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लॉकडाउन में लंबी दूरी तय कर उत्तर प्रदेश में अपने गांव पहुंचे प्रवासी मजदूर काम करने खेतों की तरफ लौटे

दिप्रिंट ने शाहजहांपुर और बरेली के सीमाई इलाके में बीलपुर गांव में कुछ मजदूरों से बात की. इन लोगों ने लॉकडाउन के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया.

दोनों महिलाएं जिनका नाम नन्ही देवी है, उनके ऊपर अपने घरों की जिम्मेदारी है. नन्ही देवी (दाएं) ने अपने पति को टीबी के कारण खो दिया जबकि दूसरी महिला के पति काफी वृद्ध हैं और घर पर आराम कर रहे हैं | ज्योति यादव/दिप्रिंट

बीलपुर/ उत्तर प्रदेश: हजारों प्रवासी मजदूर जो राज्य सरकारों की बसें पकड़कर या साइकिल या पैदल अपने घरों की तरफ लौटे थे उनमें से कई ने अपने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है.

कोविड-19 से जुड़ी खबरों को रिपोर्ट करने जब दिप्रिंट राज्यों का सफर कर रहा है तब उत्तर प्रदेश के कुछ मजदूर खेतों में काम करते दिखे.

इनमें से ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे.

मनरेगा के तहत मजदूरों को इस संकट के दौरान काम मिल सके इसका प्रबंध प्रशासन ने किया है.

दिप्रिंट ने शाहजहांपुर और बरेली के सीमाई इलाके में बीलपुर गांव में कुछ मजदूरों से बात की. इन लोगों ने लॉकडाउन के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया.

मजदूर थककर अपने खेत में बैठा हुआ है. मार्च के अंत में यह अपने घर पहुंचा था जिसके बाद उसने अपने को 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन कर लिया. अब वो फिर से अपनी खेती में लग गया | ज्योति यादव/दिप्रिंट
चाकरोड के पास 110 लोग खेतों में काम कर रहे हैं जिनमें एक 10 वर्षीय भी शामिल है | ज्योति यादव/दिप्रिंट
खेतों तक पहुंचने के लिए मजदूरों को दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से हजारों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी है. अब वो अपने परिवारों को खिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं | ज्योति यादव/दिप्रिंट
महामारी को रोकने के लिए मजदूरों को हैंड सैनिटाइजर दिया गया है | ज्योति यादव/दिप्रिंट
बीलपुर गांव के 35 वर्षीय राम कुमार के लिए ये एक और संघर्ष है. इस बीच उनकी साइकिल उनकी सबसे बड़ी साथी है | ज्योति यादव/दिप्रिंट

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