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नेपल्स में रूसी जासूस के हनी-ट्रैप में फंसा NATO स्टाफ, सस्ती-नकली ज्वैलरी को ऊंचे दामों में बेचा: रिपोर्ट

जीआरयू - रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी – का लंबे समय से 'गैर-कानूनी' तौर पर जासूस बनाने के लिए चलाया जा रहा एक प्रोग्राम है. इसके एजेंट सालों तक विदेशों में एक काल्पनिक पहचान के साथ रहते हैं और अपनी सरकार को उस देश की संवेदनशील जानकारी मुहैया कराते हैं.

मारिया एडेला कुहफेल्ट रिवेरा की फोटो जो कि एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक एक रशियन स्पाई बन गईं | Twitter | @EliotHiggins

नई दिल्ली: एक ज्वैलरी डिजाइनर, लैटिन अमेरिकी सोशलाइट और नाइट क्लब की मालकिन के रूप में सामने आई मारिया एडेला कुहफेल्ट रिवेरा गजब की खूबसूरत थीं. लोगों का उसके प्रति आकर्षण स्वाभाविक था. उसके चाहने वालों में इटली के नेपल्स में स्थित नाटो कर्मचारी भी थे. एक ने तो उसके साथ बेहद थोड़े समय के लिए रोमांटिक संबंध रखने की बात भी स्वीकारी है.

एक दिन मारिया ने अपने सभी चाहने वालों के लिए एक गुप्त संदेश छोड़ा और बिना बताए वहां से चली गई. उसने लिखा था कि यहां से इतनी जल्दी जाने का कारण उसकी कैंसर की बीमारी है. लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा कुछ नहीं था. उसकी बीमारी, उसका ज्वैलरी बिजनेस और उसका स्टेटस सब झूठ था.

ऑनलाइन डेटा जासूसों की एक टीम के मुताबिक, मारिया उर्फ ओल्गा कोलोबोवा एक रूसी जासूस थी. उसने इटली में नाटो के शीर्ष अधिकारियों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए इस रास्ते को चुना था. मारिया ने जासूसी की संदिग्ध और खतरनाक या कहें कि धोखेबाजी की दुनिया में 2006 में कदम रखा था.

नीदरलैंड के इन्वेस्टिगेटिव ग्रुप बेलिंगकैट ने रूस में इनसाइडर, इटली में ला रिपब्लिका और जर्मनी में डेर स्पीगल जैसे मीडिया आउटलेट्स के साथ की गई एक संयुक्त जांच में दावा किया कि मारिया एक ‘गैर-कानूनी’ GRU यानी एक खुफिया रूसी जासूस थी.

जीआरयू – रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी – का लंबे समय से ‘गैर-कानूनी’ तौर पर जासूस बनाने के लिए चलाया जा रहा एक प्रोग्राम है. इसके एजेंट सालों तक विदेशों में एक काल्पनिक पहचान के साथ रहते हैं और अपनी सरकार को उस देश की संवेदनशील जानकारी मुहैया कराते हैं.

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मारिया को लेकर यह इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक करीबी सहयोगी की बेटी की मास्को के बाहर एक कार बम विस्फोट में मारे जाने के कुछ दिनों बाद आई. रूस ने यूक्रेन पर उस हमले को अंजाम देने का आरोप लगाया है जिसमें 20 अगस्त को दरिया दुगीना की मौत हो गई थी.

डीप-कवर जासूस ने एक बेहद शानदार रंगीन बैकस्टोरी बनाई. उसने बताया कि वह एक जर्मन पिता और पेरू की रहने वाली उसकी मां कैलाओ के घर में पैदा हुई. उसकी मां ने उसे अकेले पाल-पोसकर बड़ा किया और 1980 में ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए मास्को जाने के बाद उसे तत्कालीन सोवियत संघ में छोड़ दिया गया था.

अपनी इस पहचान के साथ मारिया ने नेपल्स में अपना बसेरा डाला था. लेकिन इससे पहले उसने अपने रूसी पासपोर्ट से रोम, माल्टा और पेरिस यात्रा की, ताकि किसी को भी उसकी कहानी पर शक न हो. नेपल्स आकर उसने नाटो के एलाइड ज्वाइंट फोर्स कमांड के उच्चतम सोपानों तक पहुंच बनाई और वह नाटो की ऑन-बेस तस्वीरों, गोपनीय कानूनी फाइलों और डेटाबेस पर हाथ मारने में कामयाब रही.

अपने जासूसी काम को अंजाम देते हुए मारिया ने 2012 में एक रूसी-इक्वेडोरियाई व्यक्ति से शादी भी की. लेकिन उसका ये रोमांस ज्यादा लंबे समय तक के लिए नहीं था. बेलिंगकैट की रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी के एक साल बाद ही उस व्यक्ति की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई.

