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कोरोना का टीका विकसित करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी हेस्टर बायोसाइंस के साथ करेगा काम

हेस्टर बायोसाइंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव गांधी ने कहा, 'कंपनी और आईआईटी-गुवाहाटी मिलकर कोरोनावायरस बीमारी से लड़ने के लिए एक रीकॉम्बिनेंट टीका विकसित करेंगे. इसका विनिर्माण एक रक्षोपाय के तौर पर किया जाएगा.'

आईआईटी-गुवाहाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर) । तस्वीर

नई दिल्ली : अहमदाबाद की दवा कंपनी हेस्टर बायोसाइंस ने कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए आईआईटी-गुवाहाटी के साथ गठजोड़ किया है. कंपनी ने बुधवार को एक बयान में बताया कि दोनों संगठनों के बीच इसके लिए 15 अप्रैल 2020 को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.

कंपनी ने कहा कि यह टीका ‘रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस’ आधारित होगा. रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए टीका के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके कई प्रकार के सीरम मुख्य तौर पर मुर्गियों और अन्य जानवरों में फ्लू को फैलने से रोकने के काम आते हैं.

बयान के मुताबिक रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस-1 का उपयोग ‘सार्स-कोव-2’ के एक इम्यूनॉजिक (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जगाने वाले) प्रोटीन के तौर पर किया जाएगा. बाद में इसका उपयोग आगे के अध्ययन के लिए किया जा सकता है.

इस बारे में हेस्टर बायोसाइंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव गांधी ने कहा, ‘कंपनी और आईआईटी-गुवाहाटी मिलकर कोरोनावायरस बीमारी से लड़ने के लिए एक रीकॉम्बिनेंट टीका विकसित करेंगे. इसका विनिर्माण एक रक्षोपाय के तौर पर किया जाएगा. हेस्टर टीके के विकसित करने के शुरूआती चरण से लेकर इसके वाणिज्यिक स्तर पर जारी होने तक काम करेगी.’

इस टीके की क्षमता के बारे में आईआईटी गुवाहाटी के जैवशास्त्र और जैवप्रौद्योगिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर सचिन कुमार ने कहा कि इस पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. वह अनुसंधान टीम के प्रमुख होंगे.

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