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देश के 75 जिलों में कोविड-19 संक्रमण के बावजूद लक्षण नहीं दिखने वाले लोगों का अध्ययन करेगा आईसीएमआर

वर्तमान में सरकार बिना लक्षण वाले लोगों की पहचान उनके संपर्क में आने वाले लोगों और सामुदायिक निगरानी के माध्यम से करने का प्रयास कर रही है.

तस्वीर: दिप्रिंट के सूरज सिंह बिष्ट

नई दिल्ली: कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच शीर्ष स्वास्थ्य जांच निकाय आईसीएमआर ने देश भर के 75 प्रभावित जिलों में ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए अध्ययन करने का निर्णय किया है जिनमें कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ, फिर भी उनमें बिल्कुल हल्के लक्षण दिखे या लक्षण नहीं दिखे.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अध्ययन से यह पता करने में सहयोग मिलेगा कि उन इलाकों में श्वसन संबंधी इस बीमारी का सामुदायिक संचरण हुआ अथवा नहीं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या 1886 हो गई है और शुक्रवार को संक्रमित लोगों की संख्या 56,342 हो गई. बृहस्पतिवार की सुबह के बाद 24 घंटे में 103 लोगों की मौत हुई है और 3390 मामले सामने आए हैं.

एक अधिकारी ने बताया, ‘अध्ययन के तहत किसी जिले के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के लोगों में कोविड-19 की जांच की जाएगी कि क्या उनमें संक्रमण के प्रति रोग निरोधक क्षमता विकसित हुई है, भले ही उनमें लक्षण नहीं दिखे या हल्के लक्षण दिखे हों.’

अधिकारी ने बताया, ‘उनमें रोग निरोधक क्षमता की मौजूदगी से पता चलेगा कि उनमें वायरस का संक्रमण हुआ और वे इससे लड़ने में सक्षम थे. उन्हें पता नहीं कि उनमें बीमारी हुई क्योंकि उनमें कोई लक्षण नहीं दिखे.’

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अधिकारी ने कहा कि इस प्रयास से यह भी पता लगेगा कि बीमारी का सामुदायिक संचरण हुआ अथवा नहीं. सामुदायिक संचरण वह चरण है जहां संक्रमण के स्रोत का पता नहीं चलता.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक यह अध्ययन जल्द से जल्द करना चाहते हैं.

सूत्रों ने कहा कि जिन जिलों में आबादी ज्यादा है और जहां अंतरराज्यीय आवाजाही अधिक है, वहां के लोगों को अध्ययन के लिए चुना जाएगा ताकि संबंधित राज्य का प्रतिनिधित्व हो जाए.

अध्ययन के मुताबिक, कोरोनावायरस से संक्रमित करीब 80 फीसदी लोगों में बीमारी के हल्के लक्षण दिखे अथवा लक्षण नहीं दिखे.

अधिकारियों ने कहा कि अध्ययन जल्द से जल्द शुरू होगा क्योंकि इसे चीन से मंगाए गए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट से शुरू करने की योजना थी. लेकिन कुछ स्थानों पर उन जांच किट के परिणाम सही नहीं आने पर अध्ययन को रोकना पड़ा था.

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘अध्ययन के लिए सैंपलिंग की संख्या पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. अध्ययन तभी सफल होगा जब सैंपल की संख्या अधिक से अधिक होगी.’

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच के तौर-तरीकों पर अभी निर्णय नहीं किया गया है, लेकिन अध्ययन के लिए ईएलआईएसए एंटीबॉडी जांच की जा सकती है जो एक तरह की रक्त जांच है या आरटी-पीसीआर के साथ पूल सैंपलिंग जांच का इस्तेमाल किया जा सकता है.


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उन्होंने कहा कि ईएलआईएसए (एंजाइम लिंक्ड इम्युनोसॉर्बेंट एसे) जांच रक्त में एंटीबॉडी का पता लगाता है ताकि सत्यापित हो सके कि व्यक्ति में कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ अथवा नहीं.

पूल जांच में कई लोगों के नमूनों की जांच की जाती है.

वर्तमान में सरकार बिना लक्षण वाले लोगों की पहचान उनके संपर्क में आने वाले लोगों और सामुदायिक निगरानी के माध्यम से करने का प्रयास कर रही है.

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