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SC ने कहा- पांच साल से वकालत से दूर रहने वाले विधि स्नातकों को फिर से देनी होगी AIBE की परीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में कहा था कि अगर कोई शख्स दूसरे पेशे में है तो भी उसे अस्थायी तौर पर बार में पंजीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन उसे एआईबीई परीक्षा पास करनी होगी.

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय | मनीषा मोंडल, फाइल फोटो / दिप्रिंट

नई दिल्ली: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पांच साल से अधिक समय तक वकालत से दूर रहे विधि स्नातक अगर इस पेशे में लौटना चाहते हैं तो उन्हें अखिल भारतीय बार परिक्षा (एआईबीई) को पास करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बीसीआई ने कहा कि उसने तय किया है कि अगर कोई शख्स ऐसा काम करता है जिसका विधि या न्यायिक मामलों से कोई संबंध नहीं है तो उसे एआईबीई परीक्षा फिर से देनी होगी और वकालत करने का लाइसेंस हासिल करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में कहा था कि अगर कोई शख्स दूसरे पेशे में है तो भी उसे अस्थायी तौर पर बार में पंजीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन उसे एआईबीई परीक्षा पास करनी होगी और छह महीने में यह फैसला करना होगा कि वह वकालत करना चाहेगा या अन्य काम ही करता रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट बीसीआई की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गुजरात हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी. गुजरात हाई कोर्ट ने अन्य काम करने वाले व्यक्तियों को अपनी नौकरी से इस्तीफा दिए बिना अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी थी.


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