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‘हिंदू-मुस्लिम विवाद नहीं’; लोगों ने कहा- ‘स्वर्ग जैसी शांति’ वाले मीरा रोड का ताना-बाना बिगाड़ रहे नेता

रामलला की प्रतिष्ठा के दिन एक जुलूस पर कथित हमले के कारण हुई झड़पों के बाद, अवैध बिल्डिंग को ढहाए जाने के अभियान और पथराव के हमलों से तनाव और बढ़ गया है.

मीरा रोड के शांति नगर में सबा बुटीक पर मंगलवार शाम पत्थरों से हमला किया गया | पूर्वा चिटनीस | दिप्रिंट

मुंबई: इस सप्ताह की शुरुआत में, मंगलवार शाम को, मीरा रोड के शांति नगर के शमशेर आलम कुछ समय के लिए अपनी दुकान से कहीं दूर चले गए. एक दिन पहले से ही इलाके में माहौल तनावपूर्ण था, जब अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा का जश्न मनाते हुए नयानगर के निकटवर्ती इलाके से गुजर रहे एक जुलूस पर कथित तौर पर हमला हुआ, जिससे झड़पें हुईं.

फिर भी, आगे जो हुआ उसके बारे में आलम कभी सोच ही नहीं सकता था. उनका 19 वर्षीय बेटा साहिल अपना बुटीक चलाता था और उसका साला अंदर काम कर रहा था, तभी बाइक सवार हमलावर बाहर रुके और दुकान पर पथराव करना शुरू कर दिया.

जब साहिल हमलावरों को रोकने में नाकाम रहा तो उसने हमले का वीडियो बनाना शुरू कर दिया. वीडियो को दिप्रिंट ने एक्सेस किया है.

जब हमलावर चले गए, तब तक दुकान पर लगा शीशा टूट चुका था और अंदर रखे पुतले भी टूट गए थे.

आलम ने दिप्रिंट को बताया, “हम एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस के पास गए लेकिन इसके बजाय उन्होंने सिर्फ एनसी (गैर-संज्ञेय अपराध के लिए शिकायत) ले ली. दो दिन बाद भी कोई एफआईआर नहीं हुई है.”

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उन्होंने कहा, “हमने सीसीटीवी के सबूत और मेरे बेटे द्वारा लिए गए वीडियो जमा कर दिए हैं, लेकिन वे बस इतना कहते हैं कि हम आपसे बाद में संपर्क करेंगे.”

बुटीक के बाहर टूटा हुआ कांच | पूर्वा चिटणीस | दिप्रिंट

अपने नुकसान गिनाते हुए, आलम ने नयानगर में हुई झड़पों के बारे में बात की और पूछा कि पुलिस ने “एक मामले में त्वरित कार्रवाई क्यों की, और दूसरे में नहीं”.

नयानगर हिंसा मामले में पुलिस ने 24 घंटे के अंदर 13 आरोपियों पर केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस ने आरोप से इनकार करते हुए कहा कि तनाव की स्थिति की जांच की जा रही है.

पुलिस उपायुक्त जयंत बजबाले ने कहा, “जांच चल रही है.” “मीरा रोड हिंसा में अब तक 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं. पच्चीस गिरफ़्तारियां की गई हैं और और गिरफ़्तारियां होने की उम्मीद है.”

दिप्रिंट से बात करते हुए, शमशेर आलम ने कहा कि वह मीरा नगर के शांति नगर में 13 साल से अपनी दुकान सबा बुटीक चला रहे हैं. यह एक हिंदू बहुल इलाका है, हालांकि, मुसलमानों की भी ठीक-ठाक संख्या है.

उनके बेटे ने कहा कि उनके हिंदू पड़ोसी हमले के दौरान उन्हें बचाने के लिए आगे बढ़े थे. मीरा रोड के निवासी याद करते हुए कहते हैं कि कैसे 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी वहां का ताना-बाना वैसे ही मजबूत बना रहा था.

