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NCERT कोविड के कारण घटाएगी छात्रों का बोझ, 2022-23 के लिए कम करेगी कोर्स

पिछले दो वर्षों में कोविड-19 के चलते, स्कूलों के शैक्षणिक सत्रों में कई बार व्यवधान पैदा हुए हैं, जिसमें स्कूल लगातार बंद रहे हैं और बहुत से छात्रों के लिए ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध नहीं रहे हैं.

परीक्षा देते हुए छात्र | प्रतीकात्मक तस्वीर | ANI

नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि स्कूलों में महामारी से पैदा मुश्किलों के चलते, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने, शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए छात्रों के पाठ्यक्रम के बोझ को हल्का करने का फैसला किया है.

पिछले दो वर्षों में कोविड-19 के चलते, स्कूलों के शैक्षणिक सत्रों में कई बार अड़चनें पैदा हुई हैं, जिसमें स्कूल लगातार बंद रहे हैं, और बहुत से छात्रों को ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध नहीं रहे हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार, परिषद पहले ही राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अंतर्गत, पाठ्यक्रम में सुधार लाने पर काम कर रही है.

एनसीएफ देशभर के निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों और पाठ्यक्रम सामग्री की एक व्यापक रूपरेखा तैयार करती है. एनसीईआरटी सूत्रों ने कहा कि चूंकि एनसीएफ एक बृहद अभ्यास है, और इसे अंतिम रूप देने में समय लगेगा, इसलिए एक्सपर्ट्स इस बीच अगले वर्ष के लिए बोझ को हल्का करने में लगे हैं.

15 दिसंबर को, एनसीईआरटी प्रभारी निदेशक सुधीर श्रीवास्तव ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर, पाठ्यक्रम कम करने पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा. अपेक्षा की जा रही थी कि विभागाध्यक्ष मंगलवार तक अपनी रिपोर्ट पेश कर देंगे, जिसमें सुझाव दिए जाएंगे कि आगामी शैक्षणिक सत्र से, पाठ्यक्रम से क्या क्या निकाला जा सकता है.

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दिप्रिंट से घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि विशेषज्ञों के सुझावों का अध्ययन किए जाने के बाद, काउंसिल और अधिक विवरण जारी करेगी.

इस बीच, एनसीफ पर आधारित पुस्तकों के शैक्षणिक सत्र 2023-24 से शुरू किए जाने की अपेक्षा है.

श्रीवास्तव ने तो इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि पाठ्यक्रम में होने वाली कटौती किस तरह की है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि एक्सपर्ट्स ऐसे विषयों को निकालने पर विचार कर रहे हैं, जो या तो उसी क्लास में, या किसी दूसरे स्तर पर दोहराए जा चुके हैं.

एनसीईआरटी के एक सूत्र ने कहा, ‘जब भी पाठ्यक्रम को घटाने के काम को अंजाम दिया जाता है, तो हम ज़्यादातर दोहराए गए विषयों या उन विषयों को हटाने पर ग़ौर करते हैं, जिनकी व्याख्या इतने लंबे प्रारूप में की गई है, जितने की ज़रूरत नहीं थी’.

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी 2020 में, भारत में महामारी की शुरुआत के समय इसी तरह का प्रयास किया था, जब बोर्ड ने 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को ‘युक्तिसंगत’ किया था.

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