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कहीं चोरी छिपे तो कहीं बहाने बनाकर यूपी के क्वारंटाइन सेंटर्स से भाग रहे लोग, अधिकारी परेशान

लखीमपुर में तो क्वारंटाइन सेंटर से भागकर एक मजदूर ने आत्महत्या भी कर ली जिससे सरकार के माॅनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं.

रायबरेली, यूपी के प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन मजदूर | विशेष व्यवस्था से

लखनऊ: दिल्ली, पंजाब समेत दूसरे राज्यों से आए मजदूरों और श्रमिकों के लिए यूपी सरकार ने क्वारंटाइन सेंटर्स बनाए हैं. इसके लिए डिस्ट्रिक्ट बाॅर्डर पर ही उन्हें रोक कर सेंटर्स पर भेजा जा रहा है तो वहीं जो अपने गांव तक पहुंच चुके हैं उनके लिए गांव के प्राइमरी स्कूलें में ही क्वारंटाइन किया जा रहा है लेकिन कई मजदूरों के लिए ‘क्वारंटाइन’ उलझन साबित हो रहा है. कहीं वे बहाने बनाकर तो कहीं चोरी छिपे भागे जा रहे हैं जिससे अधिकारी परेशान हैं. लखीमपुर में तो क्वारंटाइन सेंटर से भागकर एक मजदूर ने आत्महत्या भी कर ली जिससे सरकार के माॅनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं.

सुल्तानपुर में चादर की रस्सी बनाकर कूदकर भागे

सुल्तानपुर के कमला नेहरू इंस्टीट्यूट के हॉस्टल में बने क्वारंटाइन सेंटर से बुधवार सुबह 25 लोग चादर की रस्सी के सहारे दूसरी मंजिल से उतरकर फरार हो गए. जानकारी होने पर हॉस्टल में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में पुलिस की कई टीमों को सक्रिय कर दिया गया सभी को उनके घरों व छिपे हुए स्थान से पकड़कर दोबारा हॉस्टल लाया गया. इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है.

सुल्तानपुर की डीएम सी. इंदुमती ने दिप्रिंट को बताया कि क्वारंटाइन सेंटर में 200 से अधिक लोगों थे जिसमें से 25 लोग चोरी छिपे भाग निकले. इनको पकड़कर लाया गया और काफी समझाया गया. सेंटर में खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है लेकिन इनका कहना था कि मन न लगने के कारण वे भाग गए थे. उन्हें घर की याद आ रही है. वे घर जाने के लिए दूसरे राज्यों से आए हैं. डीएम के मुताबिक, सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए हम तो सारी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध करा रहे हैं.

इसी तरह रायबरेली की तहसील महाराजगंज के कुबना गांव में बने कोरंटाइन सेंटर से 9 लोग भाग गए जिन पर एफआईआर दर्ज कराई गई है.

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आजमगढ़ में खिड़की दरवाजे तोड़कर भाग निकले

आजमगढ़ के अतरौलिया इलाके में स्थित शैय्या अस्पताल में क्वारंटाइन के लिए रोके गए 40 लोग बीते मंगलवार खिड़की- दरवाजा तोड़कर भाग निकले. इसकी सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. आनन-फानन में डीएम एनपी सिंह व एसपी त्रिवेणी सिंह मौके पर पहुंचे और इन्हें ढूंढ़ने के लिए पुलिस की टीमें लगा दीं.

एसपी के पीआरओ विनय कुमार ने बताया कि अभी मामले की छानबीन चल रही है. जिले के बाॅर्डर सील हैं इसलिए कोई बाहर भागकर नहीं जा सकता लेकिन हमारी कोशिश इन्हें पकड़ने की है. वहीं आस-पास के गांव में प्राइमरी स्कूलों में भी क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है.

इसी तरह कौशांबी के सिराथू तहसील क्षेत्र के कनवार गांव में क्वारंटाइन सेंटर से 36 लोग भाग गए. ये लोग लॉकडाउन के दौरान दूसरे शहरों से अपने गांव लौटे थे. तहसीलदार व प्रधान ने कड़ी मशक्कत के बाद 22 लोगों को फिर से सेंटर में शिफ्ट करा दिया है. बाकी का कोई सुराग नहीं लग रहा है.

क्वारंटाइन सेंटर से भागकर किया सुसाइड

यूपी के लखीमपुर में 23 साल का एक युवक पहले तो क्वारंटाइन केंद्र से भाग गया और फिर जब उसे यह पता चला कि पुलिस उसे तलाश रही है तो उसने आत्मतहत्या कर ली. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह युवक 28 मार्च से गांव के बाहरी इलाके में बने एक स्कूल में क्‍वारंटाइन में था.

इसी बीच अपने परिवार से मिलने के लिए दो बार क्वारंटाइन सेंटर से भाग गया था, लेकिन दोनों बार अधिकारी उसे वापस ले आए. बाद में उसने कोरोना के डर से आत्महत्या कर ली. इसी तरह शामली में गुरुवार को क्वारंटाइन वार्ड में भर्ती कोरोना संदिग्ध युवक ने आत्महत्या कर ली. वह बीते मंगलवार को अपने गांव पहुंचा था जहां उसे सांस लेने में दिक्कत होने के बाद क्वारंटाइन वार्ड में भर्ती कराया गया था.

