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पीएम केयर्स फंड में दान देने वाले हुए कम, पहले हफ्ते में आए थे 6500 करोड़, अगले दो महीने में जमा हुए महज़ 3500 करोड़

पीएम केयर्स फंड जब से स्थापित किया गया है तभी से विवादों में घिरा हुआ है. सबसे पहला विवाद तो इसी बात पर हुआ कि जब पहले से ही प्राइम मिनिस्टर का नेशनल रिलीफ फंड है तो दूसरे डिसास्टर फंड की जरूरत क्या थी.

देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल में कोरोनोवायरस के लिए नमूनों की व्यवस्था करते डॉक्टर्स, फाइल फोटो/ प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन या फिर पीएम केयर्स फंड में शुरुआती दिनों की तुलना में अब फंड आने कम हो गए हैं.

सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, 28 मार्च को कोविड -19 महामारी में मदद के लिए लॉन्च किए गए, इस फंड ने अपने पहले सप्ताह में 6,500 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे. जबकि, मई के तीसरे सप्ताह तक, लगभग दो महीने बाद, प्राप्त कुल दान महज 10,000 करोड़ रुपये ही है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, पीएम केयर्स फंड में लगभग 10,000 करोड़ रुपये अभी तक जमा हुए हैं. इस फंड के बारे में हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि फंड सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से हैंडल किया जा रहा है.

अधिकारियों ने कहा कि योगदान का बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट्स, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से ही आया है. बिजली और नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने 3 अप्रैल तक 925 करोड़ रुपये का योगदान दिया था, जबकि ओएनजीसी (ONGC), आईओसी (IOC), भारत पेट्रोलियम सहित सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने अप्रैल तक 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया था.

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने लगभग एक अप्रैल को लगभग 32 करोड़ रुपये दान दिया है. शिपिंग मंत्रालय के तहत आने वाले सभी प्रमुख बंदरगाहों और सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों ने 6 अप्रैल तक 52 करोड़ रुपये का योगदान दिया था. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एलआईसी जैसी अन्य वित्तीय संस्थाओं ने मिलकर पिछले महीने तक पीएक केयर्स को 430 करोड़ रुपये का योगदान दिया था.

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पारदर्शिता पर विवाद

पीएम केयर, एक धर्मार्थ सार्वजनिक ट्रस्ट (चैरिटेबल पब्लिक ट्रस्ट) है, जो कोविड-19 जैसी महामारी या किसी भी तरह की आपातकालीन या फिर संकटकी स्थिति से निपटने के लिए समर्पित कोष है. यह सबसे कम 10 रुपये तक का दान लेता है और यह विदेश से आने वाले दान भी स्वीकार करता है.

पीएम नरेंद्र मोदी पीएम केयर्स के पदेन अध्यक्ष हैं, और अन्य ट्रस्टियों में रक्षा, गृह और वित्त मंत्री शामिल हैं. ट्रस्ट को सदस्यों के रूप में अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार के क्षेत्र से तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों के रूप में माना जाता है, लेकिन पीएम का उन्हें नामित करना अभी बाकी है. फंड को सीएजी ऑडिट के दायरे से बाहर रखा गया है.

पीएम केयर्स फंड जब से स्थापित किया गया है तभी से विवादों में घिरा हुआ है. सबसे पहला विवाद तो इसी बात पर हुआ कि जब पहले से ही प्राइम मिनिस्टर का नेशनल रिलीफ फंड है तो दूसरे डिसास्टर फंड की जरूरत क्या थी.

फंड को अधिक पारदर्शी बनाने और उसके वितरण के बारे में सार्वजनिक जानकारी के अभाव में ऑडिट के लिए भी कहा गया है. उदाहरण के लिए, सरकार ने 13 मई को घोषणा की कि पीएम केयर्स से 3,100 करोड़ रुपये प्रवासी श्रमिकों के लिए आवंटित किए जाएंगे, वेंटिलेटर की खरीद और टीकाकरण विकास का समर्थन करेंगे.

3,100 करोड़ रुपये में 2,000 करोड़ रुपये वेंटिलेटर खरीदने के लिए हैं, घर लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए 1,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं. शेष 100 करोड़ रुपये को वैक्सीन विकास सहायता के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हालांकि, इसे किस तरह से बांटा जाएगा इसकी सटीक जानकारी पता नहीं चल सकी है.

एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उनके पास इस बात की स्पष्टता नहीं है कि पीएमओ द्वारा फंड की व्यवस्था किए जाने के बाद से पैसे कैसे वितरित किए जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा, “हमारे पास इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि इस धन का उपयोग कैसे किया जा रहा है और प्रवासियों के लिए आवंटन का उपयोग कैसे किया जा रहा है.’

इसके बाद दिप्रिंट प्रेस सूचना ब्यूरो के लिए अतिरिक्त महानिदेशक वी. रवि राम कृष्ण के पास पहुंचा, जो इन दिनों पीएमओ संभाल रहे हैं. हमने यह जानने की कोशिश की कि किस पारामीटर के साथ 3,100 करोड़ रुपये के का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने व्हाट्सएप संदेश का जवाब नहीं दिया. हमने फोन भी किया लेकिन हमें उसपर जवाब नहीं मिला.


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पीए केयर्स और और सीएसआर

जबकि सरकार ने पहले कहा था कि पीएम केयर्स में योगदान कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के आधार पर किया जाएगा. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कंपनी अधिनियम के तहत सीएसआर गतिविधियों की सूची में इसे जोड़ने के लिए एक औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है.

केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने पिछले महीने सरकारी कर्मचारियों से पीएम केयर में योगदान देने की अपील की थी. पिछले महीने, राजस्व विभाग ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को मार्च 2021 तक हर महीने एक दिन के वेतन का योगदान देने के लिए एक परिपत्र जारी किया, जिसमें कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों की सहायता के लिए फंड दिया गया. मोदी कैबिनेट में लगभग सभी मंत्रियों ने पहले ही कोष में योगदान दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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