स्थानीय बीजेपी विधायक गीता भरत जैन द्वारा पिछले साल दिए गए सांप्रदायिक बयानों और आयोजित कुछ भड़काऊ कार्यक्रमों की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने कहा कि एक बदलाव होता दिख रहा है.

आलम और उनके पड़ोसियों ने कहा कि हमलावरों को अपना टारगेट पता था..

उन्होंने बताया कि जिन दुकानों पर “जय श्री राम” लिखे भगवा झंडे लगे थे, उन्हें बख्श दिया गया. जिन अन्य लोगों पर हमला किया गया उसमें एक टेंपो ड्राइवर और पास की एक मोबाइल दुकान शामिल है.

दिप्रिंट ने गीता जैन से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी कॉल का जवाब नहीं मिला.


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‘शांति का स्वर्ग’

शांति नगर और नयानगर दोनों मुंबई के बाहरी इलाके ठाणे उपनगर के मीरा उपनगर में स्थित हैं.

नयानगर का गठन 1979 के आसपास एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र के रूप में किया गया था, जिसकी आधारशिला दिवंगत शिव सेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) नेता जी.एम. बनातवाला ने रखी थी.

मीरा रोड रेलवे स्टेशन के बहुत करीब स्थित इस क्षेत्र को मुसलमानों के लिए नियोजित आवासीय क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना थी.

निवासियों ने कहा कि हालांकि ठाकरे और बनातवाला के आईयूएमएल के बीच की आपसी समझ लंबे समय तक नहीं टिकी, फिर भी नयानगर शांति का स्वर्ग रहा है.

2011 की जनगणना के अनुसार, मीरा भयंदर नगर निगम के अंतर्गत मुसलमानों की आबादी 16 प्रतिशत (8 लाख) है. उनमें से अधिकांश नयानगर और उसके आसपास रहते हैं, जिसकी अनुमानित आबादी 35,000 है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, स्थानीय निवासियों ने कहा कि 1992-93 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई – तत्कालीन बॉम्बे – में सांप्रदायिक दंगों के चरम के दौरान भी, नयानगर शांतिपूर्ण रहा.

एक स्थानीय कार्यकर्ता, सादिक बाशा ने कहा, दंगों के बाद, डोंगरी और मुंबई के अन्य हिस्सों से कई मुसलमानों ने नयानगर में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया, जिससे यह “एक बड़ी यहूदी बस्ती” बन गई.

उन्होंने कहा, “वर्षों तक, हिंदू और मुस्लिम बिना किसी सांप्रदायिक तनाव के यहां शांति से रहे.”

सोमवार को हुई हिंसा की जगह से लगभग 200 मीटर की दूरी पर, नयानगर में एक गणेश मंदिर है. मंदिर का निर्माण लगभग 30 साल पहले किया गया था और, हर साल, स्थानीय निवासी इसका “स्थापना दिवस” ​​मनाते हैं.

एक स्थानीय दुकानदार ओंकार गुप्ता ने कहा, “हम हर साल ‘स्थापना दिवस’ पर पूजा, आरती, यहां तक कि भंडारा भी करते हैं और हिंदू-मुस्लिम इसमें भाग लेने के लिए एक साथ आते हैं.” उन्होंने कहा, “इतना ही नहीं, हम गणेश उत्सव और अन्य त्योहार भी बिना किसी समस्या के मनाते हैं.”

शांति नगर के बारे में भी ऐसी ही कहानी साझा की जाती है.

मीरा रोड के निवासी आलम ने कहा कि उन्हें इस क्षेत्र में कभी भी अलग-थलग महसूस नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि 13 सालों से शांति नगर में दुकान चलाने का उनका अनुभव काफी अच्छा रहा.

साहिल आलम ने कहा कि जब “हमलावरों ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की, तो पड़ोसी हिंदू मेरी मदद के लिए दौड़े और मुझे बचाया.”

