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लखीमपुर खीरी में गम और गुस्सा, मृत किसानों के परिजनों ने लगाया ‘कोल्ड बल्डेड मर्डर और योगी के गुंडा राज का आरोप’

मृत किसानों के परिजनों का कहना है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारने वाले काफिले में ही थे, लेकिन कथित तौर पर पुलिस की मदद से भाग निकले.

मारे गए लोगों के परिजन लखीमपुर खीरी में जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर इंतजार करते हुए/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

लखीमपुर खीरी : लखीमपुर खीरी में चार किसानों—नछत्तर सिंह (60 वर्ष), दलजीत सिंह (35), लवप्रीत सिंह (20) और गुरविंदर सिंह (19)—की मौत को लेकर पीड़ा, गम और गुस्से का माहौल बना हुआ है और मृतकों के परिजनों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

ये चार किसान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को मारे गए आठ लोगों में शामिल थे, बाकी चार लोग वहां उस घटना के बाद भड़की हिंसा में मारे गए जब कथित तौर पर तीन एसयूवी के एक काफिले, जिसमें एक आशीष मिश्रा की भी थी, ने पहले तो प्रदर्शनकारी किसानों को टक्कर मारी फिर उनमें से चार को कुचल दिया. नौवीं मौत स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की हुई थी जिसने इस दौरान घायल होने के कारण ही सोमवार को दम तोड़ दिया.

परिजनों का कहना है कि आशीष मिश्रा भी उस काफिले में शामिल थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारी, लेकिन पुलिस की मदद से भाग निकले.

दलजीत सिंह के भाई जगजीत सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि किसानों ने खीरी के तिकुनिया इलाके में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को काले झंडे दिखाना चाहते थे, जो एक कार्यक्रम के सिलसिले में मिश्रा के माता-पिता के गांव बनवीरपुर आने वाले थे. अजय मिश्रा लखीमपुर खीरी से ही सांसद हैं.

जगजीत सिंह ने आरोप लगाया, ‘हमें प्रशासन की तरफ से स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर में कहीं से वाहनों का एक काफिला वहां आया और उसने मेरे भाई को टक्कर मार दी जिससे वह सड़क पर गिर गया. उसकी सांसें चल रही थीं लेकिन तभी काफिले की एक और एसयूवी उसके ऊपर चढ़ गई क्योंकि वह सड़क पर गिरा हुआ था और उसकी वहीं पर मौत हो गई. यह कोल्ड ब्लडेड मर्डर है और प्रशासन इसे छिपाने की कोशिश कर रहा है. जिस पुलिस की तरफ से हमें सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, उसने कुछ नहीं किया. क्या अब विरोध करना भी अपराध हो गया है?’

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दलजीत सिंह के भाई जगजीत सिंह/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

अन्य परिवारों ने भी कहा कि जब वाहनों के काफिले ने टक्कर मारी तब तक उनका विरोध प्रदर्शन खत्म होने वाला था.

गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह ने दावा किया, ‘हमें बताया गया था कि उनका (मौर्य का) रास्ता बदल दिया गया है, इसलिए झंडे दिखाने का कोई मतलब नहीं रह गया था. हमारा प्रदर्शन लगभग खत्म ही हो चुका था और इसे समाप्त करने की घोषणा की जा रही थी. प्रदर्शन खत्म होने के बमुश्किल 15 मिनट पहले तीन कारों का एक काफिला पीछे से हमारी तरफ आया और इसलिए हममें से किसी ने भी उन पर ध्यान नहीं दिया. वाहन 80 या 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रहे थे और यहां की सड़कें इतनी गति के लिए नहीं बनी हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अचानक ही इस काफिले ने कुछ प्रदर्शनकारियों को रौंद दिया और हमने देखा कि मोनू मिश्रा (आशीष मिश्रा) इस काफिले का हिस्सा थे. मेरे पुत्र ने काफिले में से एक को पकड़ लिया तो उन्होंने उसे गोली मार दी.’

गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

गुरविंदर के एक रिश्तेदार मस्कीन सिंह के अनुसार, गुरविंदर को गोली मारे जाने के तुरंत बाद, काफिले में शामिल लोग—जिनमें कथित तौर पर आशीष मिश्रा भी शामिल थे—ने वहां से भागना शुरू कर दिया. मस्कीन ने दावा किया, ‘हवा में कुछ गोलियां चलाई गईं और पुलिस ने उन्हें खेतों की तरफ से भागने में मदद की.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे वीडियो क्लिप हैं जिनसे साफ पता चलता है कि मिश्रा वहां थे लेकिन हम उन्हें साझा नहीं कर सकते क्योंकि इंटरनेट पूरी तरह से बंद हो गया है.’

