जब सेना लड़ना बंद कर देती है, अपने अस्त्र रख देती है और मैदाने-जंग से अपने शिविरों में लौट आती है, इन सैन्य धुनों के बजने पर.

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