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धार्मिक भारत को एक खांचे में नहीं रखा जा सकता, ‘थाली-भोजन’ की तरह जुदा होकर भी साथ रहना हमारी संस्कृति है

दिप्रिंट का 50 शब्दों में सबसे तेज़ नज़रिया.

दिप्रिंट का 50 शब्दों में मत.

धार्मिक दृष्टिकोण पर प्यू का सर्वेक्षण भारतीयों को एक खांचे में डालने की किसी की भी कोशिश को नकारने वाला हो सकता है. यह इस बात को साबित करता है कि हम हमेशा से जानते हैं कि भारतीय दूसरे धर्मों का सम्मान करते हैं, विविधता को महत्व भी देते हैं, लेकिन अंतरधार्मिक विवाह नहीं चाहते. ‘थाली-भोजन’ की तरह जुदा होकर भी साथ होना ही भारत की संस्कृति है. आंबेडकर के मिश्रित विवाह के आह्वान को आज भी कम ही लोग अपनाते हैं.


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