होम देश ‘मूकनायक’: डॉक्यूमेंट्री के ज़रिये आंबेडकर को दुनिया के समक्ष पेश करेगी सरकार

‘मूकनायक’: डॉक्यूमेंट्री के ज़रिये आंबेडकर को दुनिया के समक्ष पेश करेगी सरकार

सरकार का मानना है कि संविधान को एक प्रगतिशील और आधुनिक दस्तावेज़ के रूप में पेश कर यह फिल्म भारत की सौम्य शक्ति वाली छवि को भी मज़बूत करेगी.

news on manusmriti
डॉ. भीमराव आंबेडकर, फाइल फोटो | कॉमन्स

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने दलितों के मसीहा और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवन, कार्य और दर्शन को विदेशों में प्रस्तुत करने के वास्ते एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए एक निजी कंपनी को चुना है.

फिल्म का शीर्षक होगा ‘मूकनायक’ जो कि आंबेडकर के पहले अखबार का नाम था. इसका निर्माण ऑल टाइम प्रोडक्शन्स नामक कंपनी करेगी.

अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो फिल्म विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध रहेगी, लेकिन इसका निर्माण विशेषकर विदेशी दर्शकों को ध्यान में रखकर किया जाएगा जो आंबेडकर के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हैं. इसे विदेशों में भारत के तमाम राजनयिक मिशनों में प्रदर्शित किया जाएगा.

अधिकारी के अनुसार भारतीय संविधान को एक प्रगतिशील और आधुनिक दस्तावेज़ के रूप में दिखाने वाली इस फिल्म से दुनिया में भारत की सौम्य शक्ति की छवि को भी मज़बूती मिल सकेगी.

आंबेडकर की अनकही कहानी

ऑल टाइम प्रोडक्शन्स ने अपने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘हमारा विचार भारत और इसके महान चिंतकों की एक आधुनिक और सामयिक छवि पेश करने का है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

बयान के अनुसार, ‘नायकों और प्रतीकों को ढूंढती वर्तमान दुनिया में आंबेडकर की कहानी रहस्यपूर्ण है– विदेशों में एक तरह से अनकही– और भारत में ठीक से नहीं समझी गई.’

निर्माता कंपनी ने प्रस्तावित डॉक्यूमेंट्री में वर्ष 2000 में बनी डॉ. बीआर आंबेडकर नामक फीचर फिल्म के अंशों के इस्तेमाल का आग्रह किया है, जिसे सामाजिक न्याय मंत्रालय तथा महाराष्ट्र सरकार के आर्थिक सहयोग से राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ने बनाया था.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि उस फिल्म को अंग्रेजी में बनी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म समेत तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे, फिर भी पता नहीं क्यों आधिकारिक रूप से उसे कहीं प्रदर्शित नहीं किया गया था.

सरकार के भीतर आंबेडकर पर डॉक्यूमेंट्री बनाने की चर्चा साल भर से ज़्यादा समय से चल रही थी, पर इसी साल के शुरू में इससे संबंधित प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया था.

पर अप्रैल में एससी/एसटी कानून को कथित रूप से नरम बनाए जाने के खिलाफ देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद डॉक्यूमेंट्री निर्माण के प्रस्ताव पर फिर से विचार किया गया और सरकार ने इसके लिए टेंडर मंगवाए.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

Exit mobile version