लखीमपुर खीरी में इंटरनेट सेवाएं वास्तव में बंद हो गई हैं.

हालांकि, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने एक वीडियो डाला है जिसमें उन्होंने दावा किया कि किसानों के बीच कुछ ‘अराजक तत्वों’ ने काफिले पर हमला किया.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लखीमपुर खीरी में हमारे तीन कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हुई है और कारों में आग लगा दी गई. हम इस पर एक एफआईआर दर्ज करने जा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमें सूचना मिली थी कि कुछ किसान शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारा रास्ता बदल दिया गया. इसी दौरान किसानों के बीच छिपे कुछ अराजक तत्वों ने भाजपा कार्यकर्ताओं की कारों पर लाठियों से हमला कर दिया. इसका एक वीडियो हमारे पास है.’

मिश्रा ने घटना के पीछे कुछ आतंकी संगठनों का हाथ होने का आरोप भी लगाया. उन्होंने दावा किया, ‘किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही बब्बर खालसा सहित कई आतंकी संगठन अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. यह घटना उसी का नतीजा है.’

वहीं, आशीष मिश्रा ने एएनआई को बताया कि वह काफिले का हिस्सा नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘मैं सुबह नौ बजे से कार्यक्रम का समापन होने तक बनवीरपुर में था. मेरे खिलाफ आरोप पूरी तरह निराधार हैं. मैं इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करता हूं और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए.’


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परिजन चाहते हैं गहन जांच हो

परिजन अब मामले की गहन जांच और मिश्रा पिता-पुत्र के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं. वे यह भी बताते हैं कि अजय मिश्रा ने हाल ही में कथित तौर पर कहा था कि वह ‘दो मिनट’ में किसानों को सबक सिखा देंगे.

नछत्तर सिंह के बेटे जगदीप संधू ने कहा, ‘उन्हें मंत्री पद से तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन वह अब भी उस पद पर बने हुए हैं. ऐसे में हम निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?, उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. मेरे पिता काफिले की चपेट में आने वाले पहले व्यक्ति थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सेवारत मेरा भाई छुट्टी लेकर उनके साथ समय बिताने के लिए यहां आया था और अब हमारे पिता ही नहीं रहे.’

दिप्रिंट ने डीएसपी सुबोध कुमार जायसवाल, सर्कल ऑफिसर, निघासन से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई और उसमें आशीष मिश्रा का भी नाम है. जब उनसे मृत किसानों के परिजनों के इस आरोप पर टिप्पणी करने को कहा गया कि पुलिस ने आशीष मिश्रा और अन्य लोगों की भागने में मदद की तो जायसवाल का कहना था कि वह रविवार को छुट्टी पर थे और इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.

लखीमपुर में प्रदर्शन किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हुआ था

लंबे समय से जारी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए ही ये प्रदर्शनकारी रविवार को तिकुनिया क्षेत्र में एकत्र हुए थे. गुरविंदर के रिश्तेदार मस्कीन सिंह ने कहा, ‘चूंकि हम दिल्ली नहीं जा सके थे, हम यहीं पर एक जगह एकत्र होकर अपनी एकजुटता दर्शाना चाहते थे. हम सब किसान हैं और उन काले कानूनों का विरोध करते हैं जो यह सरकार हम पर थोप रही है.’

गुरविंदर सिंह के रिश्तेदार मसकीन सिंह/फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

उन नेताओं के बारे में पूछे जाने पर जिन्हें लखीमपुर पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई थी, उन्होंने कहा कि किसी को भी आने और अपनी संवेदना व्यक्त करने से नहीं रोका जाना चाहिए, साथ ही कहा कि प्रदर्शनकारी किसी को भी अपने आंदोलन का राजनीतिकरण नहीं करने देंगे.

मस्कीन सिंह ने कहा, ‘किसी को भी यहां आने से क्यों रोका जाए? लेकिन साथ ही, हम राजनेताओं को भी अपने फायदे के लिए हमारा इस्तेमाल नहीं करने देंगे. हम कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और जो इसमें हमारा समर्थन करते हैं उनका स्वागत है.’

प्रियंका गांधी वाड्रा और अखिलेश यादव सहित विपक्षी नेताओं को प्रवेश करने से रोक दिए जाने से सोमवार क इलाके में दिन भर तनावपूर्ण स्थिति बनी रही थी. उन्होंने इस ‘अमानवीय’ घटना के लिए योगी सरकार की जमकर आलोचना की है.

मस्कीन ने आरोप लगाया, ‘योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गुंडों का राज नहीं रहेगा. उत्तर प्रदेश गुंडा मुक्त रहेगा लेकिन इन्होंने तो पूरी गुंडागर्दी दिखा दी.’

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