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क्या है Harmony of the Pines, क्यों चर्चा में है हिमाचल पुलिस

हिमाचल प्रदेश पुलिस आर्केस्ट्रा के सोशल मीडिया पर लाखों फालोवर और करण जौहर, ट्विंकल खन्ना, रोहित शेट्टी जैसे बॉलीवुड के बड़े नाम, 17 सदस्यों वाला खाकी बैंड अब दुनिया भर में तहलका मचाने जा रहा.

हिमाचल प्रदेश पुलिस आर्केस्ट्रा | शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

शिमला: मंच सजा था, बैंड के सदस्य अपने स्थान पर जम गए थे. साउंड चेक की गई, आवाज की लय देखने के लिए गायक अभ्यास करने लगे. उन गीतों को गुनगुनाया जिन्हें गाया जाना था. लेकिन जैसे ही वे परफॉर्मेंस के लिए तैयार हुए, उनसे बड़े बेढ़ब ढंग से मंच खाली करने को कहा गया.

हॉर्मोनी ऑफ पाइन्स नाम से चर्चित हिमाचल प्रदेश पुलिस आर्केस्ट्रा के एक संस्थापक सदस्य सतीश कुमार याद करते हैं, ‘उस रात के सितारे आ गए थे और मुख्य अतिथि ने हमें हटाने का आदेश दिया.’

उस जलालत के बाद सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार ने एक भविष्यवाणी की. उन्होंने अपने आर्केस्ट्रा से कहा, ‘ठीक है, सज्जनों, एक दिन हम कार्यक्रम के सितारे होंगे!’

यह वाकई भविष्यवाणी साबित हुई. हिमाचल प्रदेश पुलिस आर्केस्ट्रा की मांग सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं, पूरे देश में है. सोशल मीडिया पर लाखों फालोवर हैं और करण जौहर, ट्विंकल खन्ना, रोहित शेट्टी जैसे बॉलीवुड के बड़े नाम हैं यानी 17 सदस्यों वाला खाकी बैंड अब दुनिया भर में तहलका मचाने जा रहा है.

बैंड हेड विजय कुमार के साथ अभ्यास करतीं बैंड सदस्य | शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

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25 साल पुरानी विरासत

शिमला के पुलिस मुख्यालय में पाइन्स के पास अभ्यास करने के लिए एक कमरा है. उसे माइक और साउंड सिस्टम के साथ बेहतरीन उपकरणों से लैस अत्याधुनिक आर्ट स्टुडियो मुहैया कराया गया है.

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इस साल खासकर कलर टीवी शो हुनरबाज के ग्रैंड फाइनल में पहुंचने पर भले हॉर्मनी ऑफ पाइन्स को देशव्यापी प्रसिद्धि मिली है, मगर इसका वजूद 1996 से है, जब आर्केस्ट्रा पहली बार अस्तित्व में आया.

उस वक्त बैंड छोटे-मोटे पुलिस कार्यक्रमों में बजाया करता था और उसके पास अच्छे संगीत उपकरण या साज नहीं थे. सब-इंस्पेक्टर विजय याद करते हैं, ‘लोग सोचा करते थे, हमने काफी शोर मचा लिया, अब हमें एक कोने में बैठ जाना चाहिए.’

लेकिन बैंड के सदस्य नौसिखिया से उस्ताद बनने को उतावले थे. वे अपना हुनर निखारने के लिए दिल्ली जाने लगे और पश्चिमी संगीत का अभ्यास भी करने लगे. यह सब खुद के प्रायोजन से था.

धीरे-धीरे, राज्य भर में कई महोत्सवों में बजाने के बाद पाइन्स को पहचान मिलने लगी. उन्हें 2015-16 में हिमाचल प्रदेश के सभी बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में बुलाया जाने लगा लेकिन सुर्खियों में चढ़ने में अभी काफी दूरी तय करनी थी. विजय ने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन आड़े वक्त में रखा जाता था. मसलन, शाम 4 बजे, जब शायद ही कोई श्रोता पहुंचा होता था और हम खाली कुर्सियों के आगे बजाया करते थे. हमें शाम 6-7 बजे का समय मिलने में वक्त लगा.’

