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सरकार ने चीन पर नजर रखते हुए कैसे 2023 में बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर दिया

अप्रैल में वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का शुभारंभ सुदूर सीमाओं के साथ क्षेत्रों को विकसित करने का एक बड़ा निर्णय था. इसके साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय सेलुलर नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं को उन्नत करना था.

सियोम ब्रिज, एक पुल जिसका उद्घाटन पिछले साल जनवरी में किया गया था, जो अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में बनाए गए बुनियादी ढांचे में से एक है | एएनआई फाइल फोटो

नई दिल्ली: चीन के साथ गतिरोध को तीन साल से ज्यादा समय होने के साथ ही, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सीमावर्ती गांवों को विकसित करने पर अपना जोर जारी रखा और संचार नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने के लिए पहल शुरू की.

2023 की शुरुआत में, कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख के 19 जिलों में 46 ब्लॉकों का “व्यापक विकास” करने के उद्देश्य से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को मंजूरी दी थी.

2022 से 2026 तक 4,800 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, यह योजना कौशल विकास, उद्यमिता के साथ-साथ सहकारी समितियों के विकास और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के माध्यम से आय के अवसर पैदा करके, सीमावर्ती क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को उन्नत करने की परिकल्पना करती है.

सरकार ने उन गांवों में सड़क और टेलीकॉम कनेक्टिविटी में सुधार करने पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जहां इन सुविधाओं का अभाव है, ताकि वहां से पलायन को रोका जा सके और इस तरह अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा को मजबूत किया जा सके.

पिछले साल अप्रैल में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित ने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू गांव में कार्यक्रम लॉन्च किया था, जहां उन्होंने घोषणा की थी कि इसे दो चरणों में लागू किया जाएगा. जबकि पहले चरण में 11 जिलों, 23 ब्लॉकों और 1,451 गांवों को शामिल किया गया है, जिसके लिए 4,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, यह योजना पूरे भारत में 19 जिलों, 46 ब्लॉकों और 2,963 गांवों के लिए बनाई गई है.

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आवंटन का वर्षवार विवरण देते हुए, शाह के डिप्टी निसिथ प्रमाणिक ने अगस्त में कहा था कि 2022-23 से 2025-26 तक सीमावर्ती गांवों के विकास पर 50 करोड़ रुपये, 1,200 करोड़ रुपये, 1,750 करोड़ रुपये और 1,800 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे.

लद्दाख में, एमएचए ने कहा कि 294.50 किमी सड़कें बनाई गईं और 195.31 किमी सड़कें ब्लैक टॉप की गईं. इसमें कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए आठ नए पुल, 30 हेलीपैड और दो हैंगर का भी निर्माण किया गया.

कुल मिलाकर, एमएचए ने कहा कि एलएसी के साथ 48.03 किमी सड़क, तीन हेलीपैड और चार सीमा चौकियों (BOPs) का निर्माण किया गया था.


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टेलीकॉम इन्फ्रा

रविवार को वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पर अपने बयान में, एमएचए ने कहा कि कैबिनेट ने सेलुलर नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं को अपग्रेड करने की 1,545.66 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे दी है जिसमें 1,117 सीमा खुफिया चौकियों (बीआईपी) या बीओपी को 4G दूरसंचार सेवाएं मिलेंगी.

सीमावर्ती क्षेत्रों में 4G नेटवर्क सेवाओं की सुविधा के लिए दूरसंचार विभाग और बीएसएनएल के साथ जुलाई में एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया था. अब तक, नौ स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क टावर स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि 34 स्थानों पर नींव का काम पूरा हो चुका है.

बॉर्डर इंफ़्रा का विकास

जनवरी और नवंबर के बीच, एमएचए के सीमा प्रबंधन -1 डिवीजन ने चीन, पाकिस्तान, नेपाल के साथ सीमाओं पर 184.391 किमी सड़कें बनाईं. जबकि एलएसी के साथ यह 48.03 किमी था, बांग्लादेश और नेपाल के साथ यह 16.297 किमी और 120.064 किमी था.

नेपाल के मोर्चे पर 51, उसके बाद 14 बांग्लादेश, 13 भूटान, 6 पाकिस्तान और 4 चीन सहित अट्ठासी बीओपी का निर्माण किया गया. इसी अवधि में, मंत्रालय ने बांग्लादेश सीमा पर 15.909 किमी, पाकिस्तान के साथ 3 किमी और म्यांमार के साथ 2.402 किमी तक बाड़ लगाई.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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