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‘साइकल मैन, बच्चन फैन’ से कैसे हिंदूवादी नेता बने रंजीत बच्चन, लखनऊ में हुआ दिनदहाड़े मर्डर

जानकारी ये भी मिली है कि पत्नी कालिंदी व रंजीत बच्चन के बीच पिछले कुछ समय से विवाद भी चल रहा था. फिलहाल पुलिस की 8 टीमें उनकी हत्या की जांच कर रही है.

रंजीत बच्चन/फोटो/फेसबुक

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिंदू महासभा के अध्यक्ष रंजीत बच्चन की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. बच्चन रविवार सुबह हज़रतगंज इलाके में अपने मौसेरे भाई आदित्य श्रीवास्तव के साथ मॉर्निंग वाक पर निकले थे. इसी दौरान बाइक एक हमलावर ने उनके सिर पर गोली मार दी और घटना स्थल से फरार हो गया. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

बता दें कि पिछले साल हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की भी हत्या कर दी गई थी.

लखनऊ के डीसीपी (सेंट्रल) दिनेश सिंह ने मीडिया को बताया, ‘सुबह मिले शव की पहचान रंजीत बच्चन के रूप में हुई है. वह मॉर्निंग वॉक के लिए आए थे. इसी दौरान कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें गोली मार दी. पुलिस हत्यारों की तलाश में जुटी हुई है.’

‘उनके भाई आदित्य को हाथ में गोली लगी है. वह अस्पताल में भर्ती है.’

कभी थे सपा के चहेते, साइकल यात्रा से आए थे चर्चा में

मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले रंजीत बच्चन लंबे समय तक समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे थे. 2002 से 2009 के बीच इन्होंने अपनी पत्नी कालिंदी शर्मा के साथ देशभर में साइकल यात्रा निकाली थी जिसके बाद सपा में वह काफी चर्चित हो गए. गोरखपुर के समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष कीर्तिनिधि पांडे ने दिप्रिंट को बताया, ‘अखिलेश सरकार के दौरान भी दोनों पति-पत्नि ने यूपी भर में साइकल यात्रा निकाली थी.’

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‘यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में समाजवादी पार्टी को मिली हार के बाद इन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया. इसके बाद वह अखिल भारतीय हिंदू महासभा से जुड़े. वह इस संगठन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रहे. इसके कुछ महीने बाद इन्होंने अपना संगठन विश्व हिंदू महासभा बना लिया.’

हार से निराश होकर बना लिया अलग संगठन

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक सपा से जुड़े रहने के दौरान रंजीत ने कभी ‘कट्टर हिंदू’ छवि वाले बयान नहीं दिए. वह शिवपाल की गुडलिस्ट में गिने जाते थे. 2017 की हार ने उन्हें मायूस कर दिया था. शिवपाल यादव के भी सपा से अलग हो जाने से वह निराश थे. ऐसे में उन्होंने हिंदूवादी संगठनों का रुख किया. रंजीत को गोरखपुर से जानने वाले सपा के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘रंजीत बच्चन का असली नाम रंजीत श्रीवास्तव था लेकिन अमिताभ बच्चन के फैन होने के कारण ही उन्होंने अपने नाम के आगे बच्चन लगा लिया था.’

विश्व हिंदू महासभा के पूर्व महासचिव अरविंद चित्रांश ने दिॉप्रिंट को बताया,  ‘हिंदुत्व के प्रचार प्रसार के लिए ये संगठन 2017 में हम लोगों ने बनाया था. लखनऊ में इसका ऑफिस बनाया गया. रंजीत जी, मेरे गुरू थे. मेरे पिता की तरह थे. इस बीच मैं बीमार था इसलिए संगठन का पद त्याग दिया था लेकिन संगठन के विचारों की लड़ाई आज भी लड़ रहा हूं. उनके मर्डर की खबर से बेहद दुखी हूं. ये हिंदुत्व पर हमला है.’

मिल रही थीं धमकियां

विश्व हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमान बिरला ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ महीने पहले रंजीत बच्चन से जब उनकी मुलाकात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि फोन पर कुछ अनजान नंबरों से धमकियां आ रही हैं लेकिन वह डरेंगे नहीं, हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करते रहेंगे. हनुमान बिरला ने योगी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हिंदुत्व की बात करते हैं लेकिन हिंदूवादी नेताओं को सुरक्षा नहीं देते. पिछले साल कमलेश तिवारी हत्याकांड से भी सरकार ने सबक नहीं लिया.

पारिवारिक एंगल भी खंगालेगी पुलिस

हिंदूवादी नेता की हत्या के बारे में जाॅइंट कमिश्नर नवीन अरोड़ा ने बताया कि पुलिस सारे पहलुओं पर जांच कर रही है. सीसीटीवी फुटेज तलाशे जा रहे हैं. जानकारी ये भी मिली है कि उनकी पत्नी कालिंदी व रंजीत बच्चन के बीच पिछले कुछ समय से विवाद भी चल रहा था. फिलहाल पुलिस की 8 टीमें इसकी जांच कर रही हैं.

कमलेश तिवारी हत्याकांड रहा था सुर्खियों में

बता दें कि पिछले साल 18 अक्टूबर को एक अन्य हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी का लखनऊ में दिनदहाड़े मर्डर कर दिया गया था. इस मामले में यूपी पुलिस ने गुजरात एटीएस की मदद से इस मामले के दोनों मुख्य आरोपितों को राजस्थान बाॅर्डर गिरफ्तार किया था. इनकी पहचान अशफाक शेख और मोइनुद्दीन पठान के रूप में हुई थी. अब रंजीत बच्चन
हत्याकांड ने एक बार फिर यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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