होम देश UP में घर पर अधिक शराब रखी तो लगेगा जुर्माना, होम बार...

UP में घर पर अधिक शराब रखी तो लगेगा जुर्माना, होम बार खोलने के लिए लेना होगा लाइसेंस

51 हजार रुपये आबकारी विभाग को बतौर सिक्योरिटी मनी देनी होगी और 12 हजार रुपये लाइसेंस फीस अलग से देनी होगी.

शराब की बोतलें (प्रतीकात्मक तस्वीर) | कॉमन्स

लखनऊ : घर पर अधिक मात्रा में शराब रखने वालों को यूपी सरकार की नई आबकारी नीति के तहत 12 हजार रुपये सालाना का लाइसेंस लेना पड़ेगा. बिना लाइसेंस के घर में तय मात्रा से अधिक शराब रखने पर कार्रवाई की जाएगी.

इसके लिए 51 हजार रुपये आबकारी विभाग को बतौर सिक्योरिटी मनी देनी होगी और 12 हजार रुपये लाइसेंस की फीस अलग से होगी.

दिप्रिंट से बातचीत में आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि ये नियम उनके लिए बनाया गया है जो घर में ही मिनी बार खोल लेते हैं और शराब इकट्ठा कर लेते हैं. कई बार आस-पड़ोस के लोग इसको लेकर पुलिस में शिकायत भी करते हैं. तमाम आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए हमने इससे जुड़ी पाॅलिसी बनाई है. अब ‘होम-बार’ को लाइसेंसी कर दिया गया है. रेड्डी ने ये भी बताया कि कोई चार बोतल बीयर या शराब की खरीद कर रखा है तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी लेकिन अधिक मात्रा में शराब खरीद कर स्टोर करने वालों को लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होगा.

देना होगा शपथ पत्र

नई पाॅलिसी के मुताबिक, होम बार के लाइसेंस के आवेदकों को इस संबंध में शपथ-पत्र भी देना होगा जिसके मुताबिक किसी भी अनधिकृत या फिर 21 साल से कम उम्र की आयु के व्यक्ति का शराब रखे जाने वाली जगह पर प्रवेश वर्जित होगा. वहीं ऐसी जगह पर यूपी की तरफ से मान्य शराब के अलावा कोई अवैध या अनधिकृत शराब या कोई और पदार्थ नहीं रखा जाना चाहिए.

नई पाॅलिसी में बार लाइसेंस मिलेगा आसानी से

विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि नई पाॅलिसी में बार लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को और सरल बनाया गया है. सरकार की ओर से ट्रेन व क्रूज में भी विदेशी शराब की बिक्री की अनुमति दे दी गई है.

वहीं अब होटल, रेस्तरां, क्लब, बार और एयरपोर्ट बार लाइसेंसों की स्वीकृति शासन के स्थान पर आबकारी आयुक्त प्रदान करेंगे. अभी तक बार लाइसेंस के लिए पहले जिलाधिकारी के पास आवेदन करना होता था जिलाधिकारी (डीएम) अपनी संस्तुति लगाकर इसे मंडलायुक्त को भेजते थे. मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बार कमेटी गठित होती थी और फिर जाकर आबकारी आयुक्त तक फाइल पहुंचती थी और फिर प्रमुख सचिव (आबकारी) तक जाती. पहले ये लंबा प्रॉसेस था. इसे अब छोटा किया गया है.

Exit mobile version