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जेएनयू प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर ने सरकार की सांख्यिकी समिति के पद से दिया इस्तीफा

इस पैनल का गठन तब किया गया था जब सांख्यिकी प्रणाली में 'राजनीतिक दख़लअंदाज़ी' को लेकर चिंता ज़ाहिर की गई थी.

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने दिया मोदी सरकार की सांख्यिकी समिति के पद से इस्तीफा/फोटो: सोशल मीडिया

नई दिल्ली: जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के बाद सरकार द्वारा गठित सांख्यिकी समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर ने इस्तीफा दे दिया है. चंद्रशेकर ने सरकार द्वारा गठित समिति पद से इस्तीफा दिया है. उनका इस्तीफ़ा भारत की आर्थिक डाटा से जुड़ी एक मीटिंग से पहले आया है.

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी इस्तीफे की ख़बर के मुताबिक पिछले महीने सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आर्थिक सांख्यिकी पर एक स्टैंडिंग समिति का गठन किया था. इसके प्रमुख पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन थे. इनका काम इकनॉमिक डेटा सेट से जुड़े ‘डेटा स्रोतों, संकेतकों, अवधारणाओं या परिभाषाओं और अन्य मुद्दों से संबंधित मौजूदा ढांचे’ की समीक्षा करना है.

इस पैनल का गठन तब किया गया था जब सांख्यिकी प्रणाली में ‘राजनीतिक दख़लअंदाजी’ को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी. सरकार द्वारा पहले जिन प्रमुख डाटा को रोक कर रखा गया था उनमें जॉब मार्केट और ग्राहक खर्च का डाटा शामिल था.

चंद्रशेखर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को फ़ोन पर बताया, ‘मुझे इस बात का भरोसा दिलाया गया कि ये सरकार भारत के सांख्यिकी व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है. जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा ने इस बात में मेरा भरोसा और गहरा किया है. ऐसा लगता है कि हम अब किसी और दुनिया में जी रहे हैं और एक ऐसी सरकार जिसमें आपका भरोसा नहीं उसके साथ काम करना मुश्किल है.’

कई अहम बातों को लेकर आज मंगलवार को कमेटी की पहली बैठक होनी है, लेकिन उससे पहले ही चंद्रशेखर का इस्तीफ़ा आ गया. ई-मेल के माध्यम से सोमवार को लगभग 9 बजे अपना इस्तीफा देने वाले चंद्रशेखर ने एक प्रमुख और सदस्य दोनों के रूप में पहले भी प्रमुख सांख्यिकीय पैनलों के साथ काम किया है.

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आपको बता दें कि पहले भी सरकार ने रोज़गार से जुड़ा एक डाटा रोके रखा था जिसमें ये बात सामने आई थी कि 2017-18 में बेरोज़गारी पिछले 45 सालों में सबसे ज़्यादा ऊंचे स्तर पर पहुंच गई. 17-18 से ही जुड़े ग्राहकों के ख़र्च वाले सर्वे को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इसमें ये बात सामने आई थी कि ग्राहक ख़र्च 40 सालों में पहली बार नीचे गिरा है.

फीस बढ़ोतरी को लेकर हो रहा प्रदर्शन हुआ हिंसक

आपको बता दें कि फीस बढ़ोतरी वापस लिए जाने को होकर चल रहा जेएनयू का विरोध प्रदर्शन रविवार शाम बेहद हिंसक हो गया. आरोप हैं कि हिंसा की शुरुआत लेफ्ट यूनिटी वालों ने की थी जिसके जवाह में कथित तौर पर आरएसएस के छात्र एबीवीपी ने बाहर से हथियारबंद नकाबपोश बुलाकर कैंपस में हिंसा करवाई.

हालांकि, जेएनयू वीसी ने हिंसा का ठीकरा फीस बढ़ोतरी वापस लिए जाने की मांग कर रहे छात्रों पर फोड़ा है और प्रशासन द्वारा जारी किए गए बयान की मानें तो प्रदर्शनकारी छात्र अपनी मांग मनवाने के लिए नए सत्र के रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे थे और उन्होंने ही हिंसा की. मामले में गंभीर रूप से घालय जेएनयूएसयू अध्यक्ष आयशी घोष के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज करवाई गई है.

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