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जैश कर सकता था और फिदायीन हमले, रोकने के लिए भारत ने की कार्रवाई- विजय गोखले

'भारत ने बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी शिविर पर हमला किया जिसमें जैश के कई टॉप कमांडर ट्रेनिंग लेने वाले और देने वाले मारे गए हैं.

vijay gokhale
विदेश सचिव विजय गोखले मीडिया को संबोधित करते हुए

नई दिल्ली: भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने भारत द्वारा तड़के की गई सैन्य कार्यवाई की पर पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ‘भारत ने बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी शिविर पर हमला किया जिसमें जैश के कई टॉप कमांडर ट्रेनिंग लेने वाले और देने वाले मारे गए हैं. इस कैंप का नेतृत्व युसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी कर रहे थे जो जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूह अजहर का जीजा था.’

उन्होंने कहा कि ‘भारत ने यह हमला इसलिए किया कि क्योंकि हमें सूचना मिली थी कि जैश भारत में और आतंकी हमले करने की योजना बना रहा था और इस कैंप में फिदायीन तैयार किए जा रहे थे. भारतीय वायुसेना ने जिस जगह हमला किया वह ऊंचाई पर है और घने जंगलों के बीच है. भारत ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है  कि इससे किसी आम नागरिक को कोई नुकसान न पहुंचे.’

भारत का आरोप है कि जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन और इतने बड़े आतंकी शिविर बिना पाकिस्तानी अधिकारियों के नहीं चल सकते हैं.भारत बार-बार पाकिस्तान से इस आतंकी संगठनों पर नियंत्रण करने को कहता रहा है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित हैं. जैश ए मोहम्मद का हाथ भारतीय संसद में 2001 में हुए हमले और जनवरी 2016 में पठानकोट आर्मी कैंप में हुए आतंकी हमले में भी था. गोखले ने ‘इस कार्रवाई नॉन मिलिट्री कार्रवाई बताया है.’

इस हमले की पहली सूचना भारत से नहीं बल्कि पाकिस्तान से आई है. पाकिस्तानी सेना के डीजी आईएसपीआर आसिफ गफूर ने आरोप लगाया था कि भारतीय वायुसेना का विमान एलओसी पार करके पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसा है और उसने वहां जल्दबाज़ी में बालाकोट के पास विस्फोटक फेंके. पर इसमें कोई घायल नहीं हुआ और पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं हुआ. उसका आरोप है कि उनके विमानों ने पीछा किया जिसके बाद ये विमान वापस लौट गए.

भारत की इस सैन्य कार्यवाई को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब बताया जा रहा है. सीआरपीएफ पर हुए इस हमले में 40 जवान मारे गए थे और हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकीे संगठन जैश ए मौहम्मद ने ली थी.

भारत ने हमले के तुरंत बाद अपने दूत को बातचीत के लिए पाकिस्तान से वापिस बुला लिया था और दुनिया के कई देशों से पाकिस्तान की इस कार्यवाई से अवगत करवाया था और उन्हें भारत के पक्ष में करने की कोशिश की थी. संयुक्त राष्ट्र में भी आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था.

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