इस दौरान मारिया ने बड़ी साख रखने वाले सफल लोगों के साथ दोस्ती की और दोहरा जीवन जीते हुए पूरे यूरोप की यात्रा भी की. कॉस्मोपॉलिटन पत्रिका की पूर्व संपादक मार्सेले डी’आर्गी स्मिथ भी उसके संपर्क में आई थीं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मारिया के पासपोर्ट से उसकी पहचान का खुलासा हो पाया. उसका पासपोर्ट नंबर, दो अन्य अंडरकवर जीआरयू जासूस ‘रुस्लान बोशिरोव’ और ‘अलेक्जेंडर पेट्रोव’ की रेंज में थे. उन पर 2018 में इंग्लैंड में ब्रिटिश डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को जहर देने का आरोप लगाया गया था.

ज्यादातर लोगों को पता है कि रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी अपने जासूसों को लगातार क्रमांकित नंबर वाले पासपोर्ट के साथ दूसरे देशों में भेजता है. बेलिंगकैट ने कहा, इसने खोजी पत्रकारों को ‘देश की ब्लैक मार्केट में आमतौर पर लीक होने वाले डेटा’ से ‘संख्याओं के ऐसे बैचों को ट्रेस करके’ जासूसों को उजागर करने की अनुमति दी है.

‘बोशिरोव’ और ‘पेट्रोव’ की पहचान सामने आने के ठीक एक दिन बाद मारिया इटली छोड़कर भाग गई. सितंबर 2018 में बेलिंगकैट और द इनसाइडर की एक अन्य जांच रिपोर्ट में पासपोर्ट नंबर असाइन करने का जीआरयू का ‘ट्रेडक्राफ्ट’ पब्लिश हुआ था.


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बहुत जल्दी मुकाम हासिल किया

अपनी गुप्त पहचान के साथ मारिया ने बहुत जल्दी वो सब हासिल कर लिया था, जिसे वह पाना चाहती थी. 2015 में वह नेपल्स आई और वहां अपना ज्वैलरी बुटीक खोला. वह एक चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन, लायंस क्लब नेपोली मोंटे नुओवो की सचिव भी बनीं. इसमें नाटो कमांड सेंटर के सदस्य का आना-जाना था.

एक सोशलाइट के रूप में नेपल्स के रसूखदार लोगों के बीच पहुंच बनाने में उसने बड़ी तेजी से कामयाबी हासिल की थी. उसे ‘वाइब्रेंट इंटरनेशनल कनेक्शन’ लाने के लिए लायंस क्लब में जोड़ा गया. इस क्लब में ही मारिया ने बेल्जियम, इतालवी और जर्मन नाटो अधिकारियों से दोस्ती की और उनके साथ सामाजिक सरोकार बढ़ाये. बेलिंगकैट की एक रिसर्च के मुताबिक, नाटो के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर उसके साथ बहुत थोड़े समय के लिए रोमांटिक संबंध बनाने की बात स्वीकार की थी.

दरअसल, उसका पेरूवियन पहचान और ज्वैलरी बिजनेस एक छलावा था. 2005 में पेरू सिविलियन रजिस्ट्री में मारिया के नागरिक आवेदन को देश के न्याय मंत्रालय ने कांग्रेस को वार्षिक बजट रिपोर्ट में ‘धोखाधड़ी’ के रूप में लेबल किया और ‘सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास के खिलाफ अपराध’ बताते हुए इस मामले को नेशनल प्रासीक्यूटर को सौंप दिया गया था.

इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के अनुसार, उसके बुटीक में बेचे गई ज्वैलरी ‘चीनी ऑनलाइन थोक विक्रेताओं से सस्ते में खरीदी’ गईं थीं.

रिपोर्ट में बताया गया कि खतरे से अंजान नाटो के उसके कुछ परिचितों ने, मारिया को सालाना बॉल डांसिंग, फंड रेजिंग डिनर और सालाना यूएस मरीन कॉर्प्स बॉल के लिए भी आमंत्रित किया था. कुछ ने उसके स्टोर से ज्वैलरी भी खरीदी थी. नेपल्स (नाटो और यूएस नेवी दोनों) के अधिकारियों तक उनकी सीधी व्यक्तिगत पहुंच थी और उनके घर पर आना-जाना भी था.

बेलिंगकैट और उसके इन्वेस्टीगेटिव भागीदारों ने मारिया के लापता होने से ठीक बाद सोशल मीडिया पर उसके छोड़े गए डिजिटल फुटप्रिंट के निशान तक पहुंचने के बाद, चेहरे की तकनीक और रिवर्स इमेज तकनीकों का इस्तेमाल कर ओल्गा कोलोबोवा के चेहरे का मिलान किया गया. जब परिणाम आया, तो ध्यान से तैयार की गई छवि को अंत में समझ लिया गया कि वह कोलोबोवा ही थी.

रिपोर्ट में इन्वेस्टिगेटर्स ने बताया कि भले ही वह ‘पकड़ी नहीं गई’ थी, लेकिन क्या उसे अब उसके काम से छुट्टी दे दी गई और क्या ‘जीआरयू ने यूरोप में उसके कार्यकाल को सफल माना था या फिर विफल’, ये कुछ ऐसे सवाल थे जिनके बारे में वे पता नहीं लगे सके.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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