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लॉकडाउन के बाद स्कूल खोलने के समय केंद्र के फोकस में होंगे सुरक्षित छात्रावास और सोशल डिस्टेंसिंग

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनसीईआरटी) ने स्कूलों के खोलने को लेकर जो गाइडलाइन तैयार की है, उसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है. इसमें कोविड-19 के दौर में स्कूलों के खोलने से जुड़ी कई अहम जानकारियां हैं.

कोझिकोड: बोर्ड परीक्षा के पहले स्कूल के बाहर खड़े बच्चे और महिलाएं, प्रतीकात्मक तस्वीर/फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: केंद्र सरकार स्कूलों के खोलने से जुड़ी एक गाइडलाइन तैयार कर रही है. इसमें सुरक्षित छात्रावास एक अहम हिस्सा होगा. सोशल डिस्टेंसिंग का ख़्याल रखते हुए नई क्लास में एडमिशन के दौरान छात्र की जगह सिर्फ परिजनों को ही आना होगा. गाइडलाइन में प्रवासी कामगरों के बच्चों पर भी ख़ासा ध्यान दिया गया है.

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनसीईआरटी) ने स्कूलों के खोलने को लेकर जो गाइडलाइन तैयार की है, उसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है.

सुरक्षित छात्रावास को लेकर ड्रॉफ्ट में लिखा है, ‘हॉस्टल में रहने वालों को अलग-अलग बैच में बुलाया जायेगा (एक बार में कुल रजिस्टर्ड बच्चों का 33%). इन्हें खोलने के पहले पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित क्वारेंटीन फ़ैसिलिटी की व्यवस्था करनी होगी.’

गाइडलाइन में सफर को लेकर सही निर्देश, हॉस्टल में प्रवेश से पहले स्क्रीनिंग, कॉउंसलर से लगातार संपर्क, हेल्थ चेक की पर्याप्त सुविधा और इमरजेंसी की स्थिति में पास के हेल्थ केयर फैसिलिटी से संपर्क जैसी बातों को भी ध्यान में रखने को कहा गया है.

ड्राफ़्ट में लिखा है, ‘परिजनों से ये पूछा जाना चाहिए कि क्या वो अभी भी अपने बच्चों को घर से पढ़ाना चाहते हैं.’ जिन बच्चों के पास घर से ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा हो उन्हें तब तक नहीं बुलाया जाना चाहिए जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है.

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ड्राफ्ट में यह भी कहा गया हैं कि घर स्टडी फ्रॉम होम और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में सहायक होगा.

सोशल डिस्टेंसिंग पर ज़ोर देते हुए कहा गया है कि डॉर्मेट्री में बेड और स्टडी टेबल को इस तरीके से रखा जाना चाहिए कि एक-दूसरे से छह फ़ीट की दूरी बनी रहे.

प्रवासी कमगरों के बच्चों पर ध्यान

दिप्रिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में पहले ही बताया था कि स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोला जाएगा. एनसीईआरटी के डॉक्यूमेंट ने इस बात पर मुहर लगाई है. नए एडमिशन को लेकर कहा गया है कि नई क्लास में एडमिशन के दौरान सिर्फ़ परिजनों को आने की आवश्यकता होगी.

बेहद कम सुविधाओं वाले प्रवासी मज़दूरों के बच्चों पर भी इसमें ध्यान दिया गया है. इसमें कहा गया है, ‘प्रवासी कमगरों के बच्चों के पास मोबाइल फ़ोन की सुविधा का आभाव हो सकता है. इस पर हमें ध्यान देना होगा.’

आगे कहा गया है कि सबसे ज़्यादा ध्यान उनपर दिया जाना चाहिए जो सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद हैं, जैसे कि बेघर/प्रवासी और दिव्यांग छात्र, ऐसे छात्र जिनके परिवार में कोविड 19 की वजह से किसी की जान चली गई हो या किसी को अस्पताल में भर्ती होने पड़ा हो. ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

राज्यों से कहा गया है कि उन्हें प्रवासी कामगरों के बच्चों का पता लगाना होगा और इसके प्रयास करने होंगे कि उन्हें स्कूल तक लाया जा सके.

सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद बच्चों के लिए स्कूल के प्रमुखों को इनोवेटिव प्लान बनाने को कहा गया है ताकि तकनीक से लैस और बगैर तकनीक वाले बच्चों के बीच का भेद मिटाया जा सके.

क्लास रूम से मिड-डे मील तक रखना होगा सोशल डिस्टेंसिंग का ख़्याल

छह सेक्शन में बंटे इस ड्राफ़्ट में 61 बार सोशल डिस्टेंसिंग का ज़िक्र आया है.

गाइडलाइन की हाइलाइट में कहा गया है कि कोविड-19 के दौर की शिक्षा तीन पिलर पर आधारित होगी जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग, स्वास्थ्य और सफ़ाई के साथ रहना सीखना शामिल होगा.


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ड्राफ़्ट में लिखा है कि ‘क्लास रूम में बच्चों के बीच हर तरफ़ से छह फ़ीट की दूरी होनी चाहिए.’

500 स्क्वायर फ़ीट के क्लास में सिर्फ़ 10 बच्चे और एक शिक्षक को मौजूद होने की अनुमति होगी. ताकि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन की जा सके. ड्राफ़्ट में स्कूल के समय को भी इस तरीके से निर्धारित करने को कहा गया है. ताकि बच्चों के बीच दूरी बनी रहे. यहां तक की आने-जाने के रास्ते में भी 6 फ़ीट की दूरी का पलान करने को कहा गया है.

मिड-डे मील बनाने और बांटने के समय भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. इसके लिए बच्चों के बैठने की व्यवस्था के लिए ख़ास तौर से चॉक से मार्किंग करनी होगी.

इसका पालन किचन में भी करना होगा जहां खाने बनाने वाले और उसके सहायक के अलावा किसी को आने की अनुमति नहीं होगी.

टॉयलेट, पानी पीने की जगह, हाथ धोने की जगह, बस डिपो और अपनी निजी वाहन में भी बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. हर जहग पर्याप्त हैंड सैनिटाइज़र और हाथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था करने को भी कहा गया है.

इसका डर है कि छोटे बच्चे सोशल डिस्टेेंसिंग और मास्क पहनने में असहज हो सकते हैं.

ऐसी स्थिति में गाइडलाइन में कहा गया है कि है, ‘उनकी असहजता का शिक्षकों द्वारा ध्यान रखा जाना चाहिए और बच्चों को इन चीज़ों का पलान करने के लिए कहानियों के ज़रिए तैयार करना चाहिए.’

गाइडलाइन में खाने का आदतों पर भी ध्यान दिया गया है.

इसमें कहा गया है कि बच्चों को बाहर से खाने की चीज़ें नहीं खरीदने देना है. सरकारी स्कूल के सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी के बच्चों को घर से टिफिन लाना होगा क्योंकि कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए मिडडे मील की व्यवस्था होती है.

प्राइवेट स्कूलों में अगर कैंटीन से सुरक्षित खाना नहीं मिल रहा तो बच्चों को घर से टिफिन लाने की सलाह दी जानी चाहिए.

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