एसपी शामली विनीत जयसवाल के मुताबिक, अभी इस मामले की जांच चल रही है. युवक के गले में गमछे का फंदा लगा मिला जिससे लगा तो यही रहा है कि इसने फांसी लगाकर आत्महत्या की है.

भागने के भी आजीबोगरीब बहाने

गांव के प्राइमरी स्कूलों में जिन मजदूरों व श्रमिकों को रोका गया है उनके घर जाने के अजीबोगरीब बहाने हैं. रायबरेली के महाराजगंज क्षेत्र के पास बने एक प्राइमरी स्कूल में क्वारंटाइन किए गए लवकुश का कहना है कि यहां मन नहीं लगता. वह थोड़ी देर के लिए अपने घर जाना चाहते हैं. इसी तरह तंबाकू व पान मसाला की तलब भी कई मजदूरों को परेशान कर रही है जबकि सरकार ने इसकी बिक्री पर फिलहाल रोक लगा रखी है. लखनऊ स्थित शिल्प ग्राम में बने क्वारंटाइन सेंटर में आए राम कुमार कहते हैं कि बिना गुटखा खाए दिन नहीं कटता. वे यहां नहीं रुकना चाहते हैं. उन्हें बार-बार गुटखा खाने की तलब लग रही है. इसी तरह के तमाम बहाने सुनने में आ रहे हैं जिससे इनकी देखरेख में लगे अधिकारी भी परेशान हैं.

सरकार की ओर से क्या है व्यवस्था

सरकार के प्रवक्ता व मंत्री महेंद्र सिंह का कहना है कि जो मजदूर दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से आ रहे हैं उनके लिए शहरों के किनारे क्वारंटाइन सेंटर बनाए जा रहे हैं जहां भोजन, दवाई आदि की सारी व्यवस्थाएं हैं. वहीं जो गांव तक पहुंच गए हैं उन्हें गांव के प्राइमरी स्कूलों में क्वारंटाइन किया जा रहा है. इसके लिए अधिकारी गांव के प्रधानों व चिकित्सकों के संपर्क में हैं. यूपी में क्वारंटाइन सेंटर्स पर तैयारियां काफी बेहतर हैं.

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रकाश का कहना है कि राज्य में कोरोना टेस्टिंग के लिए यूपी में फिलहाल 8 लैब्स हैं, दो और बनाई जा रही हैं. वहीं सरकारी अस्पतालों में पांच हजार आइसोलेशन बेड थे जिन्हें 15 हजार कर दिया गया है. जरूरत पड़ने पर प्राइवेट अस्पतालों को भी कोविड अस्पताल में कन्वर्ट कर दिया जाएगा. वहीं क्वारंटाइन के लिए 6000 बेड का इंतजाम है.

प्रमुख सचिव गृह व सूचना अवनीश अवस्थी के मुताबिक, सीएम योगी को प्रत्येक लेबर का हिसाब रखने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं उच्चतम न्यायालय ने भी आदेश दिया है कि हर लेबर के खान-पान, रहने, मेडिकल माॅनिटरिंग व आवश्यकतानुसार काउंसिलिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए. इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं. अभी तक कुल 2 लाख से अधिक लोगों को ‘क्वारंटाइन केंद्रों’ में रखा गया है.

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रें की मानें तो हर जिले में 2 से 3 क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जिनमें शहर की सीमाओं पर बाहर से पहुंचे लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. वहीं गांव में प्राइमरी स्कूलों में उन लोगों को क्वारंटाइन किया गया है. वहीं 80 कोविड-2 श्रेणी के अस्पताल बनाने की तैयारी है जो कि प्रत्येक जिले में एक जरूर होगी.

विपक्ष ने उठाए सवाल

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय लल्लू ने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं. लल्लू के मुताबिक, सीएम का फोकस सुर्खियां बटोरने पर ज्यादा है जबकि जमीन पर चिकित्सा सेवाओं का हाल बुरा है. छोटे शहरों में तो जांच के लिए किट ही नहीं हैं. वहीं लल्लू का कहना है कि लखीमपुर खीरी में गुरुग्राम से लौटे युवक ने क्वारंटाइन का उल्लंघन क्या किया कि उसको पुलिस ने बेरहमी से पीटा, इसी कारण युवक ने आत्महत्या कर ली. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स भी ऐसा कह रही हैं.  इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए.

समाजवादी पार्टी की सीनियर नेता जूही सिंह का कहना है कि सरकार ने लाॅकडाउन के दौरान जिन सुविधाओं का दावा किया है उनका रियलिटी चेक भी जरूरी है. क्वारंटाइन सेंटर्स व अस्पतालों में क्या व्यवस्थाएं हैं ये अहम विषय हैं. मुख्यमंत्री के दावे कितने भी करें लेकिन जब तक जमीन पर लागू नहीं होंगे तब तक लोगों की दिक्कते कैसे कम होंगी.

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