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लखनऊ के हिंदू-मुस्लिम जोड़े की पुलिस ने रोकी शादी, अब DM से परमिशन के बाद करेंगे

लड़का लड़की के परिवार वाले शादी के लिए तैयार हैं लेकिन नए कानून के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी इसलिए बिना नोटिस दिए शादी कर रहे थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर/ भारतीय शादी/

लखनऊ: पुलिस द्वारा लखनऊ के एक जोड़े मोहम्मद आदिल और रैना गुप्ता की शादी रोके जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. यूपी में गैर-कानूनी धर्मांतरण (Unlawful conversion) को रोकने के लिए योगी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के उल्लंघन के संदेह के आधार पर रोकी गई शादी के बाद दोनों परिवार प्रशासन की सहमती से शादी के लिए तैयार हैं.

आदिल के भाई आशिफ शेख ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘दोनों परिवार शादी के लिए तैयार हैं लेकिन नए कानून के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी इसलिए बिना नोटिस दिए शादी कर रहे थे. ‘

शेख ने आगे कहा, ‘अब हम डीएम की इजाजत के लिए अप्लाई करेंगे और फिर शादी होगी.’

वहीं लड़की के पिता विजय गुप्ता ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. दिप्रिॆट ने जब उनसे संपर्क किया तो वे बोले कि ‘कोई दिक्कत नहीं है, ये उनका निजी मामला है, कृप्या फोन न करें.’

दरअसल पारा थाने के नरपतखेड़ा इलाके रहने वाले विजय गुप्ता की बेटी रैना की शादी आदिल के साथ बुधवार को हो रही थी.

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पुलिस ने बताया कि रसायन विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएट रैना गुप्ता (22) और पेशे से फार्मासिस्ट मोहम्मद आसिफ (24) की शादी की तैयारियां चल रही थी. तभी पुलिस वहां पहुंची और उसने शादी के बारे में जानकारी हासिल की.

पारा थाने के एसएचओ त्रिलोकी सिंह ने बताया आदिल बारात लेकर विजय गुप्ता के घर पहुंचने ही वाला था तभी अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला ने पुलिस को इस शादी के बारे में जानकारी दी और रोकने की मांग की. इसके बाद शाम को पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शादी रुकवाई .पुलिस ने नए कानून का हवाला देते हुए दोनों को दो महीने का ‘नोटिस’  देने को कहा.

लखनऊ पुलिस के डीसीपी साउथ जोन सुरेश चंद्र रावत का कहना है कि पुलिस को अपने सूत्रों से जानकारी मिली थी जिसके बाद पुलिस वहां पहुंची थी. रावत ने कहा, ‘दोनों परिवार राजी हैं लेकिन धर्म परिवर्तन आगे चलकर कराया जा सकता था इसलिए उन्हें नए कानून का पालन करने को कहा गया जिसके लिए वे राजी भी हो गए.’


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क्या है नया अध्यादेश

पिछले दिनों यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण पर रोक से जुड़े अध्यादेश UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020) को मंजूरी दे दी थी.

इस कानून के तहत, धर्म छिपाकर किसी को धोखा देकर शादी करने पर 1 से 10 साल की सज़ा होगी साथ ही 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है. शादी के लिए धर्मांतरण (Religious Conversion) रोकने विधेयक में प्रावधान है कि लालच ,झूठ बोलकर या जबरन धर्म परिवर्तन या शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा.

नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है.

अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रारूप में दो माह पहले इसकी सूचना देनी होगी. इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे. इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है.


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