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न्यूज़क्लिक की FIR में कहा गया है- चीनी फ़ोन निर्माताओं ने धन जुटाने के लिए हजारों शेल कंपनियां बनाई

दिल्ली पुलिस की FIR के मुताबिक 'अवैध रूप से प्राप्त विदेशी फंड का इस्तेमाल देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए किया गया.' इसके पहले न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संस्थान से जुड़े अन्य लोगों के घरों पर ED ने छापा मारा था.

न्यूज़क्लिक के कार्यालय से छापेमारी के बाद जब्त की गई सामग्री के बक्सों को नई दिल्ली में स्पेशल सेल कार्यालय लाया जा रहा | फोटो: PTI

नई दिल्ली: न्यूज़क्लिक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में आरोप लगाया गया है कि Xiaomi और Vivo जैसी “बड़ी चीनी दूरसंचार कंपनियों” ने भारत में अवैध रूप से विदेशी धन का उपयोग करने के लिए हजारों शेल कंपनियों को शामिल किया है. इसका इस्तेमाल भारत की संप्रभुता को बाधित करने और राष्ट्र के प्रति असंतोष फैलाने में किया गया.

FIR 17 अगस्त 2023 को दर्ज की गई थी और इसमें कई आरोप शामिल थे, जिसमें समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं दिखाने, किसानों के आंदोलन को भड़काने और लोगों के लिए आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने के प्रयासों में शामिल था.

FIR, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी है, में कहा गया है कि “यह भी पता चला है कि बड़ी चीनी टेलीकॉम कंपनियों जैसे Xiaomi, Vivo आदि ने PMLA/FEMA (धन शोधन निवारण अधिनियम/विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) का उल्लंघन करते हुए इस साजिश को आगे बढ़ाने और भारत में अवैध रूप से विदेशी धन डालने के लिए भारत में हजारों शेल कंपनियों को शामिल किया है.”

दिप्रिंट कॉल के ज़रिए Xiaomi और Vivo तक इसपर टिप्पणी के लिए पहुंचा, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. अगर उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

FIR के अनुसार कथित ‘साजिश’ भारत की संप्रभुता को बाधित करने और भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए की गई थी. इसके लिए इसमें कहा गया है चीन से बड़ी मात्रा में धन “सर्किट और छद्म” तरीके से भेजा गया था और भारत की घरेलू नीतियों, विकास परियोजनाओं की आलोचना करने और चीनी सरकार की नीतियों तथा कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और उसे प्रमोट करने तथा उनका बचाव करने के लिए जानबूझकर पेड न्यूज प्रसारित किया गया था.

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FIR में कहा गया है, “यह भी पता चला है कि पीपुल्स डिस्पैच पोर्टल, जिसका स्वामित्व और रखरखाव  M/S PPK न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के पास है. लिमिटेड का इस्तेमाल साजिश के तहत अवैध रूप से भेजे गए विदेशी फंड के करोड़ों रुपये के बदले में पेड न्यूज के माध्यम से जानबूझकर इन झूठी कहानियों को फैलाने के लिए किया गया है.”

इसमें आगे आरोप लगाया गया कि चार लोगों – प्रबीर पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम, गीता हरिहरन और गौतम भाटिया (जिन्हें FIR में मुख्य व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है) – ने इन कंपनियों द्वारा लाभ के बदले में चीनी दूरसंचार कंपनियों के लिए “कानूनी मामलों में रक्षा” करने के लिए भारत में एक ‘कानूनी सामुदायिक नेटवर्क’ बनाने की साजिश रची गई.


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पिछली घटनाएं

यह पहली बार नहीं है कि चीनी स्मार्टफोन कंपनियां भारत में FEMA उल्लंघन और कर चोरी को लेकर खबरों में हैं.

अप्रैल 2022 में, भारतीय विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा चीनी मोबाइल विनिर्माण कंपनी Xiaomi India के 5,551 करोड़ रुपये से अधिक के फंड को “जब्त” कर लिया गया था.

ED ने उस समय कहा था, “Xiaomi India चीन स्थित Xiaomi समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. कंपनी के बैंक खातों में पड़ी 5,551.27 करोड़ रुपये की यह रकम प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर ली है.” इसमें कहा गया था कि जांच के बाद FEMA की संबंधित धाराओं के तहत धन की जब्ती की गई थी.

इसी तरह, जुलाई 2022 में, ED ने आरोप लगाया था कि VIVO इंडिया ने अपनी घरेलू बिक्री आय का लगभग 50 प्रतिशत विदेशों में, मुख्य रूप से चीन को भेज दिया. इसलिए यह भारत में कर का भुगतान करने से बचने के लिए कई घरेलू निगमित कंपनियों में भारी नुकसान की रिपोर्ट कर सकता है.

ED, जिसने संबंधित संस्थाओं के 119 बैंक खातों को जब्त कर लिया था, ने कहा था कि देश में 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से Vivo इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे.

इस साल जुलाई में संसद में एक जवाब में सरकार ने कहा कि उसने अप्रैल 2017 से चीनी मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं द्वारा 9,075 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगाया है, जिसमें से भारतीय टैक्स अधिकारी केवल 1,630 करोड़ रुपये यानी 18 प्रतिशत रुपये ही वसूल कर पाए हैं.

इसी प्रतिक्रिया में, सरकार ने कहा कि उसने 2019-20 से 2021-22 तक Xiaomi Technology India द्वारा 682.5 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क चोरी और जुलाई 2017 से 168.6 करोड़ रुपये की GST चोरी का पता लगाया है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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