आखिरकार बैंड को हिमाचल पुलिस का समर्थन मिला. पुलिस प्रशासन ने आर्केस्ट्रा के लिए राज्य भर से गायकों और संगीतकारों की भर्ती करने लगा. ये भर्तियां विज्ञापनों के जरिए की गईं और पुलिस को सैकड़ों आवेदन छांटने पड़े, उम्र की सीमा जैसी शर्त नहीं थी.

फिलहाल आर्केस्ट्रा में 17 सदस्य हैं और आठ पद खाली हैं. उनमें ज्यादातर आर्केस्ट्रा के लिए चुने जाने के बाद पुलिस में भर्ती कर लिए गए. हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2016 में हॉर्मनी ऑफ पाइन्स को दुनिया में कहीं भी अपनी वर्दी में परफॉर्म करने की इजाजत दे दी. वे पुलिस वर्दी में होते हैं और गले में पीली और काली पट्टियों वाला रूमाल होता है.

कांस्टेबल मुकेश कुमार बांसुरी बजाते हुए | शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

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डीजीपी ने दिलचस्पी दिखाई तो दिन फिरे

बैंड को दो साल पहले काफी प्रोत्साहन मिला, जब संजय कुंडू ने पुलिस महानिदेशक का कार्यभार संभाला. उनकी हॉर्मनी ऑफ पाइन्स में विशेष दिलचस्पी थी. डीजीपी ने बैंड के अभ्यास के लिए बेहतरीन उपकरण उपलब्ध कराया.

कुंडू आदतन सुधारक थे और चाहते थे कि हिमाचल के लोगों में पुलिस की छवि ज्यादा मानवीय और मददगार की बने. उन्हें एहसास हुआ कि आर्केस्ट्रा में पुलिस की दोस्ताना, प्यारी छवि बनाने और जागरूकता फैलाने की काबिलियत है.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस को ज्यादातर समस्याएं कई तरह के लोगों की समस्याओं से निपटने की होती हैं. मैं आया तो मुझे लगा कि हम लोगों तक पहुंच बनाने के लिए बैंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. हम अपनी तैनाती कर सकते थे लेकिन उसकी सीमाएं हैं. हमने समस्या की जड़ की समीक्षा की और महसूस किया कि खाकी की मानवीय छवि होनी चाहिए. संगीत और वीडियो के जरिए हम संदेश ठोस और सुंदर तरीके से पहुंचा सकते हैं.’

आर्केस्ट्रा के मुताबिक, डीजीपी कुंडू ने उन्हें एक मंच दिया और राष्ट्रीय टीवी पर परफॉर्म करने को प्रोत्साहित किया. बैंड को अभ्यास के लिए भी ज्यादा वक्त मिलने लगा. डीजीपी ने पाइन्स के लिए हफ्ते में पांच दिन आठ घंटे अभ्यास का समय मुकर्रर किया.

सब-इंस्पेक्टर विजय ने कहा, ‘कलर टीवी अपने प्रतिस्पर्धियों को जो सेनहाइजर माइक मुहैया कराता है, डीजीपी हमारे स्टूडियो के लिए मुहैया कराया. हम याहामा का सैक्सोफोन 5 लाख रुपये में ले आए. हमें 3 लाख रुपये का फैंटम सीरिज का कीबोर्ड मिला. पिछले दो साल में हमने 55 लाख रुपये के उपकरण खरीदे. इस सब का श्रेय डीजी सर का है.’

बैंड अब निजी आयोजनों के लिए 1 लाख रुपये से ज्यादा लेता है. पुलिस ने एक फंड बनाया है, जिसमें पाइन्स की कमाई जमा होती है. इससे उपकरण खरीदने और यात्रा का खर्च उठाया जाता है.

