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कोविड-19 का डर और लॉकडाउन ने छुड़ाए आइसक्रीम उद्योग के पसीने, 50% घटी बिक्री

स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि लॉकडाउन के अलावा, बिक्री इस गलत धारणा से भी प्रभावित हुई है कि आइसक्रीम कोविड -19 के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है.

कोरोनावायरस के चलते आइसक्रीम के सीजन पर प्रभाव देखा गया है. फोटो साभार: Pexels

नई दिल्ली: भारत में गर्मियों के आते ही आइसक्रीम की मांग बढ़ जाती है. शाम को अक्सर परिवार आइसक्रीम कार्ट के पास इस ठंडे डेज़र्ट से गर्मी में राहत पाते नज़र आते हैं. पर इस बार कोरोनावायरस के लॉकडाउन की वजह से  आइसक्रीम उद्योग पर अन्य उद्योगों की तरह ही भारी मार पड़ी है.

आइसक्रीम के पीक सीज़न के शुरू होने के पहले ही कोरोनावायरस फैल गया और लॉकडाउन शुरू हो गया जिससे आइसक्रीम कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष दिलीप रथ ने दिप्रिंट से कहा, ’24 मार्च से लॉकडाउन की अवधि के दौरान आइसक्रीम की बिक्री में कमी आई है. रेस्तरां, खुदरा स्टोर, स्ट्रीट वेंडर और आइसक्रीम पार्लर पूरी तरह से बंद थे. इससे आइसक्रीम की बिक्री लगभग 50 प्रतिशत कम हो गई है. आइसक्रीम की बिक्री जो आम तौर पर गर्मियों के महीनों के दौरान ही ज्यादा होती है, लेकिन इस बार इस गर्मी के बीच कोविड-19 का प्रकोप बढ़ गया इससे कारोबार पर असर देखने को मिला.’

मदर डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स लिमिटेड के आधिकारिक प्नवक्ता ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘आइसक्रीम का पीक सीज़न अप्रैल से जून तक होता है. लगभग 40 प्रतिशत का व्यवसाय इन्हीं महीनों में ही होता है. कोविड 19 के चलते फिलहाल सबसे ज्यादा यही अवधि प्रभावित हुई है. आइसक्रीम की बिक्री के मामले में भारी कमी देखी गई है. लॉकडाउन के कारण सामान्य व्यापार और वेंडिंग गाड़ियां भी बंद रही है.’


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पायस मिल्‍क प्रोड्यूसर कम्‍पनी के प्नवक्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह बात सही है कि कोरोनावायरस के कारण लोग ठंडा खाने से बच रहे हैं. इसका आइसक्रीम सीजन पर प्रभाव जरूर पड़ा है. हमारे अनुमान के हिसाब से आइसक्रीम की बिक्री 80 प्रतिशत कम हो गई है.’

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वित्तीय वर्ष 2016 में 165 मिलियन लीटर आइसक्रीम प्रोडक्शन हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में 170 मिलियन लीटर प्रोडक्शन रिकार्ड किया गया था.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में आइसक्रीम उद्योग सबसे तेजी से बढ़ते उद्योग क्षेत्रों में से एक है. 2018 में इसकी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में आइसक्रम उद्योग ने 1.5 बिलियन (10 हजार करोड़ के करीब) अमरीकी डालर से अधिक राजस्व का कारोबार किया है. जबकि 2021 में 3.4 बिलियन (25 हजार करोड़ के करीब) अमरीकी डालर का राजस्व होने का अनुमान है.

कोरोना के डर से छोड़ी आइसक्रीम

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के के अध्यक्ष रथ का मानना है कि आइसक्रीम की खपत में कमी के पीछे एक मुख्य वजह यह भी रही है  कि लोगों के मन में डर है कि आइसक्रीम या ठंडा कोरोनावायरस को बढ़ाएंगा.

‘इससे भी बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है’.

कुछ लोगों ने दिप्रिंट से बातचीत में सहमति व्यक्त की उन्हें डर है कि आइसक्रीम उन्हें कोविड -19 के लिए अतिसंवेदनशील बनाती है.