उन्होंने कहा, “उन्होंने भीड़ से कहा कि वह हमारे अपने हैं और उन्हें हमला करने से रोका न करें और इस तरह मैं बच गया. अन्यथा उस शाम भीड़ मुझे मार देती.”

‘हिंदू-मुस्लिम लड़ाई नहीं’

हालांकि, 22 जनवरी से ही क्षेत्र में तनाव व्याप्त है. झड़पों के एक दिन बाद, मीरा भयंदर नगर निगम ने नयानगर के हैदरी चौक में “अवैध” संरचनाओं को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. जबकि निवासियों ने चलाए गए ड्राइव के समय पर सवाल उठाया, वहीं सिविक बॉडी ने कहा कि यह एक “नियमित अभ्यास” था.

बाद में उसी शाम को आलम की दुकान पर हमला हुआ.

स्थानीय निवासियों ने दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी विधायक नितेश राणे और गीता भरत जैन ने मंगलवार को इलाके का दौरा किया और आपत्तिजनक भाषण दिए – उन्होंने सोशल मीडिया पर भी विभाजनकारी स्वर अपनाए – और इलाके का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की.

2009 में मीरा रोड विधानसभा क्षेत्र के गठन के बाद से, भाजपा का इस पर दबदबा रहा है और पार्टी या उसके सहयोगियों ने निर्वाचन क्षेत्र और नगर निगम दोनों में जीत हासिल की है।

2019 के विधानसभा चुनाव में निवर्तमान विधायक गीता जैन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता को 15,000 से अधिक मतों से हराया. वह तब से भाजपा में शामिल हो गई हैं.

निवासियों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अन्य चिंताजनक पहलू भी रहे हैं.

मार्च 2023 में, गुजरात की काजल हिंदुस्तानी उर्फ काजल शिंगाला, जो अपनी मुस्लिम विरोधी बयानबाजी के लिए जानी जाती हैं, को मीरा रोड पर आयोजित ‘हिंदू जन आक्रोश’ रैली में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था.

उन्होंने अपने भाषण में कहा, “लव जिहाद और लैंड (भूमि) जिहाद आतंकवाद से जुड़े हुए हैं, वक्फ बोर्ड के सभी टोपीवाले आतंकवादी हैं,” जिसका एक वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध है. बाद में इस भाषण को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

मार्च 2023 की दूसरी छमाही में, बागेश्वर धाम बाबा का एक ‘दरबार’ उस क्षेत्र में आयोजित किया गया था जहां उन्होंने कथित तौर पर भारत को “हिंदू राष्ट्र” बनाने की बात कही थी.

इस सप्ताह हुई हिंसा के बाद, जैन ने कथित तौर पर नयानगर निवासियों द्वारा क्षेत्र के एंट्री प्वाइंट्स पर बैरिकेड्स लगाने की खबरों पर गौर किया और क्षेत्र में उनके प्रभुत्व पर जोर देते हुए हिंदुओं को “पांच मिनट के लिए खुली छूट” देने के संभावित परिणामों के बारे में बात की.

बाशा ने कहा, “उसके (पिछले साल के बयानों के बाद) चीज़ें ख़राब होने लगीं.”

“ये कोई ऐसे-वैसे या असामाजिक तत्व नहीं हैं, ये विधायक और सार्वजनिक जीवन वाले लोग हैं.”

मीरा भयंदर में एक एनजीओ चलाने वाले इकबाल महादिक ने कहा, “यह सांप्रदायिक लड़ाई नहीं बल्कि राजनीतिक लड़ाई है”.

उन्होंने कहा, “यह राजनीतिक सत्ता के बारे में है, न कि हिंदू-मुस्लिम लड़ाई के बारे में. यहां कोई भी हिंदू या कोई मुसलमान कोई लड़ाई नहीं चाहता. वे हमेशा की तरह शांति से रहना चाहते हैं.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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