डीजीपी कुंडू के तहत बैंड यूट्यूब पर अच्छे वीडियो भी डालता है और अपने गीत की धुन भी तैयार करता है. अभी तक तीन गीत बनाए गए हैं: कोविड मंत्र, से नो टू ड्रग्स और पुलिस स्थापना दिवस के लिए एक राष्ट्रवादी गीत. सभी वीडियो को लाखों व्यू मिले हैं और काफी वाहवाही मिली है. कोविड मंत्र को तो सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी साझा किया.


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बॉलीवुड टू हुनरबाज

पाइन्स के सबसे लोकप्रिय गीतों में एक ‘कुछ कुछ होता है’ (1998) के ‘कोई मिल गया’ का उनका संस्करण है, जिसके इंस्टाग्राम रील को कई सेलेब्रिटी ने शेयर किया है.

पाइन्स को वह महत्व हासिल हुआ, जिसकी भविष्यवाणी विजय ने की थी, 2022 के शुरू में जब बैंड ने कलर टीवी के टैलेंट शो हुनरबाज में हिस्सा लिया और तीसरे नंबर पर आया. विजय कुमार ने कहा, ‘टीवी पर आने से हम रोमांचित नहीं थे. हमारी पोशाक, पुलिस बल को जो प्यार मिला, उससे हम रोमांचित हुए.’

उन्होंने कहा, ‘राज्य में पिछली कुछ शिवरात्रि उत्सवों में श्रेया घोषाल, सुखविंदर सिंह और जुबिन नोटियाल भीड़ खींचने में नाकाम रहे. इसी वजह से मुख्यमंत्री ने हमें मुंबई से बुलाया, जहां हम हुनरबाज के लिए शूटिंग कर रहे थे और हम उत्सवों में काफी हिट रहे. इससे आत्मविश्वास बढ़ गया.’

बहुत सारे लोग पाइन्स का हिस्सा बनने की ख्वाहिश रखते हैं और एक समिति इंटरव्यू और ऑडिशन टेस्ट के बाद चयन करती है, जिसमें डीजीपी, दूसरे अफसर और बैंड के सदस्य होते हैं.

कांस्टेबल कृतिका तंवर और दीपिका ठाकुर | शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

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लिंग अनुपात काफी कम

पाइन्स में स्त्री-पुरुष अनुपात उसकी विविधता पर सवाल उठाते हैं. बस उसमें दो महिलाएं कांस्टेबल कृतिका तंवर और दीपिका ठाकुर हैं.

बैंक के मुखिया सब-इंस्पेक्टर विजय कहते हैं कि महिलाओं के लिए चार पद बनाए गए, मगर दो ही भरे जा सके. वे बताते हैं, ‘आप गायिकाएं तो बहुत पाएंगे लेकिन कोई साज बजाने वाली स्त्री से हमें कोई आवेदन नहीं मिला.’

महिलाओं को निरंतर यात्रा करने वाले बैंड में काफी संघर्ष करना पड़ता है. तंवर को अपने तीन साल के बेटे का ध्यान रखना पड़ता है. ठाकुर कहती हैं कि उन्हें आर्केस्ट्रा में शामिल होने पर परिवार से काफी कुछ सुनना पड़ा. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरा परिवार आर्केस्ट्रा में शामिल होने का एकदम खिलाफ था.’

ठाकुर और तंवर दोनों राज्य पुलिस में चार साल पहले ही शामिल हुई हैं, जबकि वे पाइन्स के साथ लगभग दशक भर से परफॉर्म कर रही हैं. तंवर कहती हैं, ‘शुरू में मुझे हर परफॉर्मेंस का 150 रुपये मिला करता था. धीरे-धीरे वह 450 रुपये हुआ. और अब मैं पुलिस कांस्टेबल हूं.’

लेकिन हिमाचल पुलिस को नया आयाम देने वाले बैंड में अधिक महिलाओं का होना बेहद जरूरी है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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