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‘किसानों की थाली से भोजन नहीं छीनेगी सरकार’- DU, JNU समेत कई विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने कृषि कानूनों का किया समर्थन

इस पत्र पर दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों के संकाय सदस्यों और अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं.

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन करते किसान | फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

नई दिल्ली: देशभर के अनेक शिक्षण संस्थानों के 850 से अधिक शिक्षकों ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया है. इन्हीं कानूनों के विरोध में हजारों किसान एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

शिक्षाविदों ने एक खुले पत्र में कहा है कि उनका सरकार के इस आश्वासन पर पुरजोर विश्वास है कि किसानों की आजीविका को सुरक्षित रखा जाएगा तथा उनकी थालियों से भोजन नहीं छीना जाएगा.

उन्होंने कहा कि नये कानून कृषि व्यवसाय को सभी प्रतिबंधों से मुक्त करेंगे और किसानों को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर सभी लेन-देन करने के काबिल बनाएंगे.

पत्र पर 866 शिक्षकों के हस्ताक्षर हैं. इसमें कहा गया है, ‘केंद्र सरकार ने किसानों को बार-बार आश्वासन दिया है कि कृषि व्यापार पर ये तीन कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली को समाप्त नहीं करेंगे, बल्कि कृषि व्यापार को सभी अवैध बाजार प्रतिबंधों से मुक्त रखेंगे, मंडियों से परे बाजार खोलेंगे तथा छोटे और मझोले किसानों को बाजार/प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर उनकी उपज बेचने में सहायता प्रदान करेंगे.’

इस पत्र पर दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों के संकाय सदस्यों और अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं.

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पत्र में लिखा है, ‘हम सरकार और किसान दोनों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हैं और उनके गंभीर प्रयासों को सलाम करते हैं.’

सरकार और करीब 40 प्रदर्शनकारी किसान संघों के बीच अब तक हुई छह दौर की बातचीत पिछले करीब एक महीने से जारी किसानों के प्रदर्शन को समाप्त करने में विफल रही है. दिल्ली की सीमाओं पर मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान डेरा डाले हैं.

बुधवार को हुई दोनों पक्षों की पिछली बैठक में पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने तथा बिजली सब्सिडी जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनती दिखी लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों की दो मुख्य मांगों पर अभी बात नहीं बन पाई है जिनमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना और एमएसपी खरीद प्रणाली की कानूनन गारंटी प्रदान करना शामिल हैं.


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