पीतमपुरा में रहने वाले करण गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘गर्मियों का सीजन ही आइसक्रीम के लिए होता है लेकिन इन दिनों कोरोना की डर से ठंडा खाने पर रोक लगा रखी है. ये कोरोना का ही असर है कि लॉकडाउन में दुकानों को छूट मिलने के बाद भी आइसक्रीम पार्लर बंद हैं.’

न्यू राजेंद्र में रहने वाले इंजीनियरिंग छात्र कोणार्क तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘आइसक्रीम मुझे बेहद पसंद है. लेकिन अभी कोरोना का प्रकोप के चलते फिलहाल ठंडा खाने पर रोक लगा रखी है. इसकी एक वजह यह है कि अगर गला खराब होता है तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए आइसक्रीम से दूरी से ही बेहतर विकल्प है.’

बिक्री बढ़ाने के लिए घर पर पहुंचाने की तैयारी

लेकिन अब कंपनियों ने उपभोक्ताओं को आइसक्रीम पहुंचाने के लिए डोर स्टेप डिलीवरी शुरू की है. ताकि लोग अब घर बैठकर ही अपनी मनचाही आइसक्रीम मंगवा सकें.

रथ ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘दिल्ली में मदर डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स लिमिटेड जैसे संगठनों ने उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए आइसक्रीम की डोर स्टेप डिलीवरी शुरू की है. इसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को भी मिल रही है. हमें अब एक जागरूकता अभियान चलाना होगा जो इस धारणा को बंद करे कि आइसक्रीम पूरे देश में कोरोनावायरस फैलाएगा. आइसक्रीम की बिक्री को बढ़ाने के लिए हमें इस अभियान को जोर-शोर से चलाना है.’

मदर डेयरी ने आगे कहा, हमारे यहां 25 प्रतिशत से अधिक आइसक्रीम का कारोबार हमारे अपने मिल्क बूथ से होता है. दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों से हमें होम डिलीवरी की ज्यादा मांग देखने को मिल रही है. पिछली वर्ष की तुलना में हमने इस बार 25 प्रतिशत ज्यादा सेल की योजना तैयार की थी. और जो ट्रेंड हमें अपने बूथ नेटवर्क से दिख रहा है हमें आशा है कि लॉकडाउन के बाद हम अपना 80 प्रतिशत सालाना करोबार अर्जित कर पायेंगे.

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मदर डेयरी के प्रवक्ता के अनुसार आवाजाही पर लगी रोक, रिटेल दुकानों के बंद होने, आइसक्रीम बेचने वाली कार्ट्स का न होना सभी मांग में कमी का कारण रहें.

फ्रीजर में रखी आइसक्रीम से बढ़ रहा बिजली ​का बिल

न्यू राजेंद्र नगर में शंकर रोड स्थित एक आइसक्रीम पार्लर में काम करने वाले इरफान खान ने दिप्रिंट से कहा, ‘गर्मी के 4 महीनों में आइसक्रीम से अच्छी कमाई होती है. हमारे यहां से कई होटल, रेस्तरां और स्ट्रीट वेंडर बड़ी तादाद में आइसक्रीम ले जाते थे. मार्च से ही हमारा धंधा शुरू हो जाता था. अप्रैल मई में शादियों का सीजन भी होता है तो हमारा व्यवसाय अच्छा चलता है लेकिन अब मार्च से मई तक तो हमारी दुकाने बंद रहीं. आगे देखते है कैसे हमारा धंधा होता है.’

उनका कहना था, ‘जो आइसक्रीम मार्च में आई थी. हमने उनको डीप फ्रीजर में रखा हुआ है. हालांकि कुछ आइसक्रीम की वैधता एक साल और कुछ की छह माह होती है इसलिए उन्हें डीप फ्रीज में रखा गया है लेकिन अब कमाई हो नहीं रही है. डीप फ्रीज लगातार चालू होने से बिजली का बिल भी आ रहा है. वहीं कर्मचारियों को पैसे देने में अब दिक्कत आ रही है.’

आइसक्रीम विक्रेता अब लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनके धंधे की मिठास लौटे सके.

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