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दिल्ली हिंसा: जामिया की छात्र सफ़ूरा ज़रगर को मानवीय आधार पर मिली हाईकोर्ट से जमानत

23 हफ्ते की गर्भवती सफूरा को कोविड-19 के महामारी के समय भीड़-भाड़ वाले तिहाड़ में रखे जाने को लेकर व्यापक तौर पर आलोचना हो रही थी.

जामिया की छात्र सफ़ूरा जरगर, फाइल फोटो | Photo: Facebook | Safoora Zargar

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार जामिया की 27 साल की छात्र और जामिया समन्वय समिति की सदस्य  सफू़रा ज़रगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जमानत मिल गई है. दिल्ली पुलिस के मानवीय आधार पर रिहाई के लिए तैयार होने पर अदालत उन्हें जमानत देने को तैयार हुई है. सफूरा को 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.

अदालत ने आगे कहा कि इस जमानत आदेश को इस मामले में या किसी अन्य मामले में एक मिसाल के रूप में उद्धृत नहीं किया जाएगा.

23 हफ्ते की गर्भवती सफूरा को कोविड-19 महामारी के समय भीड़-भाड़ वाले तिहाड़ में रखे जाने को लेकर व्यापक तौर पर आलोचना हो रही थी.

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बता दें कि सीएए-एनआरसी को लेकर इस साल फरवरी में दिल्ली के जामिया इलाके में हिंसा हुई थी.

इसके अलावा अदालत ने कहा है कि किसी भी मकसद से दिल्ली से बाहर जाने से पहले सफू़रा को संबंधित अदालत की अनुमति लेनी होगी. उन्हें 10 हजार रुपए के मुचलके पर यह जमानत दी है.

पुलिस ने जरगर की याचिका का किया था विरोध, कहा था कि गर्भावस्था जमानत का आधार नहीं

दिल्ली पुलिस ने इससे पहले सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि उसकी गर्भावस्था से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती है.

बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत जरगर को गिरफ्तार किया गया है. वह गर्भवती हैं.

दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई थी और उसे अंजाम दिया.

इसने कहा था कि मजबूत, ठोस, विश्वसनीय और पर्याप्त सामग्री मौजूद है जो जामिया में एम फिल की छात्रा जरगर के सीधे संलिप्त होने का सबूत हैं. वह 23 हफ्ते की गर्भवती हैं.

पुलिस ने कहा कि वह अलग प्रकोष्ठ में बंद हैं और किसी दूसरे से उसके कोरोनावायरस से संक्रमित होने की संभावना नहीं है.

इसने कहा कि इस तरह के घृणित अपराध में आरोपी गर्भवती कैदी के लिए कोई अलग से नियम नहीं है कि उसे महज गर्भवती होने के आधार पर जमानत दे दी जाए और कहा कि पिछले दस वर्षों में दिल्ली की जेलों में 39 महिला कैदियों ने बच्चों को जन्म दिया.

जामिया समन्वय समिति की सदस्य जरगर को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया. उसने निचली अदालत द्वारा चार जून को जमानत देने से इंकार करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

 

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